CG PSC Scam: युवाओं के लिए नासूर बन गया छत्तीसगढ़ पीएससी, जानिये कब और कौन परीक्षा विवादों की भेंट चढ़ गई
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CG PSC Scam: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2003 में सीजीपीएससी का गठन हुआ। राज्य लोकसेवा आयोग के गठन की बुनियाद इतनी लचर रही कि इसका खामियाजा आजतलक प्रतिभावन उम्मीदवारों को भुगतना पड़ रहा है। वर्ष 2003 में भर्ती परीक्षा हुई। दो साल तक फर्जीवाड़ा इसलिए दबा रहा कि तब देश में सूचना के अधिकार कानून नहीं आया था। वर्ष 2005 में आरटीआई देशभर में लागू हुआ। आरटीआई के आते ही सीजीपीएससी में बैठे अफसरों की करतूत भी उसी अंदाज में बाहर आने लगा।
वर्ष 2003 की पीएससी भर्ती परीक्षा के बाद चयन में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को अगर लागू किया जाता तो आधा दर्जन से ज्यादा अफसर डिमोट हो जाते हैं और इतने की नौकरी चली जाती। पर ऐसा नहीं हो पाया। चयनित अफसरों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस मील के पत्थर जैसे फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लग गई। तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं।
वर्ष 2003 की सीजीपीएससी परीक्षा फर्जीवाड़ा की चर्चा इसलिए कि पहली बार ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच की। जांच में सीजीपीएससी के चेयरमैन से लेकर मेंबर को भी दोषी ठहराया गया। सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए गए। ईओडब्ल्यू ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जांच संबंधी दस्तावेज भी पेश किया था। सीजीपीएससी ने भी माना था कि स्केलिंग करने में गलतियां हुई है। तब हाई कोर्ट ने नए सिरे से स्केलिंग करने और मेरिट सूची जारी करने का निर्देश दिया था। इस बीच छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी आया।
0 सरकार-दर-सरकार परीक्षा, हर बार विवाद
राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2003 में सीजीपीएससी ने पहली बार परीक्षा का आयोजन किया। ऐसा विवाद जो आजतलक नहीं हुआ। टाप टू बाटम फर्जीवाड़ा। हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी आया। 15 साल में 9 बार परीक्षाओं का आयोजन किया गया। सात से आठ बार आयोजित की गई परीक्षाओं कें विवाद की स्थिति बनी। भाजपा सरकार के दौरान 2003 और 2005 में पीएससी भर्ती घोटाले की जमकर चर्चा रही।
0 अगर ये होता तो तस्वीर कुछ दूसरी होती
वर्ष 2003 सीजीपीएससी फर्जीवाड़े की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया था अगर उस पर अमल किया जाता तो तस्वीर कुछ दूसरी ही होती। एक बात की चर्चा अब भी होती है कि हाई कोर्ट के फैसले पर सीजीपीएससी के जरिए अमल होता तो शायद भ्रष्टाचार पर उसी दौरान अंकुश लग गया होता। तब वर्तमान अभ्यर्थियों और युवाओं के करियर चौपट होने से बच जाता। पर ऐसा नहीं हो पाया। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि स्केलिंग में की गई गड़बड़ियों को लेकर कोर्ट ने कहा था कि सूची को निरस्त कर मानव विज्ञान की कापियों को दोबारा जांचन करें और फिर से स्कैलिंग कर नई सूची जारी करने का आदेश दिया था। उस दौरान जांच में यह भी पाया गया कि किसी अभ्यर्थी को 50 नंबर के पूर्णांक के आधार पर तो किसी को उपकृत करने के लिए 75 नंबर के पूर्णांक के आधार पर कापियां जांची गई थी।
0 2005 में चयनित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर
वर्ष 2005 के पीएससी भर्ती में तो गजब हो गया था। फर्जीवाड़ा की गूंज हाई कोर्ट तक पहुंची। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सीजीपीएससी द्वारा नियुक्ति सूची को ही खारिज कर दिया था। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सीजीपीएससी की सूची को बहाल कर दिया। हाई कोर्ट के फैसले का रियएक्शन भी आया। सीजीपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी के अलावा मेंबर व अन्य अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
