अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचने का विचार, विपक्ष सहमत नहीं
राज्य सरकार अपनी अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचने (मुद्रीकरण) पर गंभीरता से विचार कर रही है। प्रदेश की विकास दर को अगले पांच साल में दोगुना करने के लिए तैनात की गई अमेरिकी एजेंसी मैकेंजी ग्लोबल को इसकी कार्ययोजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है।
सरकार की ऐसी परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से नई जरूरत के हिसाब से पूंजी जुटाने की योजना है, ताकि वह अपनी आज की जरूरत के हिसाब से योजनाएं और अवस्थापना तैयार कर सके। विपक्ष सरकार के इस विचार से सहमत नहीं है। वह आशंकित है कि संपत्तियों को बेचकर पूंजी जुटाने का रास्ता राज्य के दीर्घकालिक हितों को चोट पहुंचाएगा।
बता दें कि राज्य गठन के बाद से प्रदेश सरकार के पास पूरे प्रदेश में ऐसी परिसंपत्तियां हैं, जो बेकार हैं या उनसे किसी भी तरह के राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है। ये परिसंपत्तियां छोटे कारखाने, होटल, रेस्ट हाउस, उद्यान, सरकारी भवनों आदि के रूप में मौजूद हैं।
सरकार के स्तर पर यह भी विचार है कि सचिवालय, विधानसभा या निदेशालय स्तर के कई भवन जो राजधानी के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में हैं, उनका मुद्रीकरण कर उस पूंजी से आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों के साथ सरकारी दफ्तरों का एक कलस्टर बना दिया जाए जहां अफसरों और कर्मचारियों के लिए भी आवासीय परिसर हों।