CG Medical College: CGMSC के भ्रष्टाचार के टेंडर पर हेल्थ सिकरेट्री का ब्रेक, कमिश्नर से मांगा ओपिनियन, चार कॉलेजों का 1206 करोड़ का काम क्लब कर दिया…
CG Medical College: रायपुर। कोई भी आदमी सीजीएमससी के खेल को समझ सकता था कि जांजगीर और कवर्धा के रेट में मनेंद्रगढ़ और गीदम का कालेज नहीं बन सकता। बावजूद सीजीएमएससी ने चारों कालेजों का क्लब कर 1206 करोड़ का एक टेंडर कर दिया था ताकि कंपीटिशन कम होने पर पसंदीदा कंट्रक्शन कंपनी को काम सौंपा जा सकें। मगर एनपीजी न्यूज ने लगातार इस स्कैम का पर्दाफाश कर जिम्मेदार लोगों के ध्यान में इसे ला दिया।
हेल्थ सिकरेट्री अमित कटारिया ने इसे संज्ञान में लिया। अमित खुद भी चार जिलों के कलेक्टर रहे हैं, उन्हें मालूम होगा कि इस तरह टेंडर को क्लब नहीं किया जाता। उन्होंने फिलहाल इस पर रोक लगाते हुए कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन किरण कौशल से ओपिनियन मांगा है।
छत्तीसगढ़ में चार नए मेडिकल कॉलेज बनाए जाने हैं। इनमें दंतेवाड़ा का गीदम, कवर्धा, मनेंद्रगढ़ और जांजगीर शामिल हैं। इसके लिए भारत सरकार ने अपने हिस्से का 1206 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिया है।
सप्लाई और खरीदी में बड़ा कांड करने वाला सीजीएमएससी इन चारों मेडिकल कॉलेजों को बनवा रहा है। सीजीएमएससी ने पिछले कुछ सालों में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाए हैं, उसके हालत इतने खराब है कि साल दो साल में प्लास्टर टूट कर गिर रहा है तो नल की टोंटी और बिजली कनेक्शन फेल हो रहे हैं। जिलों के सीएमओ को प्रेशर डाल हैंड ओवर कराया गया। प्रेशर इसलिए कि बेहद खराब निर्माण की वजह से सीएमओ उसे लेने के लिए तैयार नहीं थे।
चार मेडिकल कालेज, एक टेंडर
सीजीएमएसी ने छत्तीसगढ़ के चार कोनों पर स्थित चार मेडिकल कालेजों के लिए एक टेंडर किया है। चूकि हजार करोड़ से अधिक का टेंडर है, इसलिए मात्र दो ही कंपनियां टेक्निकल बीड में क्वालिफाई हुई है।
फायनेंसिल बीड ओपन करने के लिए 6 जनवरी से लेकर सीजीएमएससी टेंडर कमेटी की पांच बैठक बुला चुका है। मगर फंसने की वजह से कई मेम्बर बैठक में आ नहीं रहे और कोरम के अभाव में बार-बार बैठक स्थगित हो जा रही।
एक टेंडर प्रैक्टिकल नहीं
जानकारों का कहना है कि चारों साइट अगर आसपास होता तो बड़ी कंपनियां उसके लिए सेटअप लगाती लेकिन चार अलग-अलग साइट पर 300 करोड़ के काम के लिए बड़ी कंपनियां कतई अपना सेटअप नहीं लगाएगी।
ऐसे में, यही होगा कि टेंडर लेने के बाद छत्तीसगढ़ के ठेकेदारों को सबलेट कर देगी। इससे नुकसान खजाने का ही होगा। अगर अलग-अलग टेंडर होता तो छोटी कंपनियां भी हिस्सा लेती। इससे टेंडर का रेट बिलो जाता।
सीएम हाउस, मंत्रियों के बंगले
नया रायपुर में सीएम हाउस और मंत्रियों के बंगले बनाने के लिए पीडब्लूडी ने इसी तरह सभी कामों को क्लब कर दिया था।
बताते हैं कि छोटे टेंडर में कंपीटिशन बढ़ जाता है, सीएम हाउस, मंत्रियों के सभी बंगलों आदि को मिलाकर 600 करोड़ का टेंडर कर दिया गया।
छत्तीसगढ़ में क्या सेंट्रल इंडिया में 600 करोड़ का भवन बनाने वाला कोई ठेकेदार है नहीं।
लिहाजा, दिल्ली की कंपनी को काम मिला और रायगढ़ के ठेकेदार को सबलेट हो गया। हो सकता था कि अलग-अलग टेंडर करने पर रेट बिलो जाता और उससे सरकार का पैसा बचता।
सीजीएमएससी की बेचैनी
सीजीएमएससी के घोटालों की जब एसीबी जांच चल रही है, आधा दर्जन अधिकारियों को कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है, ऐसे में सवाल उठता है कि चार मेडिकल कॉलेज के टेंडर के लिए सीजीएमएससी इतना बेचैन क्यों है?
