Chhattisgarh High Court: हाई कोर्ट का आदेश, वन्यजीव संरक्षण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं, दोषियों पर हो कार्रवाई
Chhattisgarh High Court: बिलासपुर:कोरिया जिले में बाघ की मौत और बलरामपुर में करंट लगाकर हाथी को मारने के मामलों पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। राज्य के वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग की अतिरिक्त सचिव ऋचा शर्मा ने इन घटनाओं को लेकर हाई कोर्ट में शपथपत्र पेश किया।
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और उनकी डिवीजन बेंच ने इन मामलों की गहन मानिटरिंग का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई फरवरी 2025 में होगी। 8 नवंबर 2024 को कोरिया जिले के गुरू घासीदास नेशनल पार्क स्थित नदी किनारे एक बाघ का शव बरामद हुआ था। यह शव सोनहत-भरतपुर सीमा के देवशील कटवार गांव के पास पाया गया। शुरुआती जांच में बाघ के नाखून, दांत और आंख जैसे अंग गायब पाए गए, जिससे यह संदेह जताया गया कि बाघ को जहर देकर मारा गया होगा। हालांकि, शपथपत्र में बताया गया कि बाघ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई है और बीमारी से मौत की संभावना जताई गई है। बिसरा रिपोर्ट आने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।
निष्पक्ष जांच और कार्रवाई के निर्देश
हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस घटना पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि प्रथम दृष्टया यह मामला बदले की भावना से बाघ की हत्या का प्रतीत होता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि बाघों की मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। बलरामपुर जिले में करंट लगाकर एक हाथी को मारने की घटना पर भी हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई और वन विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रयास की जरूरत
हाई कोर्ट ने दोनों मामलों को मानिटरिंग के दायरे में रखते हुए राज्य के वन विभाग और संबंधित अधिकारियों को इन घटनाओं की जांच में तेजी लाने और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार को गंभीर प्रयास करने होंगे।