SDM Power: एसडीएम के पावर पर सवालः राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एसीईसीएल सीएमडी को एसडीएम कैसे तलब कर सकता है?…

SDM Power: एसडीएम के पावर पर सवालः राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एसीईसीएल सीएमडी को एसडीएम कैसे तलब कर सकता है?…

SDM Power: रायपुर। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में कोयला खनन करने वाली साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी है। भारत सरकार के उपक्रमों के सीएमडी के नियोक्ता राष्ट्रपति होते हैं। राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कोयला मंत्रालय सीएमडी का आदेश जारी करता है।

बिलासपुर स्थित एसईसीएल मुख्यालय के भीतर शीर्ष अफसरों की नेहरू शताब्दी नग कालोनी है। इसमें बड़ी संख्या में हरे-भरे गुलमोहर के पेड़़ लगे हुए थे। एसईसीएल के पुराने अधिकारियों ने हरियाली के लिए बड़े शौक और शिद्दत से गुलमोहर लगवाया था। ताकि कालोन के साथ ही आसपास का पर्यावरण बढ़ियां रहे। मगर बाद के अधिकारियों ने हरे-भरे पेड़ों को बेरहमी से कटवा डाला।

प्रशासन से इसकी शिकायत हुई। बिलासपुए एसडीएम की रिपोर्ट के अनुसार जांच में पेड़ों की कटाई सही पाई गई। इसके बाद एसडीएम ने एसईसीएल सीएमडी को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर जवाब पेश करने कहा है।

अब सवाल उठता है, क्या एसडीएम भारत सरकार की किसी कंपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को नोटिस दे सकता है?

एसडीएम को असिमित पावर

जिस तरह जिले में कलेक्टरों को दंडाधिकारी की हैसियत से असिमित पावर होते हैं, उसी तरह सब डिवीजन में एसडीएम को पूरे पावर होते हैं। शांति भंग करने या अवैध गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर किसी भी स्तर के व्यक्ति को नोटिस दे सकता है। एक रिटायर चीफ सिकरेट्री ने इस बारे में एनपीजी न्यूज से कहा कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति काम करने के लिए की जाती है। इसका मतलब यह नहीं हुआ कि वह अधिकारी नियम-कायदों से उपर उठ गया। बड़ा-से-बड़ा व्यक्ति कानून से उपर नहीं है।

कौन होते हैं एसडीएम

जिलों के प्रशासनिक ढांचों में एसडीएम की भूमिका अहम होती है। एक जिले में कई अनुविभाग होते हैं। उन सभी अनुविभागों में एक अनुविभागीय अधिकारी याने सब डिवीजनल आफिसर होता है।

अनुविभाग के मुखिया एसडीओ के पास दंडाधिकारी पावर होते हैं। लिहाजा, उसे एसडीएम याने सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट भी कहा जाता है।

एसडीएम के पावर

एसडीएम अपने अनुविभाग का दंडाधिकारी भी होता है। शांति भंग करने की स्थिति में वह किसी को भी दंडाधिकारी शक्तियों का इस्तेमाल कर जेल भेज सकता है। वहीं, शांति भंग जैसी 151 की धाराओं में उसे जमानत देने की शक्तियां भी हासिल होती है।

इसके अलावा अवैधानिक गतिविधियां चलाने के आरोप में वह किसी भी संस्थान को सील कर सकता है। थानों का आकस्मिक निरीक्षण के अलावा अपने अनुविभाग में बने जेलों का भी निरीक्षण एसडीएम कर सकता है। राजस्व वसूली की समीक्षा के अलावा अनुविभाग के सभी शासकीय कार्यालयों के निरीक्षण, शासकीय अधिकारी कर्मचारियों के कामों का समन्वय व समीक्षा एसडीएम कर सकता है।

राजस्व विभाग के अलावा कृषि, पशुपालन, सहकारिता, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य विभाग की समीक्षा कर सकता है। क्षेत्र के पेट्रोल पंपों , राइस मिलों, शासकीय, अशासकीय स्कूलों का निरीक्षण कर सकता है।

जमीन डायवर्सन के अधिकार

नगरीय निकाय चुनावों, विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में एसडीएम निर्वाचन अधिकारियों की भूमिका निभाते हैं। इस तरह से वे नामांकन दाखिले से लेकर निरस्तीकरण, वोटिंग के अलावा चुनाव ड्यूटी लगाने तक की सारी व्यवस्थाएं करने की शक्ति रखते हैं।

भूमि डायवर्सन की शक्तियां एसडीएम के पास होती है। जमीन के पुराने खसरे नक्शे में त्रुटि सुधार की शक्ति एसडीएम के पास है। भूमि अर्जन की कार्यवाही व मुआवजा वितरण की कार्यवाही एसडीएम कार्य है। तहसीलदार व नायब तहसीलदार के फैसलों की अपील एसडीएम सुनता है।

अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों के पंच-सरपंच को भ्रष्टाचार या गड़बड़िया करने पर धारा 40 के तहत पद से निष्कासित करने की शक्ति एसडीएम के पास होती है।

एसडीएम ग्रामीण विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले कई प्रसिद्ध मंदिरों व ट्रस्ट के प्रशासक के रूप में एसडीएम काम करता है।

कलेक्टर को रिपोटिंग

जिस तरह जिलों में सरकार का प्रतिनिधि कलेक्टर होता है, उसी तरह अनुविभागों में कलेक्टर का प्रतिनिधि एसडीएम होता है। एसडीएम की पोस्टिंग भी कलेक्टर करते हैं। राज्य सरकारें राज्य प्रशासनिक अफसरो ंकी पोस्टिंग जिले में कर देती है, मगर किसे एसडीएम बनाना है, यह उस जिले का कलेक्टर तय करता है।

चूकि कलेक्टर पूरे जिले का मुखिया होता है। सो, जिले में सुचारु तौर पर कार्य संचालन के लिए एसडीएम की नियुक्ति में कलेक्टरों को पूरा अधिकार दिया गया है।

ये है हरे-भरे पेड़ कटाई का मामला…

प्रबंधन पर 500 हरे-भरे गुलमोहर क़े पेड़ों की अवैध कटाई का गंभीर आरोप लगाया गया है। हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवाने वाले एसईसीएल के इस कृत्य पर बिलासपुर शहर के पर्यावरण प्रेमियों ने गंभीर नाराजगी जताई है। पर्यावरण प्रेमी अनिल तिवारी व प्रथमेश मिश्रा ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि बिलासपुर के पर्यावरण को तबाह करने वाले बाहरी अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए.

एसईसीएल द्वारा पेड़ों पर बेदर्दी के साथ कटाई कराने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बिलासपुर एसडीएम को जांच कराने का निर्देश दिया था। जांच में शिकायतकर्ता के आरोप को सही पाया गया है।

पटवारी ने जांच रिपोर्ट में 146 से अधिक पेड़ों की कटाई की पुष्टि की है। बिलासपुर एसडीएम पीयूष तिवारी ने एसईसीएल के सीएमडी को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा है। एसडीएम ने यह भी चेतावनी दी है कि तय समयावधि में नोटिस का जवाब ना मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

एसडीएम ने सीधे सीएमडी को किया तलब

पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने के आरोप में एसडीएम ने सीधे एसईसीएल के सीएमडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके लिए तीन दिन का समय भी दिया है।

क्या है शिकायत में

शिकायतकर्ता अमित मिश्रा ने शिकायत कर बताया कि बिलासपुर चांटीडीह क्षेत्र में स्थित एसईसीएल मुख्यालय के अंदर नेहरू शताब्दी नगर है। यहां पर गुलमोहर झाड लगाए गए थे। गुलमोहर के जंगल में 20 से 25 साल पुराने लगभग 500 पेड़ों की अवैध कटाई की गई है। पटवारी हल्का नंबर 33 ने मामले की जांच के बाद रिपोर्ट एसडीएम को सौंप दिया था। पेश रिपोर्ट में खसरा नंबर 56, रकबा 4.2552 हेक्टेयर में लगे कुल 143 गुलमोहर के पेड़ बिना अनुमति काटने की पुष्टि की गई है। काटे गए पेड़ों में 27 बड़े पेड़ प्रत्येक 4 मीटर मोटे और 116 मध्यम व छोटे पेड़ शामिल हैं।

पर्यावरण कानून का उल्लंघन

बिना अनुमति वृक्षों की कटाई छत्तीसगढ़ भू-संसाधन संहिता, 1959 की धारा 240 और वृक्ष कटाई नियम 2022 के नियम-5 का उल्लंघन है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि तीन दिन के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो एसईसीएल के सीएमडी पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

एसडीएम की नोटिस में यह सब

एसईसीएल सीएमडी को जारी नोटिस में एसडीएम ने लिखा है कि उपरोक्त कृत्य वृक्ष कटाई की अनुमति हेतु छ.ग.भू.रा.सं., 1959 की धारा 240 के अधीन निर्मित वृक्ष कटाई के नियम, 2022 के नियम-5 का उल्लंघन है। अतः क्यों न संहिता की धारा 241 के नियम 04 के तहत् शास्ति अधिरोपित किया जाये।

इस संबंध में अपना जवाब तीन दिवस के भीतर समक्ष में उपस्थित होकर प्रस्तुत करें। निर्धारित तिथि को प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं होने पर एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।

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