Lilavati Hospital Scam: मुंबई के लीलावती अस्पताल में 1,250 करोड़ का महाघोटाला! काले जादू और मानव कंकाल से हड़कंप! जांच में मिले चौंकाने वाले सबूत!

Lilavati Hospital Scam: मुंबई के प्रतिष्ठित लीलावती अस्पताल में एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। अस्पताल को चलाने वाले लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMMT) ने पूर्व ट्रस्टियों और उनसे जुड़े लोगों पर 1,250 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। इसके साथ ही अस्पताल में काले जादू से जुड़ी गतिविधियों के भी आरोप लगे हैं। मामले की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) और बांद्रा पुलिस को शिकायत दर्ज कराई गई है।
क्या है पूरा मामला?
ट्रस्ट ने 7 पूर्व ट्रस्टियों, उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं सहित 17 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। आरोप है कि पिछले 20 सालों के दौरान इन लोगों ने चिकित्सा उपकरण, फर्नीचर, कंप्यूटर, विद्युत उपकरण, वाहन, एंबुलेंस, भूमि, भवन, सर्जिकल आइटम और दवाओं की खरीद में धन का गबन किया है।
कैसे हुआ खुलासा?
अस्पताल के वर्तमान ट्रस्ट बोर्ड ने कार्यभार संभालने के बाद वित्तीय ऑडिट कराया, जिससे यह घोटाला उजागर हुआ। ऑडिट में पाया गया कि मेफेयर रियलटर्स और वेस्टा इंडिया जैसी कंपनियों में 11.52 करोड़ रुपये का अवैध निवेश किया गया। इसके अलावा, 44 करोड़ रुपये वकील की फीस के तौर पर गलत तरीके से दर्शाए गए। साथ ही, 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की सामानों की खरीद में भी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं।
किन लोगों के खिलाफ दर्ज हुई FIR?
बांद्रा पुलिस स्टेशन में आरोपियों के खिलाफ 3 FIR दर्ज की गई हैं। FIR में चेतन पी मेहता, रेखा एच शेठ, आयुष्मान सी मेहता, निकेत वी मेहता, सुशीला वी मेहता, रश्मि के मेहता, भाविन आर मेहता और निमेश शेठ के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं के नाम भी FIR में दर्ज हैं। अधिकांश आरोपी फिलहाल दुबई और बेल्जियम में हैं।
काले जादू के भी आरोप!
अस्पताल के कार्यकारी निदेशक और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि ट्रस्ट के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने काले जादू से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी दी थी। जब कार्यालय की फर्श को खोदा गया, तो मानव अवशेष, चावल, इंसानी बाल और अन्य काले जादू की सामग्री से भरे 8 कलश मिले।
ट्रस्ट का क्या कहना है?
परमबीर सिंह ने कहा, “वर्तमान बोर्ड ने कार्यभार संभालने के बाद ऑडिटर को नियुक्त किया था। जिसके बाद करीब 1,250 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। अस्पताल के स्थायी ट्रस्टी प्रशांत किशोर मेहता ने बांद्रा पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद मेहता ने बांद्रा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और धोखाधड़ी के बारे में शिकायत दर्ज कराई।”