IAS Neha Marvya Biography in Hindi: जानिए कौन है 14 सालों से फील्ड पोस्टिंग नहीं मिलने का व्हाट्सएप चैट कर चर्चाओं में आई आईएएस नेहा मारव्या?
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एनपीजी। नेहा मारव्या मध्यप्रदेश कैडर की 2011 बैच की आईएएस हैं। मूलत: वे उत्तरप्रदेश की रहने वाली हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद यूपीएससी क्रैक कर नेहा मारव्या आईएएस बनीं है। नेहा मारव्या दबंग छवि की आईएएस मानी जाती हैं। अपनी तेजतर्रार कार्यशैली के चलते नेहा की भिड़ंत जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक के हो चुकी है। यहीं नहीं मुख्य सचिव के करीबी अफसर के खिलाफ अवैध नियुक्तियां करने के मामले में जांच करने के मामले में उन्हें मुख्य सचिव की नाराजगी भी मोल लेनी पड़ी थी। भोपाल में मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अफसरों का आज 23 दिसंबर तक आईएएस मीट चल रहा है।इस दौरान आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में नेहा मारव्या के द्वारा 14 सालों की नौकरी में फील्ड पोस्टिंग नहीं मिलने की बात लिख सनसनी मचा दी। आइए जानते हैं उनके बारे में…
जन्म और शिक्षा:–
नेहा मारव्या मूलत उत्तरप्रदेश की रहने वालीं हैं। उनका जन्म 22 अगस्त 1986 को हुआ है। नेहा मारव्या ने इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की डिग्री हासिल की है। फिर 2010 यूपीएससी निकाल कर आईएएस बनीं हैं।
नेहा मारव्या एसडीम अशोक नगर, एसडीम भोपाल पर एसडीएम बैतूल रह चुकी हैं। वे जबलपुर जिला पंचायत सीईओ रहने के अलावा जिला पंचायत दतिया की सीईओ जिला पंचायत दतिया की सीईओ भी रह चुकीं हैं। राज्य शिक्षा केंद्र में पदस्थापना भी नेहा की रही हैं।
जबलपुर जिला पंचायत सीईओ रहते जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेल से नेहा मारव्या का विवाद हुआ था। मामला काफी उछला और सीएम हाउस तक पहुंचा। जिसके बाद मारव्या का तबादला होने के बाद ही यह विभाग खत्म हुआ। शिवपुरी जिला पंचायत सीईओ रहते जनसुनवाई के दौरान एक कर्मचारी ने अपनी लंबित समस्या के चलते इच्छा मृत्यु मांगी थी। जिस पर नेहा मारव्या ने पीड़ित पर ही अपराध दर्ज करवाने के निर्देश पुलिस को दे दिए थे। मामले में जमकर तुल पकड़ा था। इस मामलेे को कवर करने वाले पत्रकारों को अगली जनसुनवाई में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। मामले में मीडिया के विरोध के बाद प्रतिबंध हटाया गया।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान गुना में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार वाहन को नियम विरुद्ध तरीके से जब्ती करने को लेकर उनका तबादला कर दिया गया था। शिवपुरी कलेक्टर के प्रभार में नेहा मारव्या के रहने के दौरान खेल मंत्री यशोधरा राजे से तीन सड़कों के लोकार्पण और शिलान्यास की अनुमति नहीं देने को लेकर विवाद हो गया था। इसकी यशोधरा राजे ने तत्कालीन मुख्य सचिव बीपी सिंह से भी की थी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अंतर्गत आने वाले मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की एडिशनल सीईओ के पद पर रही नेहा मारव्या ने अजीब का मिशन के सीईओ एलएम बेलवाल के खिलाफ जांच की थी। वन सेवा के अधिकारी थे। वे 12 सालों से एक ही जगह जमे हुए थे। उनके खिलाफ बिना वैकेंसी निकले फर्जी नियुक्तियां करने की शिकायत थी। बेलवाल वन विभाग में पीसीसीएफ पद से रिटायर हुए थे। बेलवाल को तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस का करीबी माना जाता था।
इस मामले में ललित बेलवाल को क्लीनचीट देने के लिए काफी दबाव था। पर नेहा मारव्या ने जांच में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत की पुष्टि कर दी थी और आपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा कर दी थी। जिसके बाद पंचायत चुनाव की आचार संहिता के दौरान भी नेहा का तबादला राजस्व विभाग में उपसचिव के पद पर कर दिया गया था। इस तबादले को बेलवाल के प्रकरण से जोड़ कर देखा गया था।
नेहा मारव्या ने आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में 9 महीने से बिना काम के पदस्थ होने और केवल ऑफिस आने और जाने की बात कहते हुए खुद को दीवारों में कैद करने की बात लिखी थी। नेहा ने लिखा था कि पिछले 14 सालों की नौकरी में मुझे एक भी बार फील्ड पोस्टिंग नहीं मिली। ऐसे में कैसे मेरे जैसी आईएएस का कैरियर संतुलित होगा? साढ़े तीन साल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में उपसचिव बनाकर बैठाया गया। फिर ढाई साल से बिना काम के राजस्व विभाग में उपसचिव बनाया गया है। बीते 9 महीने से मेरे पास कोई काम नहीं है। इस तरह मुझे दीवारों में कैद करके रख दिया गया है। नेहा ने आगे लिखा है कि मैं अपने जूनियर अफसरों को कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होने दूंगी और जहां तक संभव हो सके उनकी मदद करूंगी।