Economic Survey 2025:भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 9.52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, लेकिन डिजाइन और कलपुर्जा विनिर्माण में चुनौतियां बरकरार

Economic Survey 2025: वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार, पिछले 10 साल में भारत का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन कई गुना बढ़कर 9.52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हालांकि, उद्योग का ध्यान मु ख्य रूप से असेंबलिंग पर केंद्रित होने के कारण डिजाइन और कलपुर्जा विनिर्माण में सीमित प्रगति ही हुई है।
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में वृद्धि
- 2014-15 में उत्पादन: 1.90 लाख करोड़ रुपये
- 2023-24 में उत्पादन: 9.52 लाख करोड़ रुपये
- वार्षिक वृद्धि दर: 17.5%
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों के साथ बेहतर बुनियादी ढांचे, कारोबारी सुगमता और विभिन्न प्रोत्साहनों ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, विदेशी निवेश आकर्षित करने में भी सफलता मिली है।
मोबाइल फोन उत्पादन में क्रांति
- स्मार्टफोन उत्पादन: 99% जरूरतें घरेलू उत्पादन से पूरी
- 2022-23 में उत्पादन: 33 करोड़ मोबाइल फोन इकाइयां
- 5जी फोन: 75% से अधिक मॉडल 5जी क्षमता से लैस
मोबाइल फोन के क्षेत्र में भारत ने आत्मनिर्भरता हासिल की है। वित्त वर्ष 2022-23 में मूल्य के लिहाज से सिर्फ 4% मोबाइल फोन आयात किए गए, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा 78% था। मात्रा के लिहाज से आयात सिर्फ 0.8% रह गया। इसी तरह, मोबाइल फोन का निर्यात 2022-23 में 88,726 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि 2015-16 में यह शून्य था।
चुनौतियां और अवसर
- असेंबलिंग पर ध्यान: उद्योग का ध्यान मुख्य रूप से असेंबलिंग पर केंद्रित है।
- डिजाइन और कलपुर्जा विनिर्माण: इन क्षेत्रों में प्रगति सीमित है।
- वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी: भारत का वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में हिस्सा 4% है।
भविष्य की राह
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को गति देने में विशाल घरेलू बाजार, कुशल प्रतिभाओं की उपलब्धता और कम लागत वाले श्रम की अहम भूमिका रही है। इसके अलावा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने भी घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा दिया है।
भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन डिजाइन और कलपुर्जा विनिर्माण में अभी और सुधार की जरूरत है। सरकारी योजनाओं और निवेश के सही इस्तेमाल से भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है।