0 2020 में आंसर शीट में की गई गड़बड़ी
वर्ष 2020 की सीजीपीएससी की परीक्षा के बाद प्रश्नों के उत्तर को लेकर गड़बड़ी का मामला सामने आया था। जारी आंसर शीट में 4 प्रश्नों के गलत उत्तर को सही बताया गया था। छत्तीसगढ़ के मानसून, संपत्ति के अधिकार, कांगेर घाटी और प्रति व्यक्ति आय से संबंधित प्रश्न को लेकर विवाद हुआ था। परीक्षार्थी और विशेषज्ञों का कहना था कि इन सभी प्रश्नों के गलत जवाब को सही बताया गया है।
0 इस पर भी एक नजर
राज्य बनने के बाद 2003,2005,2008 में परीक्षा आयोजित की गई। 2008 पीएससी भी कोर्ट गया और विवादों में रहा। 2013 में चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग मिली। इसके बाद 2011 में सीजीपीएससी ने परीक्षा आयोजित की, परिणाम दिसंबर 13 में जारी हुआ और चयनित उम्मीदवारों को 2014 में ज्वाइनिंग दी गई। 2008 और 2011 ऑब्जेक्टिव परीक्षा मेंस में ली गई। 2011 के बाद 2012 से सब्जेक्टिव पैटर्न पर मुख्य परीक्षा होने लगी। इसमें सात प्रश्न पत्र होते हैं। 2012 में जो पैटर्न मुख्य परीक्षा हेतु आया है उसी पैटर्न में अब तक लगातार 2023 तक परीक्षा ली गई। 2024 में भी जारी वैकेंसी में मुख्य परीक्षा इसी पैटर्न पर होगी। हालांकि साक्षात्कार के नंबर 150 से 100 कर दिए गए हैं।
0 फर्जीवाड़े की लंबी सूची
2003 में पीएससी की चयन सूची हेरफेर किया गया। स्केलिंग में गड़बड़ी करके अपनों का लाभ पहुंचाने का आरोप।
2005 में पीएससी के साक्षात्कार के दौरान दो सदस्यों का लेनदेन के संबंध में आडिया वायरल हुआ।
2008 में परीक्षा पैटर्न बदलने पर बवाल। 2011 तक मेंस में ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे गए थे।
2012 में मुख्य परीक्षा में सात पेपर की लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया। इसे लेकर विवाद की स्थिति बनी।
2013 में प्रारंभिक परीक्षा के मॉडल उत्तर को लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई।
2016 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में अंग्रेजी के 100 में से 47 सवाल गलत। परीक्षा ही रद।
2017 में पीएससी प्रारंभिक परीक्षा में कई गलत सवाल पूछे गए थे।
2018 में इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा में पीएससी ने जो विकल्प दिए थे।
2019 से मॉडल उत्तर पर आपत्ति तो मंगाई गई, लेकिन संशोधित उत्तर भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के बाद जारी की गई।
2003 में पीएससी की चयन सूची हेरफेर किया गया। स्केलिंग में गड़बड़ी करके अपनों का लाभ पहुंचाने का आरोप।
2005 में पीएससी के साक्षात्कार के दौरान दो सदस्यों का लेनदेन के संबंध में आडिया वायरल हुआ।
2008 में परीक्षा पैटर्न बदलने पर बवाल। 2011 तक मेंस में ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे गए थे।
2012 में मुख्य परीक्षा में सात पेपर की लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया। इसे लेकर विवाद की स्थिति बनी।
2013 में प्रारंभिक परीक्षा के मॉडल उत्तर को लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई।
2016 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में अंग्रेजी के 100 में से 47 सवाल गलत। परीक्षा ही रद।
2017 में पीएससी प्रारंभिक परीक्षा में कई गलत सवाल पूछे गए थे।
2018 में इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा में पीएससी ने जो विकल्प दिए थे।
2019 से मॉडल उत्तर पर आपत्ति तो मंगाई गई, लेकिन संशोधित उत्तर भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के बाद जारी की गई।