उत्तराखंड: चार माह से सफाई का ढिंढोरा पीट रहा नगर निगम

उत्तराखंड: चार माह से सफाई का ढिंढोरा पीट रहा नगर निगम

आजकल देश के चुनिंदा शहरों में सफाई का खेल चल रहा है। सबसे स्वच्छ शहर यानी स्वच्छता सर्वेक्षण की परीक्षा राष्ट्रीय उत्सव का रूप धारण कर चुकी है। अपने शहर में भी यह ‘उत्सव’ जोरों से मनाया जा रहा। उत्सव मनाने के लिए नगर निगम बीते चार माह से सफाई का ढिंढोरा पीट रहा। चार माह चली तैयारी के बाद अब परीक्षा की घड़ी आ गई है।

इसके लिए महकमा तैयार भी है व निश्चित भी। उन्हें पता है कि जो परीक्षक आ रहे हैं, वह पहले कागज में दर्ज रिकार्ड में सफाई देखेंगे। इसके बाद परीक्षकों की टीम सड़कों पर सैर को जाएगी, जो आजकल सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा साफ-सुथरी ही नजर आती हैं। मुख्य सड़क पर रखे डस्टबिन पेंट किए जा रहे, दीवारों पर कलाकृति एवं रंग-रोगन भी कराए जा रहे। खैर, परीक्षा में अव्वल तो वही शहर होगा, जिसने परीक्षकों का पूरा ख्याल रखा होगा।

अतिक्रमण या शहर का दुर्भाग्य

इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अतिक्रमण होना भले कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन अतिक्रमण हटाना आज शहर का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। ‘सुंदर दून-स्वच्छ’ दून की तस्वीर आज अतिक्रमण ने बिगाड़ कर रख दी है। अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की उदासीनता को लेकर उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन इनका  खामियाजा आम लोगों को भी भुगतना पड़ रहा। अतिक्रमण के कारण सिकुड़ती सड़कों पर लोग रोज जाम के झाम से जूझ रहे हैं। अतिक्रमण हटाने को लेकर कभी-कभी जिम्मेदार विभाग खानापूर्ति के लिए अभियान चलाते हैं,लेकिन हकीकत यह है कि सड़कों और फुटपाथ से आगे-आगे अतिक्रमण हटाया जाता है वहीं पीछे-पीछे फिर अतिक्रमण सज जाता है। अब एक बार फिर जिले के हाकिम सी. रविशंकर ने शहर में जंजाल बने अतिक्रमण हटाने की बात कही है लेकिन यह अभियान अंजाम तक पहुंचेगा या खानापूर्ति साबित होगा यह समय ही बताएगा।

धीरे से लगा चार छुट्टियां का जोर का झटका

नए साल की छुट्टियों में सरकारी कर्मियों की चार छुट्टियां रविवार के कारण गोल हो गईं, यह बात कर्मियों को ऐसे कचोट रही, मानों कोई आसमानी बिजली आ गिरी हो। साल शुरू होने से पहले ही नए साल का कैलेंडर देखकर छुट्टियों का गणित बैठाने वाले सरकारी कर्मियों के तो कईं माह पूर्व बनाए जाने वाले प्लान फेल हो गए। असल में इस वर्ष तीन छुट्टियां गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), मुहर्रम (30 अगस्त) व दशहरा (25 अक्टूबर) रविवार को पड़ रहे। इसके अलावा गोवर्धन पूजा (15 नवंबर) को भी रविवार पड़ रहा। चलो जो भी हुआ लेकिन अब कर्मी कुछ और जुगाड़ भिड़ाने की सोच रहे है। ताकि जब मौका मिले तो बाहर घूमने जाने का प्लान बनाने में उन्हें फिर दिक्कत न उठानी पड़े। उनका ये उतावलापन जायज भी है, क्योंकि बात केवल अपनी मौज-मस्ती की थोड़ी है, बीबी-बच्चों की ख्वाहिशें भी तो पूरी करनी हैं।

एक झोली से दो में डाली मुसीबत

कूड़ा डंपिंग जोन की करें तो नगर निगम ने एक जगह से मुसीबत को निकालकर दो जगह डाल दी। निगम ने सहस्रधारा रोड से ट्रेंचिंग ग्राउंड हटाकर वहां की मुसीबत तो खत्म कर दी पर लेकिन दूसरी जगह के लोगों को यह स्थायी रूप से दे दी। दरअसल, सहस्रधारा रोड निवासियों ट्रेंचिंग ग्राउंड हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। कोर्ट के आदेश पर यहां कूड़ा डालना बंद कर निगम ने पूरा कूड़ा शीशमबाड़ा में डंप करना शुरू किया। अब निगम ने हरिद्वार बाइपास पर एक और कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन बनाया हुआ है। वहां छोटी गाड़ी में कूड़ा लाकर पहले डंप किया जाता है और फिर बड़े ट्रकों में यह कूड़ा शीशमबाड़ा पहुंचाया जा रहा है। शीशमबाड़ा में कूड़े की दुर्गंध से पहले ही हजारों ग्रामीण परेशान हैं, अब हरिद्वार बाइपास पर रिहायशी इलाके के पास बना यह ट्रांसफर स्टेशन भी लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है।

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share