शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण: सरकार से ड्राफ्ट को हरी झंडी नहीं! शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण रुका

रायपुर: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया ठहर गई है. स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्ताव भेजने के दसेक दिन बाद भी अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. बता दे इस प्रक्रिया के बाद 12000 से अधिक शिक्षकों का स्थानांतरण होना है. यह कारण है कि छत्तीसगढ़ के करीब पौने 2 लाख शिक्षकों की निगाहेँ इस पर टिकी की हुई है.
पता चला है, स्कूल शिक्षा विभाग ने कैबिनेट से सहमति मिलने के बाद युक्तियुक्तकरण का ड्राफ्ट तैयार करके सरकार को भेजा था, उस पर सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है. बताया ये जा रहा है कि युक्तियुक्तकरण के ड्राफ्ट से सरकार संतुष्ट नहीं है. इसी वजह से मामला अटक गया है.
हालांकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ही युक्तियुक्तकरण के जरिए शिक्षकों की कमी की समस्या को हल करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री के पास अभी स्कूल शिक्षा विभाग के अभी दायित्व है. शिक्षकों की कमी समेत स्कूलों की अन्य समस्याओं को लेकर उन्होंने रिव्यू किया था. इसी बैठक में फैसला लिया गया था कि शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करके फिलहाल इस समस्या को दूर किया जाए. मुख्यमंत्री नए विधानसभा के मानसून सत्र में भी सदन को शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की जानकारी दी थी.
मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करने का ड्राफ्ट तैयार किया. शिक्षा विभाग के सूत्रों कहना है कि युक्ति उपकरण के बाद बड़ी संख्या में स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाएगा. इसके साथ ही 12000 से अधिक शिक्षकों का स्थानांतरण भी होना है. शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसमें सहायक शिक्षक, शिक्षकों और व्याख्याताओं का ट्रांसफर पर कलेक्टर लेवल पर होगा. इसके बाद जो पद बच जाएंगे वह जेडी और डीपीआई लेवल पर तबादला किया जाएगा.
जाहिर सी बात है, मुख्यमंत्री से अनुमोदन मिलने के बाद ही शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया संभव हो पाएगी. मगर इससे पहले सरकार स्कूल शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण के ड्राफ्ट से संतुष्ट होना चाहेगी.
7300 अतिशेष शिक्षक
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में इस समय 7300 से ज्यादा अतिशेष शिक्षक हैं. इसके अलावा स्कूलों का युक्तियुक्तकरण होगा, उससे भी करीब 5000 शिक्षक अतिशेष होंगे. कुल मिलाकर अतिशेष शिक्षकों की संख्या 12000 से ऊपर जाएगी. छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा की विडंबना यह है कि 5500 से अधिक स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे से चल रहे हैं और करीब 300 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. यानी 300 से अधिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं.






