NPG ब्रेकिंग: छत्तीसगढ़ के 22 जिलों में 2 सितम्बर से स्पेशल फास्टट्रेक कोर्ट, इन केसों की होगी त्वरित सुनवाई

NPG ब्रेकिंग: छत्तीसगढ़ के 22 जिलों में 2 सितम्बर से स्पेशल फास्टट्रेक कोर्ट, इन केसों की होगी त्वरित सुनवाई

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने छत्तीसगढ़ के 22 जिलों में फास्ट ट्रेक कोर्ट गठन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई करेंगे। रजिस्ट्रार जनरल ने जारी नोटिफिकेशन कहा है कि

छत्तीसगढ़ सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 (क्रमांक 19 सन् 1958), की धारा 12 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए तथा इस संबंध में जारी की गई पूर्व की अधिसूचना क्रमांक-3289/दो-15-2/2012 दिनांक 21.04.2016 को अतिष्ठित करते हुए. उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ निर्देश देता है कि छत्तीसगढ़ में प्रत्येक सिविल जिला के लिये, विधि और विधायी कार्य विभाग, रायपुर की अधिसूचना क्रमांक 3526/21.ब/13 दिनांक 30 अप्रैल, 2013, अधिसूचना पृ. क्रमांक 3859/986/21.ब/16 दिनांक 18 अप्रैल, 2016 एवं अधिसूचना क्रमांक 2127/2590/21-ब/2024 21 अगस्त, 2024 द्वारा गठित तथा स्थापित जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के फास्ट ट्रेक न्यायालय (महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की सुनवाई के लिए) 02.09.2024 से नीचे दी गई सारणी में 22 सिविल जिले में फास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई करेंगे।

 इन जिलों में हुआ फास्ट ट्रेक कोर्ट का गठन

बलौदा, बलौदाबाजार, बस्तर जगदलपुर, बेमेतरा,बिलासपुर, दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा, धमतरी, दुर्ग, जांजगीर चांपा, जशपुर, कबीरधाम कवर्धा, कोंडागांव, कोरबा, कोरिया बैकुंठपुर, महासमुंद, मुंगेली, रायगढ़, रायपुर, सूरजपुर, राजनादगांव, सरगुजा अंबिकापुर व उत्तर बस्तर कांकेर।

इसलिए फास्ट ट्रेक कोर्ट का आया प्रावधान

महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम-2018 के जरिए रेप के अपराधियों के लिए मौत की सजा का कड़ा प्रावधान किया है। पीड़ितों को तत्काल न्याय देने के लिए अक्टूबर-2019 से न्याय विभाग ने यौन अपराधों से संबंधित मामलों की जल्द सुनवाई के लिए देश भर में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स (FTC ) के साथ ही विशिष्ट POCSO न्यायालयों की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू की है। प्रत्येक फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक न्यायिक अधिकारी और सात सदस्य कर्मचारियों का प्रावधान किया गया है।

ऐसे काम करता है फास्ट ट्रेक कोर्ट

किसी भी फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का फैसला संबंधित राज्य की सरकार हाई कोर्ट से चर्चा के बाद करती है। हाईकोर्ट किसी भी फास्ट ट्रेक कोर्ट के लिए समय सीमा तय करता है कि सुनवाई कब तक पूरी की जानी है। इसके आधार पर फास्ट ट्रेक कोर्ट यह तय करता है कि किसी मामले को रोज सुना जाएगा या कुछ दिनों के अंतराल पर सुनवाई होगी। सभी पक्षों को सुनने के बाद फास्ट ट्रेक कोर्ट तय समय में अपना फैसला सुनाता है।

फास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई और फैसले की रफ्तार काफी तेज होती है। 

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share