मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर विशेष पिछड़ी जनजातियों की महिलाओं-बालिकाओं में जागी नई उम्मीद

रायपुर। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर रोजगार और बेहतर जीवन के प्रति जागरूक और मदद करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नए कार्यक्रम की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर बलरामपुर की पहाड़ियों और जंगलों में बसने वाले पंडो, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर आदि जनजातियों के परिवार में महिलाओं और बच्चों के लिए जबर नोनी कार्यक्रम शुरू किया गया है।
जबर नोनी यानि हमारी सशक्त बालिका थीम पर शुरू किए गए इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश महिलाओं और किशोरियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, और कौशल विकास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। मुख्यमंत्री साय ने 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी और आज इसके सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। पढ़िए इस खास कार्यक्रम पर विशेष रिपोर्ट…
बलरामपुर-रामानुजगंज जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध होने के साथ-साथ दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से भी जूझता रहा है। यहां पहाड़ और घने जंगलों में रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजातियों के जीवन कई तकलीफों से भरा है। विशेषकर इन परिवारों में रहने वाली युवतियां, बालिकाओं और महिलाओं के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं। उनकी शिक्षा, उन्हें बाल्य अवस्था में होने वाली तकलीफें, स्वास्थ्य से लेकर कम उम्र में शादी कराए जाने की मुसीबतें झेलनी पड़ती है।
ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य से लेकर बुनियादी शिक्षा और रहन-सहन के बारे में जागरूक करना एक बेहद ही बड़ा काम साबित हुआ। मुख्यमंत्री साय ने इन्हीं तकलीफों से इन परिवारों को उबारने पर जोर दिया था, जिसके बाद सरकार ने जबर नोनी नाम से पूरे कार्यक्रम को इस क्षेत्र में लागू किया है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार ने शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय बनाकर इस पर काम कर रही है।
जबर नोनी कार्यक्रम को समझें…
संवाद और सामुदायिक जुड़ाव
कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए आंगनबाड़ी, स्कूल, और स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से गांव-स्तर पर महिलाओं और बालिकाओं से संवाद स्थापित किया जा रहा है। इन संवाद सत्रों में बाल विवाह, कुपोषण, और कम उम्र में गर्भधारण जैसी समस्याओं पर चर्चा की जाती है। महिलाओं को सामुदायिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाता है।
शिक्षा और कौशल विकास
ड्रॉपआउट किशोरियों को दोबारा स्कूल में दाखिला दिलाने, नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने और शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। इसके साथ ही, किशोरियों को सिलाई, बुनाई, और हस्तशिल्प जैसे कौशल सिखाए जा रहे हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता
मातृत्व स्वास्थ्य, किशोरियों में एनीमिया की कमी, और बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। कुपोषित बच्चों और माताओं के लिए 6 माह तक का पोषण ट्रैकर चलाया गया है, जो उनके पोषण स्तर की निगरानी करता है और आवश्यक सहायता प्रदान करता है।
सामाजिक कुरीतियों पर रोकथाम
बाल विवाह और कम उम्र में गर्भधारण जैसी कुरीतियों पर रोकथाम के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। महिलाओं और किशोरियों को उनके अधिकारों, स्वास्थ्य, और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
ब्लॉक स्तर पर समीक्षा
कार्यक्रम की प्रगति की निगरानी के लिए ब्लॉक स्तर पर नियमित समीक्षा सत्र आयोजित किए जाते हैं। इन सत्रों में स्थानीय अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, और स्वयं सहायता समूह के सदस्य शामिल होते हैं। यह सुनिश्चित किया जाता है कि योजना के लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच रहे हों।
सफलता की कहानियाँ
जबर नोनी कार्यक्रम की सफलता धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। कई महिलाएँ, जो पहले सामाजिक और पारिवारिक दबावों के कारण शिक्षा और रोजगार से वंचित थीं, अब इस पहल के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं। उदाहरण के तौर पर, पहाड़ी कोरवा समुदाय की एक महिला सुनीता, जो पहले गृहिणी थीं, अब सिलाई का प्रशिक्षण लेकर न केवल अपने परिवार का आर्थिक सहयोग कर रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं।
समूहों के जरिए भी आर्थिक लाभ की कोशिश
इस कार्यक्रम को चार प्रमुख विभागों के समन्वय से लागू किया गया। शिक्षा विभाग द्वारा ड्रॉपआउट लड़कियों का पुनः नामांकन और शैक्षिक बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण जागरूकता और बाल विवाह रोकथाम पर काम किया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया है। स्वास्थ्य विभाग ने मातृत्व स्वास्थ्य और नियमित टीकाकरण कवरेज पर ध्यान केंद्रित किया है।
जबर नोनी कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह पहल न केवल महिलाओं और किशोरियों के जीवन स्तर को सुधारने में सहायक है बल्कि समुदाय को एक नई दिशा देने का काम भी कर रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और कौशल विकास के माध्यम से आत्मनिर्भरता की यह यात्रा अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा है।