Chhattisgarh News: बड़ा खेला: जशपुर नागलोक का सांप बिलासपुर शिफ्ट, सांपों ने खाली कर दिया सरकारी खजाना….पढ़िए यह सब कैसे हुआ?…

Chhattisgarh News: बड़ा खेला: जशपुर नागलोक का सांप बिलासपुर शिफ्ट, सांपों ने खाली कर दिया सरकारी खजाना….पढ़िए यह सब कैसे हुआ?…

Chhattisgarh News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले के तपकरा,पत्थलगांव में सांपों का आंतक रहता है। यही कारण है कि जिले को नागलोक के नाम से जानते हैं। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अनुभाग अधिकारी ने सदन में सांप काटने से मौत और मुआवजा का जो आंकड़ा पेश किया है,उसे पढ़कर आप भी चौंके बिना नहीं रहेंगे। नागलोक में बीते तीन साल के दौरान 96 लोगों की मौत सांप काटने से हुई। इसे स्वाभाविक मान सकते हैं। यह पूरा इलाका ही इनका है। बिलासपुर जैसे मैदान जिले के आंकड़े काफी चाैंकाने वाला है। बीते तीन साल के दौरान 431 लोगों की मौत सांप काटने से हुई है। सांप काटने से मौत होने पर मृतक के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से बतौर क्षतिपूर्ति चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। यह पूरा खेला मुआवजा की राशि हड़पने को लेकर किया जा रहा है। इस खेल में सरकारी अस्पताल के पीएम करने वाले चिकित्सकों से लेकर स्टाफ और प्रकरण बनाने वाले कुछ खास लोगों का पूरा रैकेट काम कर रहा है।

छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख सरकारी अस्पताल सिम्स व जिला अस्पताल में आमतौर पर वे लोग इलाज कराने आते हैं तो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। गिरोह के निशाने पर ये ही लोग सबसे ज्यादा रहते हैं। गिरोह की नजर इलाज कराने आने वालों के अलावा बीमारी से अस्पताल में जिनकी मौत हो जाती है,ऐसे मृतकों के परिजनों पर इनकी नजरें लगी रहती है। मृतक के परिजनों से संपर्क साधकर सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि को बताना और लालच देना। लालच के फेर में जब परिजन अपना ईमान बेचने को तैयार हो जाते हैं तब इनका असली खेल शुरू हो जाता है। परिजनों से सांप काटने से मौत के प्रकरण में बड़ी धनराशि मिलने का लालच देते हैं और वैसा ही बयान देने कहते हैं जैसा वे उसे बताते हैं।

पहला टारगेट ये, यहां से शुरू होता है खेला

मृतक के परिजनों को अपने भराेसे में लेने के बाद मेडिकल स्टाफ पर टारगेट करते हैं। इसमें भी पीएम करने वाले चिकित्सक और स्टाफ। सरकारी खजाना लुटने की यही सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है। शुरुआत यहीं से होता है और खजाना लुटने का अंजाम भी यहीं से पूरा होता है। प्राकृतिक मौत को हादसा बताकर सरकारी खजाना लुटने का खेल सिम्स और जिला अस्पताल के चीरघर से शुरू होता है। आप अंदाज भी नहीं लगा सकते कि जिस जगह पर लोग जाने से कतराते हैं वहां से सरकारी खजाना लुटने का खेल शुरू होता है।

सांप काटने से मौत, पागल कुत्ता के काटने, घर की दीवार गिरी और दबने से मौत और बिच्छू के काटने से मौत। पीएम रिपोर्ट हाथ में लेने के बाद राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में क्षतिपूर्ति के लिए दावा किया जाता है। आपदा प्रबंधन विभाग से परीक्षण के लिए राजस्व विभाग में प्रकरण भेजा जाता है। राजस्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर क्लेम का निर्धारण किया जाता है।

इन अफसरों को है अधिकार

  • संभागीय आयुक्त- 15 लाख रूपये से अधिक
  • कलेक्टर- 15 लाख रूपये तक
  • अनुविभागीय अधिकारी- 4 लाख रूपये तक
  • तहसीलदार – 2 लाख रूपये तक

क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान के लिए लिमिट तय

  • सहायता की राशि तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा में है, तो 10 दिन के भीतर सहायता उपलब्ध कराई जायेगी और यदि प्रकरण तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा से
  • अधिक राशि का है, तो अनुविभागीय अधिकारी / कलेक्टर / संभागीय आयुक्त या शासन की स्वीकृति प्राप्त की जायेगी।

मुआवजा के लिए यह है जरुरी

ग्रामीण क्षेत्रों में सांप काटने या फिर प्राकृतिक आपदा से मौत के मामले में पंचनामा के आधार पर पटवारी रिपोर्ट तैयार करता है। शहरी इलाकों में इस तरह के मौत के प्रकरणों में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट को अनिवार्य किया गया है।

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