CG के इस शहर में 15-20 करोड़ के सरकारी जमीन का हुआ खेला

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर मे सरकारी जमीनों के बंदरबाट में भूमाफिया से लेकर राजस्व महकमा की अहम भूमिका रहते आई है। पूर्व मंत्री व बिलासपुर विधानसभा सीट के विधायक अमर अग्रवाल ने आज से पांच साल पहले जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार काबिज थी तब आरोप लगाया था कि न्यायधानी में तो जमीनें उड़ रही है। एमएलए अमर अग्रवाल का आरोप अब सच्चाई के धरातल पर सौ फीसद सच साबित हो रहा है। पूरा फर्जीवाड़ा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ। सरकारी जमीन को निजी भूमि में तब्दील करने के लिए बड़ा सौदेबाजी भी होता है। माफिया के संपर्क में रहने वाले राजस्व विभाग के कुछ चुनिंदा महकमे की माने तो बिरकोना और बहतराई में सरकारी जमीन को निजी भूमि में तब्दील करने में पांच से सात करोड़ का खेला हुआ है। घुसखोरी का हिस्सा कहां-कहां गया होगा इसका अंदाज आप नहीं लगा सकते। अपनी कलम चलाने वाले या यूं कहें कि कलम फंसाने वाले मैदानी अमले से लेकर एसी चेंबर में बैठने वालों तक हिस्सा ईमानदार के साथ गया।
सरकारी जमीन का हथियाने के लिए जब पांच से सात करोड़ का खेल हो सकता है तो यह अंदाजा भी सहज रूप में लगाया जा सकता है कि वर्तमान में मार्केट रेट क्या होगा। जी हां मार्केट रेट 15-20 करोड़ रुपये है। सीधा सी गणित है पांच करोड़ घुस खिलाओ और 20 करोड़ की सरकारी जमीन अपने हिस्से करा लो। भू माफिया तो फायदे में ही रहे ना। बहतराई और बिरकोना में हुआ भी ऐसा ही है।
बिरकोना और बहतराई में ऐसे हुआ खेल
राजस्व दस्तावेजों में जमीनों को बदलना या यूं कहें कि फेरबदल करना पटवारियों के बाएं हाथ का खेल है। नक्शा में जमीन का नंबर बस तो बदलना है। एक कलम चली नहीं कि करोड़ों का वारा-न्यारा। फायदा भू माफिया और सरकारी जमीन झटके में हाथ से चली गई। बिरकाेना और बहतराई में भी ऐसा ही हुआ है। बिल्डरों और भू माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए सामने की सरकारी जमीन को निजी भूमि बताते हुए नक्शे में फेरदबल कर दिया।
ऐसे समझे नफा-नुकसान को
बहतराई और बिरकाेना में जिन बिल्डर और कालोनाइजरों को दो तहसीलदार ने पटवारियों के साथ मिलकर फायदा पहुंचाया है उसकी जमीन पीछे में थी। सामने के हिस्से में सरकारी जमीन थी। सरकारी जमीन को दोनों बिल्डरों के नाम चढ़ा दिया गया। शासकीय भूखंड के निजी होते ही पीछे की जमीन जिसका बाजार मूल्य सरकारी जमीन के कारण कौड़ी के माेल था। सामने हिस्से की सरकारी जमीन मिलते ही लाखों का हो गया। बहतराई और बिरकाेना में कुछ ऐसा ही हुआ है।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अफसर की भूमिका संदिग्ध
सरकारी जमीन को हड़पने के इस खेल में पूरा चैन काम करता है। राजस्व अमले की भूमिका सबसे खास होती है। सरकारी जमीन को निजी में तब्दील कराने के बाद शुरू होता है बड़ा खेल। कालोनी बनाने का खेल। इसके लिए डायवर्सन से लेकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति जरुरी है। इस मामले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तत्कालीन जेडी ने भी नियमों का खुलकर उल्लंघन किया है। तहसीलदार के न्यायालय से जैसे ही दस्तावेज पहुंचा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने