शक्तिवर्धक दवाओं से लेकर ड्रग्स तैयार करने के लिए पैंगोलिन का बढ़ रहा शिकार, 40 हजार से अधिक शिकार के मामले दर्ज

शक्तिवर्धक दवाओं से लेकर ड्रग्स तैयार करने के लिए पैंगोलिन का बढ़ रहा शिकार, 40 हजार से अधिक शिकार के मामले दर्ज

देहरादून। शक्तिवर्धक दवाओं से लेकर ड्रग्स तैयार करने और अब तंत्र-मंत्र के लिए पैंगोलिन (सल्लू सांप) का शिकार विश्वभर से तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते यह अति संकटग्रस्त श्रेणी में आ चुका है और अध्ययन तक के लिए पैंगोलिन नजर नहीं आ रहे। स्थिति यह है कि इस साल जनवरी से लेकर अब तक 40 हजार से अधिक पैंगोलिन के शिकार के मामले सामने आ चुके हैं। यह आंकड़ा विश्व पैंगोलिन दिवस पर आयोजित गोष्ठी में ट्रैफिक इंडिया ने जारी किया।

दि वाइल्डलाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क (ट्रैफिक) इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2006 से 2015 के बीच विश्वभर में 11 लाख से अधिक पैंगोलिन का शिकार किया गया। भारत की बात करें तो वर्ष 2009 से 2006 के बीच करीब 6000 पैंगोलिन के शिकार की बात सामने आ चुकी है। ट्रैफिक इंडिया के प्रतिनिधि अभिषेक सिंह ने बताया कि पैंगोलिन के अस्तित्व पर खतरा दिनों-दिन बढ़ रहा है। विश्वभर में विभिन्न कारणों से पैंगोलिन के स्केल्स (शल्क) की बढ़ती मांग का ही कारण है कि वर्ष 2009 से 2017 के बीच 23 हजार किलो पैंगोलियन उत्पाद हवाई मार्ग के माध्यम से ले जाते हुए पकड़े जा चुके हैं।

डब्ल्यूआइआइ ने शुरू की डीएनए सैंपलिंग

तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) ने उत्तराखंड में पैंगोलिन की डीएनए सैंपलिंग शुरू की है। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि अब तक राजाजी टाइगर रिजर्व से 20 सैंपल लिए जा चुके हैं। जल्द ही प्रदेश के अन्य हिस्सों से 30 और सैंपल लिए जाएंगे। डीएनए का डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। इससे यहां के पैंगोलिन का मांस आदि कहीं भी पकड़े जाते हैं तो उसका पता आसानी से चल जाएगा।

पैंगोलिन के संरक्षण को सामूहिक प्रयास जरूरी 

विश्व पैंगोलिन दिवस पर अति संकटग्रस्त इस प्राणी के संरक्षण का संकल्प लिया गया। विशेषज्ञों ने पैंगोलिन के शिकार की स्थिति बयां की और बताया कि किस तरह संरक्षण के प्रयास किए जा सकते हैं। शनिवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में उत्तराखंड जैवविविधता बोर्ड की ओर से आयोजित कार्यक्रम की उद्घाटन पूर्व पीसीएफ एमसी घिल्डियाल ने किया।

उन्होंने पैंगोलिन के संरक्षण पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने पैंगोलिन के संरक्षण पर जानकारी दी। इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक जयराज, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मोनिष मलिक, जैवविविधता बोर्ड अध्यक्ष डॉ. राकेश शाह, सदय सचिव एसएस रसाईली, उप निदेशक धनंजय आदि उपस्थित रहे।

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