Chhattisgarh News: इन 2 मंत्रियों का शपथग्रहण और निगम, मंडलों में नियुक्तियों की उल्टी गिनती! नवरात्र में शुभ मुहूर्त, पूर्व मंत्री ने लाल बत्ती में फंसाया पेंच

Chhattisgarh News: इन 2 मंत्रियों का शपथग्रहण और निगम, मंडलों में नियुक्तियों की उल्टी गिनती! नवरात्र में शुभ मुहूर्त, पूर्व मंत्री ने लाल बत्ती में फंसाया पेंच

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित विस्तार चैत नवरात्र में हो सकता है। सत्ताधारी पार्टी के अंदरखाने में भी इस बात की चर्चा है कि मंत्रिमंडल के नए चेहरों पर मुहर लग गई है, आने वाले चैत नवरात्रि में किसी दिन शपथ समारोह आयोजित किया जा सकता है।

खबरें तो ये चल रही कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पिछले हफ्ते दिल्ली गए थे। वहां पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी। उससे पहले वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी वे मिले थे। दिल्ली दौरे में ही नए मंत्रियों पर चर्चा हो चुकी है।

अभी विष्णुदेव साय सरकार और पूरी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मार्च के बिलासपुर दौरे को लेकर व्यस्त है। जाहिर है, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी को बंपर समर्थन मिलने के बाद पीएम मोदी छत्तीसगढ़ नहीं आए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वे चुनावी दौरे पर जरूर दो बार आए मगर कोई सरकारी दौरा नहीं था।

प्रधानमंत्री के लौटने के बाद 3 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर आ रहे हैं। उससे पहले 30 मार्च से ही नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। पार्टी के सीनियर नेताओं ने संकेत दिए हैं कि अमित शाह के बस्तर प्रवास के बाद दो नए मंत्रियों के लिए शपथ समारोह का आयोजन किया जा सकता है।

बता दें, विष्णुदेव कैबिनेट में दो मंत्रियों के पद खाली हैं। एक पद प्रारंभ से ही रिक्त रखा गया और दूसरा, बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा सदस्य बनने के बाद खाली हुआ। पिछले साल दिसंबर एंड में दोनों नए मंत्रियों की शपथ लगभग तय हो गई थी। याद होगा, राज्यपाल बस्तर के दौरे पर जा रहे थे मगर उनका कार्यक्रम निरस्त हो गया था। हालांकि, बाद में इसकी अधिकारिक वजह खराब मौसम बताया गया।

सूत्रों का कहना है कि 25 दिसंबर 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी के जन्मदिन को बीजेपी ने धूमधाम से मनाया था। उसी दिन मंत्रियों की शपथ होनी थी। उस दिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कुनकुरी दौरे पर गए तो हुआ कि शाम को लौटकर होगा। फिर हुआ कि 26 अगस्त को मंत्री शपथ लेंगे। मगर बीच में ऐसा सियासी ब्रेक आया कि नए मंत्रियों की इंट्री होते-होते लटक गई।

अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव?

नए मंत्रियों में अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव का नाम लगभग फायनल हो गया था। गजेंद्र ने दुर्ग में अरुण वोरा को हराया ही, उनका परिवार संघ से जुड़ा रहा है। उनके पिता बिसरा राम यादव छत्तीसगढ़ के संघ प्रमुख रहे हैं। उन्हें मंत्री बनाने से एक फायदा यह होगा कि बिहार चुनाव में पार्टी उसे इनकैश कर पाएगी। बिहार में यादवों का वोट करीब 14 परसेंट है। बीजेपी वहां यादवों पर डोरे डाल सकती है कि हमने मध्यप्रदेश में यादव को मुख्यमंत्री बनाया और छत्तीसगढ़ में मंत्री।

सीएम के पसंद

रही बात अमर अग्रवाल की तो उनके पास 14 से ज्यादा मंत्री रहने का तजुर्बा है। छत्तीसगढ़ बीजेपी के पितृ पुरूष लखीराम अग्रवाल के बेटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। और सबसे अहम बात कि वे रिजल्ट देने वाले मंत्री माने जाते हैं। अमर को सीएम विष्णुदेव साय का पसंद बताया जा रहा तो प्रदेश प्रभारी नीतीन नबीन भी चाह रहे कि अमर अग्रवाल जैसे सीनियर नेता विष्णुदेव कैबिनेट में शामिल किए जाएं। सत्ता के गलियारों में दावे तो ये भी किए जा रहे कि अमर अग्रवाल की वजह से दिसंबर में मंत्रियों का शपथग्रहण टल गया था।

अमर अग्रवाल का विरोध?

भाजपा के भीतर ही ये चर्चा है कि अमर अग्रवाल को पार्टी के कुछ बड़े नेता नहीं चाह रहे कि वे मंत्री बनें और इसीलिए किरण सिंहदेव का पेंच फंसाया गया। किरण सिंहदेव ने भी खुला संकेत दिया कि वे प्रदेश अध्यक्ष की बजाए मंत्री बनना चाहते हैं। मगर पार्टी नेतृत्व ने इसे पसंद नहीं किया और किरण सिंहदेव को फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद स्वीकार करना पड़ा। तब तक नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव का समय आ गया। इस वजह से कैबिनेट विस्तार टल गया। अब प्रश्न यह कि अमर का विरोध क्यों? तो पार्टी के लोग इसका जवाब ये बता रहे कि अमर स्वाभिमानी नेता हैं, वे काम से मतलब रखते हैं। संगठन के कुछ नेताओं को यही खटक रहा है।

और कई दावेदार

हालांकि, अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव के अलावे अजय चंद्रकार, राजेश मूणत, सुनील सोनी भी मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। अजय और राजेश रमन मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। अजय चंद्राकर की कद्दावर नेताओं में गिनती होती है।

पूर्व गृह मंत्री की पेंच

उधर, बोर्ड और निगमों में नई नियुक्तियों से पहले पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिख रोड़ा अटका दिया है। कंवर ने मांगी की है कि पुराने नेताओं को बोर्ड और निगमों में नियुक्ति न दी जाए। पुराने नेताओं से उनका आशय यह है कि जिन्हें रमन सरकार के दौरान लाल बत्ती का सुख मिल गया है। कंवन ने कहा है कि इन नेताओं के चलते 2018 का विधानसभा चुनाव बीजेपी बुरी तरह हारी थी। ऐसे में, पुराने नेताओं को अब कोई पद नहीं दिया जाए।

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