Loksabha Election 2019: मतदान में हर सीट पर VVPAT का होगा इस्तेमाल, जाने इसके बारे में
नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों (Loksabha Election 2019) की घोषणा हो चुकी है। इसी के साथ यह भी घोषणा हो चुकी है कि सात चरण के इस मतदान में हर सीट पर वीवीपैट (VVPAT) का इस्तेमाल होगा। यानि हर EVM के साथ एक वीवीपैट मशीन भी लगाई जाएगी। इससे चुनाव प्रक्रिया के पूरी तरह से पारदर्शी होने की बात कही जा रही है।
हालांकि, चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि EVM में किसी भी तरह की गड़बड़ी (हैक) नहीं की जा सकती है। इसके बावजूद विपक्ष अक्सर अपनी हार का ठीकरा EVM पर ही फोड़ता है। चुनाव सुधारों की अपनी सतत प्रक्रिया के तहत अब चुनाव आयोग ने हर EVM के साथ वीवीपैट के इस्तेमाल की बात कही है। आइए जानें क्या होती है VVPAT मशीन, कैसे काम करती है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी।
क्या होती है वीवीपैट मशीन?
वीवीपैट (VVPAT) यानि वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल इस बात की तस्दीक करेगा कि मतदाता ने जिस उम्मीदवार को वोट किया है वह उसी के खाते में जाए। हालांकि, EVM चुनाव कराने का एक सुरक्षित माध्यम है तो इसमें भी आपका वोट आपके पसंदीदा उम्मीदवार को ही जाता है। वीवीपैट एक और जरिया है, जिससे आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपका वोट सही जगह गया है।
कैसे काम करती है VVPAT?
जब आप EVM में किसी उम्मीदवार के सामने बटन दबाकर उसे वोट करते हैं तो VVPAT से एक पर्ची निकल आती है, जो बताती है कि आपका मत किस उम्मीदवार के हिस्से गया है। इस पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और उसका चुनाव चिन्ह छपा होता है। आपके और VVPAT से निकली पर्ची के बीच कांच की एक दीवार लगी होगी, मतदाता के रूप में आप 7 सेकेंड तक इस पर्ची को देख पाएंगे और फिर यह सीलबंद बॉक्स में गिर जाएगी, यह आपको नहीं मिलेगी। सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही इस VVPAT तक पहुंच सकते हैं। मतगणना के वक्त किसी भी तरह की असमंजस या डिस्प्यूट की स्थिति में इन पर्चियों की भी गणना हो सकती है।
EVM है भरोसेमंद, फिर VVPAT क्यों?
चुनाव आयोग के अनुसार EVM यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद है। इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करके रिजल्ट नहीं बदला जा सकता है। इसके बावजूद तमाम विपक्षी पार्टियां वर्षों से अपनी हार का ठीकरा EVM पर ही फोड़ती रही हैं। हालांकि, जब चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों से हैकाथॉन में अपने आरोप साबित करने के लिए कहा तो किसी भी पार्टी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखायी। शायद कहीं न कहीं EVM पर सवाल उठाने वाली राजनीतिक पार्टियां भी जानती हैं कि गड़बड़ EVM में नहीं बल्कि, उनकी पार्टी ही कहीं चूक कर रही है।
भाजपा ने भी उठाए थे EVM पर सवाल
EVM पर सवाल तो वर्षों से उठ रहे हैं। इस समय सत्ता में मौजूद भाजपा EVM को सुरक्षित और पाक-साफ बता रही है, लेकिन विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने भी EVM पर सवाल उठाए थे। भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने तो ईवीएम को लेकर एक किताब ही लिख डाली थी। साल 2010 में पब्लिश हुई इस किताब का शीर्षक था ‘Democracy At Risk! Can We Trust Our Electronic Voting Machines? (लोकतंत्र खतरे में है! क्या हम अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर भरोसा कर सकते हैं?)
सुप्रीम कोर्ट की भी अहम भूमिका
हालांकि बाद में जीवीएल ने बताया कि उनकी मुहिम के चलते ही वीवीपैट की ओर कदम बढ़े हैं। इस मामले में साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि लोकसभा चुनाव 2014 में VVPAT का इस्तेमाल किया जाए। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 के कुछ चरणों में VVPAT का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इस बार चुनाव आयोग हर EVM के साथ VVPAT का इस्तेमाल करेगा।