एनओसी की चिड़िया बैठा दी। चिड़िया बैठाने के लिए कितने उड़ाए होंगे ये तो वही जाने। सवाल यह उठ रहा है कि जांच अधिकारियों ने जब दो तहसीलदार को इस पूरे मामले में दोषी ठहराया तब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के जेडी की भूमिका की जांच क्यों नहीं की गई। उनको किस आधार पर क्लीन चिट दे दी गई है। नियमों पर गौर करें तो बिना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के एनओसी और अनुमति के ना तो कालोनी बना सकते हैं और ना ही कालोनी में एक ईंट रख सकते।
दोनों तहसीलदारों का निलंबन तय
जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर अवनीश शरण ने तहसीलदार शेषनारायण जायसवाल व शशिभूषण सोनी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए संभागायुक्त को फाइल सौंप दी है। कलेक्टर के कमेंट्स और जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों तहसीलदारों को निलंबन की सजा मिलनी तय है।
तहसीलदारों पर यह है आरोप
तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर शशिभूषण सोनी द्वारा राज कन्स्ट्रक्शन द्वारा भागीदार अर्जुन सिंह कछवाहा पिता शैलेन्द्र सिंह कछवाहा को ग्राम बिरकोना मनं 01 तहसील व जिला बिलासपुर छग स्थित निजी भूमिस्वामी हक की भूमि खसरा कमांक 1330/2 रकबा 0.279 हेक्टेयर के सामने स्थित शासकीय भूमि खसरा कमांक 1331 उपयोग अपनी भूमि पर आवागमन हेतु किए जाने के लिए प्रस्तुत आवेदन पत्र पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होना पाकर प्रस्तुत आवेदन का निराकरण करते हुए आवेदक को भविष्य में किसी प्रकार के भूमि अर्जन भूमि आबंटन या किसी अन्य प्रयोजन के लिए दावा-आपत्ति पर पृथक से निराकरण किये जाने तथा शासकीय भूमि खसरा क्रमांक 1331 के मूल स्वरूप को अपरिवर्तित रखते हुए आवागमन हेतु ही उपयोग किए जाने की शर्त पर आवेदक को ग्राम बिरकोना में उसकी निजी भूमिस्वामी हक की भूमि खसरा क्रमांक 1330/2 रकबा 0.279 हेक्टेयर के सामने स्थित शासकीय भूमि खसरा कमांक 1331 (30 फीट चौड़ा रास्ता) का उपयोग आवागमन हेतु किए जाने अनुमति दी है।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के जेडी ने जारी कर दिया अनुज्ञा पत्र
उक्त प्रश्नाधीन भूमि पर तत्कालीन संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर द्वारा पत्र कमांक 1208/न.ग्रा.नि./ प्र.क्र. 13/सी.जी.आ. 00172/धारा 29/22 बिलासपुर दिनांक 11.04.2022, पत्र क्रमांक 1877/न.ग्रा.नि./ प्र.क. 45/सी.जी.आ. 00005/धारा 29/23 बिलासपुर दिनांक 13.04.2023 एवं पत्र कमांक 351/न.ग्रा.नि./ प्र.क. 68/सी.जी.आ. 00149/23/धारा 29/24 बिलासपुर दिनांक 10.01.2024 के द्वारा आवेदकों को आवासीय/भू-खण्डीय विकास अनुज्ञा जारी करने हेतु पत्र जारी किया गया। उक्त आधार पर विकास अनुज्ञा जारी किया जाना पाया गया।
क्या है जांच रिपोर्ट में
मामले की जांच ज्वाइंट कलेक्टर मनीष साहू (ओआईसी, लेंड रिकार्ड) ने की। जांच रिपोर्ट में लिखा है कि तत्कालीन नायब तहसीलदार शेषनारायण जायसवाल एवं अतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी ने पद का दुरुपयोग करते हुए कालोनाइजर को शासकीय भूमि से नियम विरुद्ध रास्ता प्रदान कर शासन को राजस्व की क्षति पहुंचाने का काम किया है।






