Chhattisgarh Teacher: 5781 स्कूलों के नौनिहाल गुरूजी के लिए तरस रहे, और शहरों में अंगद की तरह जमे 13000 सरप्लस टीचरों को कोई हिला नहीं पा रहा

Chhattisgarh Teacher: 5781 स्कूलों के नौनिहाल गुरूजी के लिए तरस रहे, और शहरों में अंगद की तरह जमे 13000 सरप्लस टीचरों को कोई हिला नहीं पा रहा

Chhattisgarh Teacher रायपुर। सिस्टम का यह भी अजीब विरोधाभास है। एक तरफ 5781 स्कूलों में मास्टर साब नहीं हैं और दूसरी तरफ शहरों के स्कूलों में जुगाड़ के बल पर जमे 13 हजार से अधिक सरप्लस शिक्षकों को हिलाने का कोई साहस नहीं कर रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सिंगल टीचर या फिर जीरो टीचर वाले स्कूलों के बच्चों के साथ न्याय करने युक्तियुक्तकरण का रास्ता निकाला था। मगर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस विरोध में आई ही, शिक्षक संगठनों से विरोध तेज होने के बाद सरकार ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिया। जाहिर सी बात है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया बाधित होने से 5781 गांवों में मायूसी का आलम है।

भाजपा-कांग्रेस, भाई-भाई

शिक्षक संगठनों का विरोध तो समझा जा सकता है। उनका अपना संगठन है और 13 हजार शिक्षकों का उन पर प्रेशर होगा। मगर इसमें सियासत शुरू हो गई। बीजेपी के विधायकों और नेताओं ने इसका विरोध किया ही, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया कि युक्तियुक्तकरण करना मुनासिब नहीं। उधर कांग्रेस नेताओं के सूर भी तीखे होते जा रहे थे। शिक्षक नेताओं ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण पर ब्रेक लगा दिया।

नवंबर तक सारे स्कूलों में शिक्षक

युक्तियुक्तकरण कार्य में लगे स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों को यकीन था कि इसके बाद कम-से-कम सिंगल टीचर और शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती हो जाएगी। इसके लिए टाईम भी तय कर दिया गया था। 16 सितंबर तक स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जाना था और 3 अक्टूबर तक शिक्षकों का। स्कूलों के युक्तियुक्तकरण से करीब छह हजार शिक्षक अतिशेष निकल रहे थे और 7300 पहले से सरप्लस शिक्षक थे। याने 13 हजार से उपर।

5781 सिंगल और जीरो टीचर वाले स्कूल

छत्तीसगढ़ में 5484 स्कूल सिंगल टीचर वाले हैं और 297 शिक्षक विहीन। याने एक भी शिक्षक नहीं। आश्चर्यजनक यह है कि 231 मीडिल स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे तो 45 मीडिल स्कूलों में एक भी टीचर नहीं। अब जरा समझिए कि मीडिल स्कूल में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। वहां अगर एक शिक्षक या जीरो की स्थिति रहेगी तो प्रदेश के नौनिहालों का क्या होगा? प्रायमरी स्कूलों का और बुरा हाल है। छत्तीसगढ़ के 5484 प्रायमरी स्कूलों में एक शिक्षक हैं तो 152 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं।

रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ में सर्वाधिक सरप्लस शिक्षक

छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ जैसे बड़े शहरों में सबसे अधिक अतिशेष शिक्षक हैं। इन शहरों के कई स्कूलों में 10 बच्चे भी नहीं है मगर उसके लिए पांच-पांच, सात-सात शिक्षकों ने पैसे और एप्रोच के बल पर अपनी पोस्टिंग करा ली है। मीडिल स्कूलों में दुर्ग में 303, बिलासपुर में 211, रायपुर 250, जशपुर 246, सरगुजा 285, कांकेर 242, बस्तर 303 शिक्षके अतिशेष हैं तो प्रायमरी में रायपुर जिले में 424, बिलासपुर में 264, बलौदा बाजार में 211, सूरजपुर में 236, रायगढ़ में 217, बस्तर में 425, कांकेर में 318, कोरबा में 325, बलरामपुर में 251, बीजापुर में 272 शिक्षक अतिशेष हैं। ये सभी सालों से उसी स्कूल में जमे हुए हैं।

बच्चों का क्या कसूर?

युक्तियुक्तकरणक का विरोध करने वाले नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि 5781 स्कूलों के बच्चों का कसूर यही है कि वे दूरस्थ और पिछड़े इलाकों में पैदा गरीब बच्चे हैं। बड़े नेताओं और शिक्षकों के बच्चे किसी सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते। इसलिए, उन्हें इन गरीब नौनिहालों की बेचारगी का अंदाजा नहीं होगा।

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