CGMSC एमडी का फर्जीवाड़ा: विधानसभा को गुमराह करने बैक डेट से जांच कमेटी गठित कर दी, फायनेंस ऑफिसर ने किया जांच से इंकार…

CGMSC MD Fraud: रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 19 दिसंबर 2024 को सीजीएमएससी की खरीदी में गंभीर अनियमितता बरतने पर सवाल लगा था। प्रश्न था पिछले तीन साल में कब-कब, कितनी-कितनी, कौन-कौन सी ओर किस-किस मद से उपकरण, रीएजेंट, कंज्यूमेबल और दवा औषधि का बिना बजट उपलब्धता के सीजीएमएमएससी द्वारा क्रय किया गया। और बगैर बजट की उपलब्तता के क्रय करने पर किन-किन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है?
एनपीजी न्यूज के पास सीजीएमएससी का विधानसभा को दिया गया संशोधित जवाब है। एमडी के दस्तखत से भेजे आदेश में लिखा है कि जांच कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। जवाब के साथ ही 27 नवंबर 2024 की डेट में गठित जांच आयोग का आदेश भी संलग्न था।
सीजीएमएससी ने संशोधित आदेश इसलिए प्रस्तुत किया क्योंकि पहले जो जवाब गया होगा, उससे लगा होगा कि विधानसभा में बवाल मचेगा, इसलिए इसकी तोड़ निकालते हुए बैक डेट से चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर संशोधित जवाब भेजा गया कि सीजीएमएससी पहले ही जांच आयोग का गठन कर चुका है।
बैक डेट में जांच आयोग
सीजीएमएससी एमडी ने ज्वाइंट डायरेक्टर फायनेंस पूजा शुक्ला की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया। इसमें पूजा के अलावे रायपुर मेडिकल कालेज अस्पताल के तीन डॉक्टर और सीजीएमएससी के एक आयुर्वेद आधिकारी शामिल थे। जांच आयोग 27 नवंबर 2024 की डेट में बना मगर इसका आदेश सभी सदस्यों को बैक डेट से दिसंबर में भेजा गया। एनपीजी न्यूज के पास इसके व्हाट्सएप के स्क्रीनशॉट हैं।
ज्वाइंट डायरेक्टर ने जताया एतराज
हेल्थ विभाग के सूत्रों के अनुसार जांच कमेटी की अध्यक्ष पूजा शुक्ला ने सिकरेट्र्री हेल्थ और सिकरेट्री फायनेंस को नोटशीट भेजकर बताया कि बैकडेट से जांच करने उन पर प्रेशर डाला जा रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि कमेटी में सिर्फ डॉक्टर हैं, वो भी बाहर के। सो, सीजीएमएससी का जब तक कोई जिम्मेदार अफसर नहीं होगा कमेटी में तब तक जांच कैसे हो पाएगी। इसके बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
कमेटी पर सवालों के घेरे में
सीजीएमएससी में अगर कोई घोटाला हुआ है तो उसकी जांच हेल्थ विभाग को कराना चाहिए न कि सीजीएमएससी द्वारा। फिर जिस पूजा शुक्ला को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया, वह नियमानुसार इसलिए सही नहीं था कि उससे पहले फायनेंस या हेल्थ विभाग से इसकी अनुमति नहीं ली गई। पूजा फायनेंस की अफसर हैं और इस समय हेल्थ में पोस्टेड हैं। ऐसे में, पूजा को जांच कमेटी का अध्यक्ष बनाना गैरकानूनी था।
लीपापोती के लिए प्रेशर
पता चला है, विधानसभा में सवाल लगने पर सीजीएमएससी ने कमेटी गठित कर दी मगर अफसरों पर दबाव था कि दो-एक बिंदुओं की जांच करके रिपोर्ट पेश कर दे। उपर के अधिकारियों ने कमेटी के सदस्यों को यह भी कहा गया कि घर का मामला है, ज्यादा कुछ नहीं करना चाहिए…आप लोग खानापूर्ति कर दो।
एसीबी की इंट्री के बाद संशोधित हुई कमेटी
27 जनवरी को एसीबी ने सीजीएमएससी के सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के दर्जन भर ठिकानों पर छापा मारकर उसके मालिक शाशांक चोपड़़ा को हिरासत में ले लिया। उसके बाद सीजीएमएससी के अफसरों के होश उड़ गए। फिर बचाव में 28 जनवरी को संशोधित जांच कमेटी का आदेश जारी कर दिया। इसमें संशोधन सिर्फ यह किया गया कि सीजीएमएसी के फायनेंस अधिकारी को मेम्बर ऐड किया गया। जानकारों का कहना है कि बचाव के टूल के तौर पर संशोधित जांच आयोग का आदेश निकाला गया ताकि कहा जा सकें कि सीजीएमएससी खुद ही जांच करवा रही है। कोर्ट में भी यह तथ्य काम आएगा कि सीजीएमएससी जांच को लेकर खुद गंभीर था।
बहरहाल, आप भी पढ़िये सीजीएमएससी द्वारा विधानसभा में पेश जवाब, 27 नवंबर की डेट का जांच आयोग और फिर 28 जनवरी 2025 का संशोधित जांच आयोग का आदेश…इसके बाद आप भी समझ जाइयेगा कि सीजीएमएससी में क्या चल रहा था…
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