डिजिटल मास्टर प्लान तैयार, अब तक दून में खामियों से भरा वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू चल रहा

डिजिटल मास्टर प्लान तैयार, अब तक दून में खामियों से भरा वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू चल रहा

अब तक दून में खामियों से भरा वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू चल रहा है। इसकी खामियों के चलते हाईकोर्ट इसे निरस्त कर चुका है और यह सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर चल रहा है। वर्ष 2018-19 से जीआइएस (जियोग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम) आधारित जिस मास्टर प्लान पर एमडीडीए व मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक की टीम माथा-पच्ची कर रही थी, उसे धरातल पर उतारने की तैयारी कर ली गई है।

वर्ष 2041 तक के लिए जीआइएस आधारित डिजिटल मास्टर प्लान को तैयार कर लिया गया है। जल्द ही एमडीडीए इस पर आपत्तियों को मांगने के लिए जनता के लिए सार्वजिनक करेगा।

वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू

अब तक दून में खामियों से भरा वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू चल रहा है। इसकी खामियों के चलते हाईकोर्ट इसे निरस्त कर चुका है और यह सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर चल रहा है। हालांकि, अब बहुत जल्द पुराने मास्टर प्लान से जनता को निजात मिल जाएगी। क्योंकि, पुराने मास्टर प्लान में जैसी स्थिति दर्शाई गई है, धरातल उससे अलग है।

इसके चलते शहर अनियोजित निर्माण की भेंट चढ़ गया है। हालांकि, मास्टर प्लान व धरातलीय स्थिति में समान स्थिति दर्शाने की दिशा में डिजिटल मास्टर प्लान मील का पत्थर शामिल होगा।

मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक एसएम श्रीवास्तव के मुताबिक, नया मास्टर प्लान सेटेलाइट आधारित है और इसमें सेटेलाइट मैपिंग के साथ ही धरातलीय सर्वे कर सटीक जानकारी एकत्रित की गई है। अब इसे एमडीडीए के माध्यम से जनता के सम्मुख रखकर आपत्तियां मांगी जाएंगी। आपत्तियों के निस्तारण के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।

लैंडयूज की धोखाधड़ी होगी दूर, एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी

दून में अवैध निर्माण के लिए आमजन को मजबूर भी किया जाता रहा है। क्योंकि प्रापर्टी डीलर भोलेभाले नागरिकों को आवासीय से भिन्न कृषि व अन्य उपयोग की भूमि भी बेच देते हैं। इसका पता तब चलता है, जब लोग नक्शा पास कराने पहुंचते हैं। भिन्न भू-उपयोग होने पर नक्शा पास न होने की दशा में लोग अवैध निर्माण को मजबूर रहते हैं।

यदि कोई भू-उपयोग पता भी करना चाहे तो आरटीइ में जानकारी मांगनी पड़ती है। इसके लिए जमीन की खतौनी लगानी पड़ती है और आर्किटेक्ट से की-प्लान भी बनवाना पड़ता है। नए मास्टर प्लान में खसरा नंबर को सेटेलाइट मैप में सुपरइंपोज किया गया है। जिससे एक क्लिक पर खसरा नंबर के माध्यम से भू-उपयोग पता किया जा सकेगा। साथ ही संबंधित भूमि पर खड़े होकर भी भू-उपयोग की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।

70 प्रतिशत से अधिक भाग पर आवास –

पुराना मास्टर प्लान भले ही वर्ष 2005 से लागू माना जाता है, लेकिन इसे 2008 में लागू किया जा सका। तब दून में आवासीय क्षेत्र 40 प्रतिशत तक फैला था। हालांकि, मास्टर प्लान के वृहद रूप जोनल प्लान को वर्ष 2018 में लागू किया जा सका। इसके चलते धरातलीय स्थिति मास्टर प्लान से भिन्न होती चली गई। क्योंकि, तब तक आवासीय क्षेत्र का विस्तार 70 प्रतिशत को पार कर गया था।

इसके दुष्परिणाम यह हुए की मास्टर प्लान में दर्ज कृषि क्षेत्र में आवास खड़े हो गए और ऐसे लोग चालान, सीलिंग व ध्वस्तीकरण के रूप में एमडीडीए के उत्पीड़न का शिकार होते रहे। वर्तमान मास्टर प्लान में भू-उपयोग धरातल के अनुरूप तय किए गए हैं। लिहाजा, तमाम अवैध निर्माण भी अब वैध हो सकेंगे।

जोनल प्लान की खामियों को किया गया दूर

मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक एसएम श्रीवास्तव का कहना है कि जोनल प्लान में तमाम खामियां थीं। मास्टर प्लान में इन खामियों को दूर कर दिया गया है। विशेषकर सड़कों और वन क्षेत्रों का स्पष्ट सीमांकन मौके पर जाकर किया गया है।

नदी आधारित है डिजिटल मास्टर प्लान

नए मास्टर प्लान में नदी, नालों और नहरों को संरक्षण करने की दिशा में स्पष्ट सीमांकन किया गया है। सभी नदी नालों का उल्लेख मास्टर प्लान में है और इन पर कब्जे रोकने के लिए बफर जोन भी चिह्नित किए गए हैं। इस लिहाज से नए मास्टर प्लान को नदी आधारित मास्टर प्लान भी कहा जा रहा है।

50 प्रतिशत तक क्षेत्र आवास के लिए आरक्षित

मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक श्रीवास्तव के मुताबकि वर्ष 2041 तक की अनुमानित आबादी 25 लाख को ध्यान में रखते हुए 50 प्रतिशत तक भू-उपयोग आवास श्रेणी में आरक्षित रखा गया है। इसके अलावा अन्य स्थापनाओं के लिए भी मानक के मुताबिक भू-उपयोग तय किए गए हैं।

 

इस तरह तय किए गए भू-उपयोग

  • आवासीय, 40 से 50 प्रतिशत
  • हरित/ग्रीन एरिया, 10 प्रतिशत
  • व्यावसायिक, 5 से 7 प्रतिशत
  • पब्लिक सेक्टर, 5 से 7 प्रतिशत
  • औद्योगिक, 2 से 5 प्रतिशत
  • शेष, अन्य क्षेत्र

दूसरे चरण में मसूरी क्षेत्र का प्लान बनेगा

प्रथम चरण में अभी देहरादून के 37432.96 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है। अगले चरण में मसूरी के 17891 हेक्टेयर क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। धीरे-धीरे डिजिटल मास्टर प्लान को पूर्व के साडा (विकासनगर) व एचआरडीए के ऋषिकेश क्षेत्र में भी लागू कराया जाएगा।

 

मास्टर प्लान में यह भी होगी खूबी

  • वेब पोर्टल बनेगा
  • सुगम प्रयोग के लिए एप्लिकेशन बनेगी
  • समय-समय पर रिव्यू की व्यवस्था रहेगी।

जीआइएस आधारित मास्टर प्लान का परीक्षण कराया जा रहा है। जल्द इसे आपत्तियों के लिए विधिवत रूप में जनता के सम्मुख रखा जाएगा। इसके बाद शीघ्र आपत्तियों का निस्तारण कर नए मास्टर प्लान को अंगीकार किया जाएगा।

– बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष एमडीडीए

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