CG नगरीय निकाय चुनाव: भाजपा व कांग्रेसी दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है नगरीय निकाय चुनाव

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बिलासपुर जिले का खास महत्व रहते आया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद जब प्रदेश में कांग्रेस की पहली सरकार बनी और अजीत जोगी सीएम बने तब प्रदेश की राजनीति में बिलासपुर जिले की तूती बोलती थी। यह रूतबा आज भी कायम है। जाहिर है चुनावी माहौल में रणनीतिकारों से लेकर सियासत में रूचि रखने वालों की नजरें इस ओर उठ ही जाती है। नगरीय निकाय चुनाव अब अंतिम दौर में है। मंगलवार को मतदान होना है। चुनावी कैंपेनिंग से लेकर मतदान और उसके बाद रिजल्ट। हार-जीत का फैसला भी हो जाएगा। फैसले के बाद यह भी तय हो जाएगा कि राजनीति रूप से कौन-कौन फायदे में रहे और वे कौन लोग हैं जिनको भारी नुकसान उठाना पड़ा। जाहिर सी बात है मौजूदा चुनाव में दिग्गजों की प्रतिष्ठा ही दांव पर लगी हुई है। चुनावी मैदान में जो कुछ नजर आ रहा है वह सब मोहरे ही तो हैं। असली खिलाड़ी तो मैदान के बाहर तो हैं पर सबको पता है, राजनीति उनके दम पर हो रही है और सियासी दंभ भी उनके ही सहारे।
छत्तीसगढ़ के साथ ही बिलासपुर की राजनीति को करीब से देखने और जानने वालों को यह बात अच्छी तरह पता है कि सत्ताधारी दल में निकायों के चुनाव में किसकी चलती है और मौजूदा चुनाव में किसकी चली है। मौजूदा निकाय चुनाव,बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर विधायक व पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल की राजनीतिक साख सबसे ज्यादा जुड़ी हुई है। प्रदेश भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए घोषणा पत्र समिति के संयोजक की जिम्मेदारी अमर को ही दी थी। उनकी अगुवाई में घोषणा पत्र तैयार हुआ और टिकट वितरण में भी उनकी चली है। खासकर बिलासपुर संभाग में तो सबने देखा भी है।
लोकसभा चुनाव के दौरान शीर्ष नेतृत्व ने अमर को पांच लोकसभा क्षेत्र के लिए क्लस्टर प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी थी। कोरबा को अपवाद स्वरूप छोड़ दें तो सभी लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने जीत का परचम फहराया है। लोकसभा चुनाव के दौरान जिस कुशलता के साथ चुनाव प्रबंधन किया यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। चर्चा तो इस बात की भी है कि नगरीय निकाय चुनाव के दौरान उम्मीदवारी तय करने में छत्तीसगढ़ के इन पांच लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले निकायों में उनकी जमकर चली है। या यूं कहें कि उनकी सिफारिशें पर प्रदेश भाजपा ने सहमति जताई है। बहरहाल मौजूदा निकाय चुनाव में बिलासपुर नगर निगम और जिले के निकायों में शहर सरकार बनाने की उनकी अपनी जिम्मेदारी के साथ ही प्रतिबद्धता भी है।
0 बिलासपुर नगर निगम में कोटा छोड़ सभी विधानसभा की हिस्सेदारी
बिलासपुर नगर निगम की सीमा वृद्धि के बाद निगम सीमा में जिले के छह में से पांच विधानसभा क्षेत्रों की भागीदारी है। बिलासपुर,बिल्हा,तखतपुर, बेलतरा व मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शहरी सीमाओं को निगम में शामिल किया गया है। कोटा विधानसभा क्षेत्र की भागीदारी निगम में नहीं है। निगम चुनाव में बिलासपुर के अलावा बिल्हा,तखतपुर, बेलतरा व मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के विधायकों,पूर्व विधायकों व दिग्गज नेताओं की राजनीतिक प्रतिष्ठा सीधेतौर पर दांव पर है।
0 बेलतरा पर टिकी नजरें
विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की चर्चा ना हो,ऐसा हो ही नहीं सकता। खासकर शहरी मतदाताओं की। ये ऐसे मतदाता हैं जो हर बार राजनीतिक पंडितों और चुनाव परिणाम से पहले भविष्यवाणी करने वालों की हवा निकालते रहे हैं। विधानसभा चुनाव की चर्चा करना इसलिए जरुरी हो जाता है कि जब वोटों की गिनती चल रही थी उस समय बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके से कांग्रेस लीड करती आई। जैसे ही शहरी क्षेत्र से लगे पाेलिंग बूथों की ईवीएम खुली,बाजी पलट गई। ग्रामीण क्षेत्र की लीड पाटने के बाद भाजपा को 18 हजार की लीड शहरी मतदाताओं की वजह से मिली। ये पूरा इलाका बिलासपुर नगर निगम सीमा में शामिल है। इन इलाकों को 18 वार्ड में बांट दिया है। मौजूदा चुनाव में भी यहां के मतदाताओं पर दोनों दलों के रणनीतिकारों की नजरें टिकी हुई है। शहर सरकार बनाने में इनकी भूमिका सबसे ज्यादा रहेगी।
0 ये है वार्डों का गणित
बेलतरा विधानसभा,18 वार्ड, तखतपुर विधानसभा-चार वार्ड, सकरी के दो व घुरू अमेरी के दो वार्ड, बिल्हा विधानसभा- 8 वार्ड, मस्तूरी विधानसभा दो वार्ड, बिलासपुर विधानसभा 38 वार्ड।