उत्तराखंड की योग नीति के लिए विशेषज्ञों के सुझाव प्रस्तुत

उत्तराखंड की योग नीति के लिए विशेषज्ञों के सुझाव प्रस्तुत

प्रदेश की पहली योग नीति के ड्राफ्ट पर विशेषज्ञों ने सुझाव दिए। उन्होंने योग को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड की पहल को सराहा और कहा, नीति के बनने से योग शिक्षा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। आयुष सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने कहा, जल्द ही नीति को अंतिम रूप देकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।

शुक्रवार को सचिवालय में आयुष विभाग की बैठक में योग नीति के प्रस्ताव विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया, कि उत्तराखंड योग और ध्यान की प्राचीन पद्धति इतिहास समेटे हुए है। प्रदेश सरकार राज्य को अंतरराष्ट्रीय योग हब बनाने की दिशा में प्रयासरत है। इस नीति से योग, नेचुरोपैथी, आध्यात्मिक के लिए बुनियादी ढांचा विकसित होगा।

योग को पाठ्यक्रम में किया जा रहा शामिल
इस क्षेत्र में निवेश पर प्रदेश सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी भी देगी। इसके अलाव योग शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया। बताया गया कि उत्तराखंड में कई योग आश्रम और आध्यात्मिक केंद्र हैं, जिनमें से प्रत्येक योग परंपराओं के प्रचार और संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। ये केंद्र योग को जीवन शैली के रूप में बढ़ावा देने और दुनियाभर से साधकों और उत्साही लोगों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कहा, आयुर्वेद कार्यक्रम के माध्यम से योग को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। आयुष सचिव ने कहा, नीति में विशेषज्ञों के सुझावों को शामिल किया जाएगा। जल्द ही नीति का प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा। इस मौके पर अपर सचिव डॉ. विजय जोगदंडे, पतंजलि विवि से मयंक अग्रवाल, परमार्थ निकेतन से डॉ. वाचस्पति कुलवंत, स्वामी विवेकानंद योग विवि बंगलूरू से डाॅ. बीआर रामकृष्णन, कृष्णमाचार्य योग मंदिर चेन्नई के योग गुरु श्रीधरन, हरियाणा योग आयोग के सदस्य जयदीप आर्य, योग गुरु चंद्र मोहन भंडारी ने योग नीति पर सुझाव दिए।

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