एक तो उसने डॉक्टरों को टेंडर कमेटी का सदस्य बना दिया। उपर से टेंडर कमेटी की मीटिंग में शामिल होने के लिए हलाकान कर रहा है। टेंडर कमेटी का मिनिटस डॉक्टरों के कवर्धा और जगदलपुर स्थित घरों में भेज दिया गया कि आप दस्तखत कीजिए। जब मीटिंग में आए नहीं, तो डॉक्टर कैसे दस्तखत करेंगे?
इसके बाद एक के बाद एक टेंडर कमेटी की पांच मीटिंग बुलाई जा चुकी है। पांचों में कोरम पूरा नहीं हो पा रहा। क्योंकि मेम्बरों को लग रहा कि बाद में कहीं कोई जांच हो गई तो वे फंस जाएंगे।
टेंडर कमेटी में सीजीएमएससी के एमडी समेत 16 अधिकारियों को मेम्बर बनाया गया है। इनमें डायरेक्टर हेल्थ और डायरेक्टर डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को सीएमओ और मेडिकल कॉलेज के संबंधित नोडल अधिकारियों को नामित करने कहा गया था।
सीजीएमएसी की ढिठाई
टेक्निकल बिड ओपन करने वाली बैठक में डॉक्टर पहुंचे मगर 6 जनवरी वाली बैठक में आने से हाथ खडा कर दिया। सीजीएमससी की ढिठाई देखिए कि बिना कोरम के बैठक कर लिया और उसके बाद कवर्धा, जांजगीर, दंतेवाड़ा, मनेंद्रगढ़ आदमी भेजकर सीएमओ और नोडल अधिकारियों से बैठक की मिनिट्स पर दस्तखत करने दबाव बनाया।
मगर डॉक्टरों ने यह कहते हुए दस्तखत करने से साफ इंकार कर दिया कि जब वे बैठक में मौजूद नहीं थे, तो दस्तखत कैसे करेंगे। इसके बाद बैठक का कोरम पूरा करने सीजीएमएससी ने 27 जनवरी को फिर टेंडर कमेटी की बैठक की। मगर इसमें भी सीएमओ और नोडल अधिकारी नहीं पहुंचे।
डर गए सीएमओ और नोडल अफसर
दरअसल, सीजीएमएससी के गड़बड़झालो जिस तरह किए जा रहे हैं, उससे टेंडर कमिटी के मेम्बर बड़े भयभीत हैं। खासकर, सीएमओ और नोडल अधिकारी। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के सूत्रों का कहना है कि कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन से पूछे बिना सीजीएमएससी ने मेडिकल कालेजों के प्रोफेसरों को टेंडर कमेटी का मेम्बर अपाइंट कर दिया।
टेंडर के नाम पर बडा खेला
अनपढ़ आदमी भी समझ जाएगा कि जो लागत मनेंद्रगढ़ और धुर नक्सल प्रभावित गीदम में आएगी, वो जांजगीर और कवर्धा में नहीं आएगी। एक तरह से कहा जाए तो चारों कालेज का एक टेंडर करके अफसरों द्वारा सरकारी खजाने पर डकैती डालने का प्रयास किया जा रहा है।
बता दें, सीजीएमएससी के पास एक करोड़ की बिल्डिंग बनाने और सुपरविजन करने लायक स्टाफ नहीं, उसे सिस्टम ने हजार करोड़ की बिल्डिंग सौंप दिया है।
एक टेंडर न्यायसंगत नहीं
रमन सिंह सरकार के दौरान पीडब्लूडी और हेल्थ सिकरेट्री रहे एक रिटायर आईएएस ने बताया कि एक ही कंपनी को चारों काम देना न्यायसंगत नहीं। जाहिर है, मनेंद्रगढ़ और गीदम के रेट पर कवर्धा और जांजगीर में कॉलेज बनाना वित्तीय निरंकुशता होगी।
मनेंद्रगढ़ में पहाड़ी और घाटी के उटपटांग जगह पर कालेज बनना है, वहां खर्च ज्यादा आएगा। इसी तरह गीदम नक्सल प्रभावित इलाके में है। इसके उलट जांजगीर और कवर्धा मैदानी और वेल कनेक्टिंग इलाका है।
बिना लैंड भवन निर्माण
छत्तीसगढ़ सरकार ने चार मेडिकल कालेज बनाने का फैसला किया है, इसमें से कुछ के लिए अभी जगह भी तय नहीं हो पाई है। याने जगह फायनल किए बिना भवन का टेंडर की प्रक्रिया चालू कर दी गई है।
अलग-अलग टेंडर
छत्तीसगढ़ पीडब्लूडी के एक रिटायर ईएनसी का कहना है कि अलग-अलग जगहों पर अगर निर्माण कार्य होना है तो टेंडर अलग-अलग करना चाहिए। क्योंकि, कवर्धा और जांजगीर की कनेक्टिविटी बढ़ियां है, सामग्री की उपलब्धता भी होगी। इसलिए मनेंद्रगढ़ और गीदम की तुलना में इन दोनों का रेट कम होना चाहिए।
क्वालिटी की मानिटरिंग भी अलग-अलट टेंडर होने पर ठीक से किया जा सकता है। पूर्व प्रमुख अभियंता ने कहा कि भले ही एक ही पार्टी को टेंडर मिल जाए, मगर एक साथ नहीं करना चाहिए।