Chhattisgarh Crime News: महिला कलेक्टर होने के बाद भी दुष्कर्म पीड़िता मासूम को न्याय नहीं, पास्को एक्ट में पुलिस खुद करा सकती है FIR दर्ज, सोशल मीडिया में तीखे कमेंट्स…

Chhattisgarh Crime News: महिला कलेक्टर होने के बाद भी दुष्कर्म पीड़िता मासूम को न्याय नहीं, पास्को एक्ट में पुलिस खुद करा सकती है FIR दर्ज, सोशल मीडिया में तीखे कमेंट्स…

Chhattisgarh Crime News: रायपुर। दुर्ग में ऋचा प्रकाश चौधरी कलेक्टर हैं। गृह मंत्री विजय शर्मा का निर्वाचन क्षेत्र कवर्धा भी दुर्ग संभाग और दुर्ग पुलिस रेंज में आता है। बावजूद इसके दुष्कर्म की शिकार मासूम को न्याय नहीं मिल रहा है। इस बारे में एनपीजी न्यूज ने एसपी से फोन पर बात करने का प्रयास किया। मगर उनका मोबाइल कनेक्ट नहीं हो पाया।

उधर, ऐसी जानकारी मिल रही कि पुलिस परिजनों का वेट कर रही है कि वे आकर रिपोर्ट दर्ज कराएं। मगर कानून के जानकारों का कहना है कि पुलिस ऐसे भी किसी मामले में संज्ञान लेकर अपराध दर्ज कर सकती है। अलबत्ता, पास्को एक्ट तो और तगड़ा है…इसमें किसी पुलिस अधिकारी की नोटिस में कोई मामला आया तो वह खुद भी थाने में मुकदमा दर्ज करा सकता है।

5 बरस की मासूम से हिला देने वाली घृणित घटना से पूरे प्रदेश के लोग बड़े दुखी हैं। सोशल मीडिया में तीखे कमेंट्स लिखे जा रहे हैं। गुस्से में लोग दुष्कर्म पब्लिक स्कूल लिख रहे। रायपुर सिविल सोसाईटी के प्रमुख डॉ0 कुलदीप सोलंकी ने कहा है कि वे कल कलेक्टर आफिस के सामने धरने पर बैठेंगे।

CG Crime News: छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित प्रायवेट स्कूल में 5 साल की मासूम से हैवानियत, उठते सवाल…कार्रवाई करने में पुलिस के क्यों कांप रहे हाथ?…

Chhattisgarh Crime News: रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे भिलाई के एक बड़े प्रतिष्ठित स्कूल में 5 साल की मासूम से दुष्कर्म की घटना हो गई। मगर स्कूल प्रबंधन के दबाव में पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अलबत्ता, आरोप है कि पीड़िता के परिजनों ने जब पुलिस के उच्चाधिकारियों से फरियाद की तो कार्रवाई की बजाए पुलिस उन्हें मामले को न उठाने का दबाव बनाने लगी। एक तो मासूम के साथ ऐसी कू्रर घटना…उपर से सिस्टम की शुरू हो गई हैवानियत। लिहाजा, पीडिता के परिजनों ने मौन साधना मुनासिब समझा।

