हरिद्धार गंगा दशहरे पर देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे और जय मां गंगे के जय घोष के बीच हरकी पैड़ी सहित गंगा के घाटों पर पवित्र डुबकी लगाई। सुबह के समय वर्षा की फुहारें उनके आस्था के कदम को न रोक सकी। अलसुबह से ही हरकी पैड़ी के साथ ही हरिद्वार के सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। रात और सुबह हुई बारिश से गर्मी में नरमी आई है और मौसम भी सुहावना बन गया है।

श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद पुरोहितों की गद्दियों पर जाकर दान पुण्य किया। गंगा के नियत घाटों पर श्राद्ध तर्पण संपन्न कराए गए। साथ ही हवन व पूजन भी को भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

हरिद्धार गंगा घाट हर हर गंगे के जयघोष से सुबह से गूंजने लगे। गंगा दशहरे का स्नान तड़के से प्रारंभ हो गया है। जैसे-जैसे दिन चढ़ता रहा वैसे वैसे गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। स्नान के बाद श्रद्धालु कुशावर्त और नारायणी शिला जाकर श्राद्ध कर्म संपन्न कराया। गंगा दशहरे के दिन पितृ तर्पण का भी विशेष महत्व है। अनेक घाटों पर अंजुली में गंगा जल भरकर श्रद्धालु तर्पण करते नजर आए। स्नान के बाद श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर रहे हैं। गंगा के घाटों पर भक्तों ने  पुरोहितों और पंडितों से धरती पर गंगा अवतरण की कथा भी सुनी।

हरिद्धार में सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के खासे इंतजाम किए गए है। हालांकि काफी दूर पहले ही वाहनों को रोक दिए जाने से श्रद्धालुओं खासकर वृद्ध और बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें कई किलोमीटर चलकर स्नान के लिए हरकी पौड़ी पहुंचना पड़ रहा है।

हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, लोकनाथ घाट, कुशावर्त घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर पुलिस बल के साथ ही गोताखोर तैनात हैं। जगह जगह बने गंगा घाटों पर स्नान का क्रम जारी है। मां गंगा के जयकारों से घाट गूंज रहे हैं। सुरक्षा और यातायात की दृष्टि से चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। वाहनों की संख्या अधिक होने से उन्हें रेंग-रेंग कर आगे बढ़ना पड़ रहा है।

गंगा दशहरे का महत्व

गंगा दशहरा जेष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र नक्षत्र में जब 10 योग एक साथ मिलते हैं, उसी दिन गंगा दशहरे का आयोजन हरिद्वार में किया जाता है। इसी दिन भागीरथ अपने संकल्प के साथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे।

इसी से जुड़ी हुई मान्यता यह भी है कि भागीरथ इंद्र पर आक्रमण करना चाहते थे। इसी भय से इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की और भगवान विष्णु के चरण कमलों से गंगा का उद्भव प्रादुर्भाव हुआ गंगा अपने आप में बहुत विशाल थी। इसीलिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में समाहित किया उसके बाद धीरे-धीरे पृथ्वी पर अवतरित किया दशहरा शब्द इसलिए जुड़ा है।

इस दिन 10 योग मिलते हैं और 10 इंद्रियां पंच कर्म इंद्रियां और पंच ज्ञानेंद्रियां इन पर इन 10 योग का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इस दिन जब मनुष्य गंगा स्नान करता है तो उसकी 21 पीढ़ियों का उद्धार होता है। मान्यता है कि आज के दिन गंगा में स्नान, दान पुण्य से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं ।स्कंद पुराण में वर्णन आया है कि इस दिन गंगा के तट पर जाकर जो मनुष्य दान पुण्य यज्ञ करता है। उसको कई हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है।

सुबह दस बजे तक पंद्रह लाख लगा चुके थे डुबकी 

गंगा दशहरा स्नान पर्व पर हरिद्वार में हरकी पैड़ी सहित विभिन्न घाटों में तड़के 4:00 बजे से सुबह दस बजे तक 1500000 श्रद्धालु गंगा में स्नान कर चुके थे। एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय ने बताया कि सभी घाटों में पुलिस की तरफ से पर्याप्त व्यवस्था की गई है।