CG korba District: क्यों कहलाती है कोरबा "ऊर्जा नगरी"?, जानिए कोरबा जिले के रोचक तथ्य

CG korba District: क्यों कहलाती है कोरबा "ऊर्जा नगरी"?, जानिए कोरबा जिले के रोचक तथ्य

CG korba District: छत्तीसगढ़ राज्य का कोरबा जिला ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसे “ऊर्जा नगरी” के नाम से जाना जाता है. यह जिला विशेष रूप से बिजली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, कुछ कंपनियों के कारण कोरबा का अच्छा विकास हुआ है और यहां देश के विभिन्न हिस्सों से लोग रोजगार की तलाश में आते हैं. कोरबा का इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता इस क्षेत्र को एक अद्वितीय पहचान प्रदान करते हैं. आइए जानते हैं कोरबा जिले की जानकारी

कोरबा जिले का इतिहास

कोरबा क्षेत्र में आजादी से पहले, 5 रियासतों का उल्लेख मिलता है, जिनमें कोरबा, छुरी, उपरोड़ा, मातिन और लाफा जमींदारियां शामिल थीं. अब एकमात्र उपरोड़ा जमींदारी का लिखित इतिहास बचा है. कोरबा जिले का गठन 25 मई 1998 को हुआ. कोरबा, छत्तीसगढ़ की शक्ति राजधानी के रूप में भी पहचाना जाता है और यह बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आता है. जिले में प्रमुख रूप से आदिवासी जनसंख्या निवास करती है, जिनमें संरक्षित जनजाति कोरवा (पहाड़ी कोरवा) प्रमुख हैं.

कोरबा की प्रशासनिक जानकारी

कोरबा जिले का क्षेत्रफल 7,145.44 वर्ग किलोमीटर है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की कुल आबादी 12,06,640 है। इस जिले में 5 विकासखंड, 792 गांव और 5 नगरपालिका हैं. यहां के आदिवासी निवासी जिले की कुल जनसंख्या का 51.67% हैं. कोरबा के मुख्य उद्योगों में बिजली उत्पादन, कोयला खनन और एल्युमिनियम उत्पादन शामिल हैं। इन उद्योगों ने जिले में एक मजबूत आर्थिक ढांचे का निर्माण किया है.

जानिए क्यों कहलाती है कोरबा “ऊर्जा नगरी”

कोरबा को “ऊर्जा नगरी” कहा जाता है क्योंकि यहाँ छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी और एनटीपीसी सहित कई निजी कंपनियों के विद्युत संयंत्र संचालित हैं, जो राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करते हैं. इसके अलावा, कोरबा में स्थित एशिया का सबसे बड़ा खुला कोयला खदान, गेवरा माइंस, जो साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा संचालित है, भी इस क्षेत्र के ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है. साथ ही, भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम संयंत्र, भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) भी कोरबा में स्थित है, जो जिले को ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करता है.

कोरबा जिले में कृषि

कोरबा जिले में मुख्य रूप से धान की खेती की जाती है. इसके अलावा, मक्का, कोदो-कुटकी जैसी अनाज फसलों के साथ-साथ अरहर, मूंग, उड़द, चना और मटर जैसी दलहन फसलें भी उगाई जाती हैं. तिलहन में मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी की खेती प्रमुख रूप से की जाती है. इसके अलावा, तिवड़ा, मसूर, स्ट्रॉबेरी और गुलाब जैसी अन्य फसलों का भी उत्पादन किया जाता है. यह विविध कृषि उत्पादन जिले के कृषि क्षेत्र की समृद्धि को दर्शाता है और कोरबा को एक कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में स्थापित करता है.

कोरबा जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल

कोरबा सिर्फ अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता के लिए नहीं, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं:

1. चैतुरगढ़

कोरबा शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित चैतुरगढ़, मैकाल पर्वत श्रृंखला की एक उच्चतम चोटी है. इस स्थान को ‘छत्तीसगढ़ का कश्मीर’ भी कहा जाता है क्योंकि यहां का तापमान गर्मी के मौसम में भी 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं जाता. चैतुरगढ़ किला यहां का प्रमुख आकर्षण है, जिसमें तीन मुख्य प्रवेश द्वार है- मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार. किले के पास स्थित महिषासुर मर्दिनी मंदिर में 12 हाथों वाली मूर्ति स्थापित की गई है. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा आयोजित की जाती है. मंदिर के पास एक शंकर खोल गुफा भी है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है.