5 जुलाई की यह घटना है। बताते हैं, स्कूल की आया मासूम को लेकर टॉयलेट करने गई थी। उसे वॉश रुम में छोड़कर वह दूसरे कामों में व्यस्त हो गई। कुछ देर बाद रोते हुए बच्ची वॉश रुम से बाहर आई, तब स्कूल वालों का ध्यान गया। इसी बीच स्कूल की छुट्टी हो गई। स्कूल प्रबंधन ने बच्ची को उसे लेने आई कार में बिठाकर घर भेज दिया। घरवालों ने जैसा कि कुछ लोगों को बताया, वह इतनी डरी और सहमी हुई थी कि उस दिन खाना भी नहीं खाया और सो गई। सोकर उठने के बाद मां को इशारे से बताई उसके प्रायवेट पार्ट में तकलीफ हो रही है। चूकि पांच साल की बच्ची अबोध होती है इसलिए पूछने पर यही बताई कि स्कूल के अंकल ने मुझे मारा। बच्ची की तकलीफ जब बढ़ने लगी तो परिजन उसे लेकर डॉक्टर के पास गए। केस समझने के बाद भिलाई के एमडी ने कहा कि किसी महिला रोग विशेषज्ञ के पास जाएं। घरवाले तुरंत पास के ही एक गायनिक के यहां पहुंचे। डॉक्टर ने अपने प्रिस्क्रिप्शन में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि मासूम के प्रायवेट पार्ट से ब्लीडिंग हुई है और व्हाईट डिस्चार्ज लगा हुआ है। जाहिर है, बच्ची के साथ हैवानियत हुई है। इसके बाद अगले दिन परिजन स्कूल पहुंचे। वहां के प्रिंसिपल ने खुद एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई का भरोसा दिया मगर बाद में घटना से ही इंकार करने लगे। परिजनों का आरोप है कि स्कूल का सीसीटीवी का फूटेज भी नष्ट कर दिया गया। कार्रवाई का आश्वासन इसलिए दिया गया कि तब तक फूटेज नष्ट करने का टाईम मिल जाए।

पुलिस अधिकारियों ने हाथ खड़ा किया

मासूम के परिजन भिलाई के बड़े कारोबारी हैं। पांच साल की मासूम बेटी। वे समझ नहीं पा रहे थे कि इस मामले में क्या किया जाए। पुलिस से संपर्क किया तो कोई उम्मीद नजर नहीं आई। फिर एक जनप्रतिनिधि के साथ बड़े अधिकारी के पास फरियाद की। वहां से कार्रवाई तो दूर एडिशनल एसपी रैंक की एक महिला अफसर पीड़िता के घर पहुंचकर उन्हें कंविंस करने में कामयाब हो गई कि आपका प्रतिष्ठित परिवार है…बच्ची के भविष्य का सवाल है…मेडिकल चेकअप के लिए कई बार अस्पताल जाना पड़ेगा…कोर्ट में बयान होगा। घर वाले पुलिस के इस नए रुप को देखने के बाद हथियार डालना ही मुनासिब समझा।

भृत्य पर संदेह

मासूम के साथ ज्यादती करने में स्कूल के भृत्य पर संदेह जा रहा है। बच्ची जब टॉयलेट गई थी, भृत्य वहां मंडरा रहा था। बताते हैं, स्कूल प्रबंधन ने उस आया को भी दूसरे विभाग में ट्रांसफर कर दिया है, जो घटना के दिन बच्ची को टॉयलेट कराने ले गई थी। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि बाई चांस मामला तूल पकड़ा और पुलिस जांच करने पहुंची तो आया कुछ इधर-उधर की बात न बोल जाए।

पुलिस की गंभीर लापरवाही

जब स्त्री रोग विशेषज्ञ ने प्रारंभिक जांच में पाया कि उसे प्रायवेट पार्ट में ब्लड और व्हाइट डिस्चार्ज है तो पुलिस को तुरंत उसका मेडिकल चेकअप कराना था। पास्को एक्ट में तो एफआईआर दर्ज करने के लिए सिर्फ शिकायत काफी है। मगर पुलिस कार्रवाई करने में हीलाहवाला करने लगी कि स्कूल का नाम खराब हो जाएगा। दरअसल, जिस स्कूल में यह घटना हुई, वह काफी बड़ा स्कूल है। जाहिर है, बड़े स्कूल में बड़े लोगां के बच्चे पढ़ते हैं। सो, स्कूल के प्रिंसिपल ने अपने संपर्को को इस्तेमाल कर अपराध दर्ज नहीं करने दिया। परिजनों ने बताया कि एक विधायक पहले तो कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया मगर बाद में वे भी मुकर गए।

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