Jashpur: सीएम विष्णुदेव के गृह जिले में महीने भर से DFO नहीं, मगर वन विभाग को परवाह नहीं, प्रोबेशनर के भरोसे VVIP जिला

Jashpur: सीएम विष्णुदेव के गृह जिले में महीने भर से DFO नहीं, मगर वन विभाग को परवाह नहीं, प्रोबेशनर के भरोसे VVIP जिला

Jashpur: रायपुर। जशपुर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का गृह जिला होने के साथ ही सबसे अधिक वन वाला जिला भी है। जशपुर के मामले में वन विभाग कितना संवदेनशील है कि महीने भर से डीएफओ नदारत हैं।

जशपुर में कांग्रेस सरकार के समय के जीतेंद्र उपध्याय डीएफओ थे। कुनकुरी विधायक यूडी मिंज ने उन्हें वहां डीएफओ बनवाया था। सरकार बदली मगर डीएफओ की कुर्सी नहीं हिली।

बवाल तब मचा जब जशपुर की महिला रेंजर ने डीएफओ जीतेद्र उपध्याय पर शारीरिक शोषण का गंभीर आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज करा दी। 26 नवंबर 2024 को यह मामला मीडिया में सुर्खियो में रहा। इसके बाद से डीएफओ वहां बैठ नहीं रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बीच-बीच में वे कभी-कभार आ जाते हैं। जाहिर सी बात है, इतने संगीन आरोप के बाद कोई बैठेगा भी नहीं। उपर से थाने में शिकायत है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि महिला के शारीरिक शोषण के केस में सिस्टम को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए।

पता चला है, डीएफओ 11 दिसंबर से 22 दिसंबर तक अवकाश लिया था। मगर इसके बाद से उनका जशपुर में पता नहीं। उनकी जगह 2021 बैच के प्रोबेशनर निखिल अग्रवाल मुख्यमंत्री का गृह जिला देख रहे थे। अभी उनका भी ट्रांसफर हो गया है। उनके बाद रायगढ़ के एक प्रोबेशनर विपुल अग्रवाल को एसडीओ बनाकर भेजा गया है।

मुख्यमंत्री के जिले को प्रदेश का वीवीआईपी जिला कहा जाता है। पूरा सिस्टम का सबसे अधिक फोकस मुख्यमंत्री के जिले पर होता है। क्योंकि, वीवीआईपी जिले की छोटी-मोटी बातें भी बतंगड़ बन जाती हैं। इसलिए, सीएम के जिले में पोस्टिंग, ट्रांसफर को बड़ा ध्यान रखा जाता है।

गंभीर आरोपों पर भी कोई कार्रवाई नहीं

महिला रेंजर के अपने ही बॉस पर शारीरिक शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाने के बाद भी आश्चर्य की बात यह है कि वन विभाग ने इसे संज्ञान नहीं लिया। पुलिस कार्रवाई तो दूर की बात, दोनों को ट्रांसफर भी नहीं किया गया। पराकाष्ठा यह है कि कागजों में डीएफओ भी वहीं हैं और महिला रेंजर तो है ही। ऐसे मामलों में अभी तक होता यह है कि दोनों को वहां से हटा दिया जाता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ के वन विभाग को ये भी ध्यान नहीं रहा कि सीएम के जिले में ऐसे मामलों पर कैसे फास्ट कार्रवाई करनी चाहिए।

इको लेब बनने से पहले उजड़ा

जशपुर शहर से लगे सोगड़ा में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की भैरव पहाड़ी है। वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। उसके आसपास मेडिकेटेड प्लांट हैं। इसको देखते सरकार ने वनऔषधियों के पांच किलोमीटर के एरिया को घेरने के लिए 99 लाख रुपए स्वीकृत किया था। इसे अघोरेश्वर आश्रम सोगड़ा के गुरूपद बाबा संभव राम की प्रेरणा से प्रारंभ किया गया था। बाबा संभव राम मुख्यमंत्री के अध्यात्मिक गुरू भी हैं। बावजदू इसके आलम यह है कि इको लेब बनने से पहले उजड़ने लगा है। फेंसिंग तार को चोरों ने पार कर दिया। मगर वन विभाग को कोई होश नहीं। मुख्यमंत्री के जिले में जब ये हाल है तो फिर प्रदेश के वनों ी क्या स्थिति होगी, समझा जा सकता है।

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