Justice Yashwant Verma Cash Case: दिल्ली हाईकोर्ट में हड़कंप! जज पर भ्रष्टाचार का आरोप, अब सुप्रीम कोर्ट ने लिया ये बड़ा फैसला!

Judge Yashwant Varma Cash at Home Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने घोषणा की है कि विवादों में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने के मद्देनजर उनसे अगला आदेश जारी किए जाने तक न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। हाई कोर्ट की तरफ से जारी एक आधिकारिक नोट में यह घोषणा की गई है। हाई कोर्ट की वेबसाइट पर वाद लिस्ट से जुड़े एक अन्य नोट में कहा गया कि खंडपीठ-तृतीय का कोर्ट मास्टर सूचीबद्ध मामलों में तारीखें देगा, जिसका प्रभार जस्टिस वर्मा के पास था।
रजिस्ट्रार (वाद लिस्ट) के नाम से अदालत की वेबसाइट पर जारी नोट में कहा गया, “हाल की घटनाओं के मद्देनजर माननीय जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य अगला आदेश जारी किए जाने तक तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है।”
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के मामले की पूरी आंतरिक जांच रिपोर्ट घटना से जुड़ी तस्वीरों और वीडियो के साथ अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट में आधिकारिक संचार से संबंधित सामग्री भी शामिल थी जिसके अनुसार भारतीय करेंसी की चार से पांच अधजली गड्डियां पाई गईं। जस्टिस वर्मा ने नकदी मिलने संबंधी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने उनके आवास के स्टोर रूम में कभी कोई नकदी नहीं रखी।
FIR दर्ज करने की मांग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील मैथ्यू नेदुम्परा ने शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका में कहा है कि जज के घर पर कैश का मिलना संज्ञेय अपराध है। इस मामले में FIR दर्ज होनी चाहिए। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने की कथित घटना पर शुक्रवार को हैरानी जताई।
चीफ जस्टिस की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब एक वरिष्ठ वकील ने उनकी अदालत के समक्ष कहा कि वह और कई अन्य वकील जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से कैश बरामदगी की घटना से दुखी और आहत हैं। उन्होंने चीफ जस्टिस से प्रशासनिक पक्ष पर कुछ कदम उठाने का आग्रह किया।
जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी की कथित बरामदगी वहां भीषण आग लगने के बाद हुई। जस्टिस वर्मा वर्तमान में माल एवं सेवा कर (GST) और कंपनी अपील जैसे मामलों की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे। उनका 8 अगस्त 1992 को एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ था। उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया था।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, जस्टिस वर्मा ने 1 फरवरी 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थायी जज के रूप में शपथ ली थी। 11 अक्टूबर 2021 को उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। दिल्ली आवास से भारी कैश बरामद होने के बाद से वह विवादों में हैं।