राहुल गांधी ने उत्तराखंड में बादल फटने की घटना पर जताया दुख, उत्तराखंड सरकार से सहायता पहुंचाने की अपील की

राहुल गांधी ने उत्तराखंड में बादल फटने की घटना पर जताया दुख, उत्तराखंड सरकार से सहायता पहुंचाने की अपील की

देहरादून : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड में मूसलधार वर्षा और कई स्थानों पर बादल फटने की घटना पर दुख जताया है। उन्होंने पार्टी के सभी कार्यकर्त्ताओं को बचाव व राहत कार्यों में जुटने को कहा है।

 उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश में आई आपदा के संबंध में चिंता जताने के लिए राहुल गांधी का प्रदेश संगठन की ओर से आभार व्यक्त किया है।

माहरा ने कहा कि बीते दिन उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था। प्रभावित व्यक्तियों से मुलाकात कर उनको ढाढस बंधाया। सरकार को भी कांग्रेस की चिंता से अवगत कराया है।

भाजपा-कांग्रेस के नेताओं ने किया प्रभावित क्षेत्र का दौरा

देहरादून के रायपुर विकासखंड के प्रभावित क्षेत्र सरखेत, तिमली, भैंसवाड़, घंतु का सेरा व सेरखी गांवों का भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने रविवार को दौरा किया। उन्होंने प्रभावित परिवारों की कुशक्षेम पूछी।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री त्रितेंद्र सिंह रावत व कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भ्रमण के दौरान प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राजधानी से मात्र 15 किलोमीटर दूर आपदा के बाद आपदा प्रबंधन के ये हाल हैं तो राज्य के दूरस्थ इलाकों की कल्पना करना मुश्किल है।

रायपुर विकासखंड और टिहरी के सकलाना पट्टी के आपदाग्रस्त गांवों का भ्रमण करने के बाद नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब राजधानी के आसपास के इलाकों में लोग आपदा से मर रहे थे या बेघर हो रहे थे तब सरकार उत्सव में मस्त थी।

आपदा प्रभावित इन इलाकों में सैकड़ों बीघा जमीनें, कई घर और पशु मलबे से दबे हैं। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रभावित परिवारों का तत्काल पुर्नवास की मांग की।(जासं)

बांदल स्रोत से जलापूर्ति बहाल नहीं, आधे शहर में संकट

बादल फटने के चलते बांदल जलस्रोत मलबा आने से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके चलते यहां से दिलाराम स्थित वाटर वर्क्स के लिए होने वाली पेयजल आपूर्ति बंद चल रही है।

स्रोत पर मलबा अधिक भर जाने से रविवार शाम तक तक पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं की जा सकी है। बांदल स्रोत 18 से 20 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति की जाती है। यह पानी आधे शहर की जरूरत पूरी करता है। स्रोत को नुकसान पहुंचने से शहर में पेयजल का संकट पैदा होने लगा है।

जल संस्थान के अधिकारी आठ एमएलडी के लिए एक अन्य स्रोत व ट्यूबवेल की आपूर्ति से व्यवस्था बना रहे हैं। हालांकि, पेयजल की आपूर्ति कम होने के चलते इसमें कटौती भी करनी पड़ रही है। जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग के मुताबिक, मलबा पेयजल लाइनों तक में भर गया है।

विभाग के अधिकारी व कार्मिक रात में भी जनरेटर की मदद से मलबा हटाने का काम कर रहे हैं। देर रात तक कम मात्रा में पेयजल की आपूर्ति शुरू की जा सकी, लेकिन यह पानी भी सुबह तक वाटर वर्क्स पहुंच पाएगा। उम्मीद की जा रही है कि सोमवार शाम तक बांदल स्रोत से पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी जाएगी।

25 में से 20 क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बहाल

मालदेवता, सरखेत, सौड़ा सरोली आदि क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त बिजली की लाइनों को जोड़ने और खंभों को खड़ा करने का काम तेजी से चल रहा है। ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि आपदा के चलते 25 क्षेत्रों की बिजली व्यवस्था बाधित हो गई थी।

रविवार देर शाम तक 20 क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है। सोमवार दिन तक बाकी क्षेत्रों में भी बिजली की आपूर्ति सुचारू कर दी जाएगी।

प्रभावित परिवारों ने कहा, सरकार मकान बनाने को दे जमीन और 10 लाख रुपये

सरखेत पीपीसीएल गांव के दस परिवारों पर कुदरत का ऐसा कहर टूटा कि आज उनके पास जिंदगी के सिवाय कुछ नहीं बचा। बांदल नदी का विकराल रूप दस परिवारों के घरों को जमींदोज कर गया। जैसे-तैसे दस परिवारों ने भागकर रातभर जंगल में रहकर जान बचाई। आंखों के सामने उनके घरों का पूरा सामान मलबे के ढेर में समां गया।

प्रशासन ने इन दस परिवारों को मालदेवता स्थित शिव जूनियर हाईस्कूल में बनाए गए राहत शिविर में रहने की व्यवस्था की है। रेशमा देवी ने बताया कि उनका सबकुछ तबाह हो गया है। बांदल नदी के विकराल रूप ने उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दिया है।

हमारी सरकार और शासन से मांग है कि सरखेत पीपीसीएल गांव में प्रभावित परिवारों को जमीन मुहैया कराई जाए और मकान बनाने के लिए 10-10 लाख रुपये मुआवजा भी दिया जाए। प्रभावित संजय कुमार ने कहा कि ग्रामीणों की और कहीं कोई भूमि नहीं है। वह पूरी तरह भूमिहीन हो गए हैं।

कई परिवारों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं हैं। मवेशी व दुकानें बहने के बाद अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। शिविर में इनके अलावा फिमला देवी, संजय, सुखपाल, राजेश, सुभाष, सुरेश, सोहनलाल, दिनेश सिंह, दीपक पंवार, शूरवीर सिंह, मनोज पंवार, दिनेश पंवार, मनोज पांवार, रेश्मा सुभाष व संजय कुमार शरण लिए हुए हैं।

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