2. देवपहरी जलप्रपात

देवपहरी जलप्रपात कोरबा से 58 किलोमीटर दूर स्थित है. यह जलप्रपात चौराणी नदी के किनारे स्थित है और इसे गोविंद कुंज झरना भी कहा जाता है. यह जगह पिकनिक मनाने और प्राकृतिक दृश्य का लुत्फ उठाने के लिए आदर्श स्थान है.

3. कोसाईगढ़

कोसाईगढ़ गांव कोरबा से 25 किलोमीटर दूर फुटका पहाड़ पर स्थित है. यहां माता कोसगाई का प्रसिद्ध मंदिर है और यह धार्मिक स्थल क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है. किले का प्रवेश द्वार संकरा और गुफा जैसा है, जो इसे और भी रोमांचक बनाता है. किले के चारों ओर घना जंगल है, जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं.

4. केंदई जलप्रपात

कोरबा से लगभग 85 किलोमीटर दूर स्थित केंदई जलप्रपात एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है. यह झरना पहाड़ी नदी से बनता है और 75 फीट ऊंचा है. इसके पास स्वामी सदानंद का आश्रम भी है, जो पर्यटकों को एक शांत वातावरण प्रदान करता है. यह स्थान खासकर परिवारों और मित्रों के साथ पिकनिक के लिए आदर्श है.

5. पाली

पाली, कोरबा जिले की एक प्रमुख तहसील है और यह मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां स्थित मंदिर का निर्माण बांण वंशी राजा विक्रमादित्य ने लगभग 900 ईसवी में करवाया था. इस मंदिर का वास्तुशिल्प खजुराहो और सोहगपुर के मंदिरों से मेल खाता है. लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर अपनी मूर्तियों और अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है.

6. मड़वारानी मंदिर

मड़वारानी मंदिर कोरबा-चांपा रोड पर स्थित है और यह स्थान पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का विशेष उत्साह देखने को मिलता है. यह मंदिर स्थानीय धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन चुका है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है.

7. कनकी

कनकी गांव, कोरबा से 20 किलोमीटर दूर हसदो नदी के तट पर स्थित है. यह धार्मिक स्थल कंकेश्वर महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर के पास नौ कोने वाला तालाब है, जो पूरे वर्ष पानी से भरा रहता है. इस मंदिर के अलावा, यहां भगवान शिव-पार्वती और दुर्गा देवी की मूर्तियां भी स्थापित हैं. घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक आदर्श स्थल है.

कोरबा जिले की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता

कोरबा जिला न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता भी इसे विशिष्ट बनाती है. यहां के लोग विभिन्न धार्मिक विश्वासों के हैं और जिले में विभिन्न त्योहारों का उत्साहपूर्वक पालन किया जाता है. आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ें यहां के समाज में हैं, और यह स्थान उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों का प्रतीक है. साथ ही, विभिन्न हिन्दू मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल इस जिले की सांस्कृतिक विरासत को संजोते हैं.

FAQS

प्रश्न 1. कोरबा जिले में कितनी तहसीलें हैं?

उत्तर: वर्तमान में कोरबा, करतला, कटघोरा, पाली, पोड़ी उपरोड़ा तहसील हैं.

प्रश्न 2. कोरबा जिला कब बना था?

उत्तर: 25 मई, 1998 को कोरबा ज़िला बना था.

प्रश्न 3. कोरबा जिले के कलेक्टर कौन है?

उत्तर: कोरबा जिले के वर्तमान कलेक्टर अजीत वसंत हैं.

प्रश्न 4. कोरबा का पिन नंबर क्या है?

उत्तर: कोरबा का पिन नंबर 495677 है.

प्रश्न 5. कोरबा क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: कोरबा, कोयला खदानों, और बिजली संयंत्रों के लिए प्रसिद्ध है.

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share