Chhattisgarh BALCO News: बालको ने सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद 150 एकड़ के पेड़ काट डाला, हाई पावर कमेटी ने कहा, छत्तीसगढ़ में वन संरक्षण अधिनियम का उड़ाया जा रहा मजाक…

Chhattisgarh BALCO News: नईदिल्ली। छत्तीसगढ़ में राजस्व व वन विभाग के अफसर अपनी जमीनों और जंगल को सुरक्षित रखने में किस तरह लापरवाही बरत रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट से समझा जा सकता है। हाई पावर कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपनी रिपोर्ट में इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है कि छत्तीसगढ़ में वन संरक्षण अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का परिपालन नहीं हो रहा है। तय निर्देशों के अनुसार वन व राजस्व भूमि का संरक्षण नहीं हो रहा है। हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट के बाद माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में जमीन का खेला करने वाले भू माफियाओं और सरकारी नुमाइंदों के फर्जीवाड़ा से पर्दा उठेगा।
वन व राजस्व भूमि के संरक्षण में बरती जा रही लापरवाही और वन विभाग की जमीन पर हो रहे कब्जे का ताजा मामला बालको का है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने बालको द्वारा वन भूमि पर कब्जा करने व पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी को जांच कर रिपोर्ट पेश करने कहा था। बालको द्वारा वन भूमि पर कब्जा करने वाले केस में सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
कमेटी ने छत्तीसगढ़ में राजस्व व वन भूमि का प्रबंधन वन संरक्षण अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार नहीं होने और आदेशों का उल्लंघन किए जाने पर कार्यवाही की सिफारिश की है। कमेटी ने 148 एकड़ वन भूमि पर बिना वन विभाग की अनुमति के कार्य करने के लिए बालको प्रबंधन को दोषी ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बावजूद 2008 से 2013 के बीच तकरीबन 150 एकड़ से अधिक भूमि पर पेड़ कटाई के लिए भी हाई पावर कमेटी ने बालको जिम्मेदार ठहराया है।
हाई पावर कमेटी ने दिसंबर महीने में बालको का दौरा किया था। कमेटी ने 127 पेज की रिपोर्ट और तकरीबन 5 हजार पन्नों के दस्तावेज के साथ सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में बालकों को लगभग 150 एकड़ भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बावजूद पेड़ कटाई का दोषी माना है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में राजस्व वन भूमि का प्रबंध वन संरक्षण अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार न होने की फाइंडिंग देकर इस पर कार्यवाही की सिफारिश की है। कमेटी ने बालकों को 148 एकड़ वन भूमि का विधिवत वन अनुमति लेने और वैकल्पिक पौधारोपण आदि की राशि जमा करने के सिफारिश भी की है।
सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद बालको ने पेड़ों की करा दी कटाई
वर्ष 2005 से ही बालकों के द्वारा वन भूमि पर बेजा कब्जा कर विभिन्न निर्माण करने के आरोप लगाते रहे हैं। 2008 फरवरी में भूपेश बघेल और सार्थक संस्था की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बालकों के कब्जे वाले क्षेत्र में पेड़ कटाई पर रोक लगा दी थी। बाद में उसे क्षेत्र में पावर प्लांट निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ कटाई के आरोप लगे और इसी बीच पावर प्लांट की निर्माणाधीन चिमनी गिर जाने से लगभग 42 मजदूर असमय मारे गए थे। इस घटना के बाद भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका पेश कर बालको के मालिक अनिल अग्रवाल समेत अन्य लोगों को प्रतिवादी बनाया था।