GGU Bilaspur: योग के बहाने 155 हिंदू छात्रों को धमकाकर नमाज का गंभीर आरोप मगर सवाल भी…इतनी बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी के छात्रों को डराना संभव है?

GGU Bilaspur: बिलासपुर। गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के एनएसएस कैंप में नमाज पढ़ाए जाने की पुलिस में रिपोर्ट किए जाने से सूबे में आज हड़कंप मच गया। कुछ विद्यार्थियों ने पुलिस को दिए आवेदन में कैंप के दौरान जबरदस्ती धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने और नमाज पढ़ने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है। नमाज नहीं पढ़ने पर डराने धमकाने की शिकायत थाने में की गई है।
पता चला है, बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर कोटा के पास एनएसएस का कैंप लगा था। इसमें हिस्सा लेने 159 छात्र गए थे। इनमें चार मुस्लिम छात्र थे और 155 हिन्दू। 29 मार्च की शाम सभी ने एक साथ नवरात्रि की आरती की। अगले दिन 30 मार्च को ईद थी। आरोप है कि ईद के दिन योग के बहाने नमाज पढ़ने पर विवश किया गया। समन्वयक दिलीप झा पर छात्रों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
छात्रों की शिकायत के बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने एनएसएस समन्वक दिलीप झा को हटा दिया है। हालांकि, दिलीप झा ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि कैंप में इस तरह की कोई घटना ही नहीं हुई। उधर, बिलासपुर के एसपी रजनेश सिंह ने कहा कि छात्रों के आवेदन की जांच की जाएगी। इसके बाद पुलिस कोई कदम उठाएगी।
छात्रों द्वारा थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के बाद यह सवाल भी उठने लगा है कि लंबी चुप्पी के बाद आखिर वो कौन सी बात है कि छात्र सीधे थाने पहुंच गए। आश्चर्य इस पर भी व्यक्त किया जा रहा कि विवि के कुलपति या रजिस्ट्रार को घटना की जानकारी क्यों नहीं दी गई? फिर यूनिवर्सिटी के 155 स्टूडेंंट कैसे और क्यों डर गए?
बिलासपुर के कोनी थाना क्षेत्र में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी संचालित है। प्रदेश की यह एकमात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। 1985 में स्थापना के बाद यह राज्य विश्वविद्यालय था। 15 जनवरी 2009 को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद यहां देश भर से विद्यार्थी पढ़ते आते हैं। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना का 7 दिवसीय कैंप आयोजित किया गया था। यह कैंप 26 मार्च से 1 अप्रैल 2025 तक शिवतराई के कोटा में आयोजित किया गया था। इसमें कुल 159 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे।
शिकायत के अनुसार 30 मार्च को ईद उल फितर के दिन सुबह कैंप में योग का कार्यक्रम हुआ। फिर चार मुस्लिम छात्रों को मंच पर बुलाकर नमाज पढ़वाया गया। साथ ही आदेश दिया कि इन चारों मुस्लिम छात्रों के साथ कैंप में शामिल सभी विद्यार्थियों को नमाज पढ़ना है। पुलिस को लिखे शिकायत में छात्रों ने आरोप लगाया है कि ऐसा कराने से पहले ना तो उनकी सहमति ली गई और ना ही अनुमति।
उन्हें नमाज पढ़ने के लिए डराया धमकाया गया। नमाज पढ़ने के लिए मजबूर करने पर जब विरोध किया तो प्रमाण पत्र रद्द करने की धमकी दी गई। अनुशासनहीनता के लिए नोटिस थमाने का डर भी दिखाया।
आवेदन में लिखा है…इस घटना से कैंप में शामिल 155 हिन्दू विद्यार्थी असहज महसूस कर रहे थे। उन्हें जबरन धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। विरोध करने पर उन्हें चुप कर दिया गया। कोनी थाने में विद्यार्थियों ने शिकायत करते हुए प्रोग्राम ऑर्गेनाइजर के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। विद्यार्थियों ने ऐसे शिक्षकों को हटाने और उन्हें दोबारा शिक्षक ना बनाने की मांग की।
वाकई ये आरोप गंभीर है। अगर इस तरह की घटना हुई है तो यूनिवर्सिटी प्रबंधन और पुलिस को सख्त एक्शन लेना चाहिए। मगर पुलिस को जांच में ये भी शामिल करना चाहिए कि इसके पीछे यूनिवर्सिटी कैंपस का शह-मात का खेल तो शामिल नहीं है।