CG Naxal News: नक्सल हिंसा से उजड़े गांव होने लगे आबाद, सलवा जुडूम के समय गांव छोड़कर चेरला और आंध्रप्रदेश के दूसरे जिलों में बस गए थे लोग

CG Naxal News: नक्सल हिंसा से उजड़े गांव होने लगे आबाद, सलवा जुडूम के समय गांव छोड़कर चेरला और आंध्रप्रदेश के दूसरे जिलों में बस गए थे लोग

CG Naxal News: रायपुर। बस्तर अंचल में शांति बहाली के चलते उजाड़ गांव फिर आबाद होने लगे हैं। सुकमा जिले के जगरगुंडा, गरगुंडा के बाद अब इससे लगे हुए नक्सल प्रभावित गांव भी फिर से आबाद हो रहे हैं। जगरगुंडा राहत शिविर में रह रहे लोग जहां पहले ही अपने गांव को लौट चुके हैं, तो वहीं अब जगरगुंडा से 11 किलोमीटर दूर सिलगेर, तिम्मापुरम, बेदरे, बोरगुडा, गेल्लूर, मंडमरका जैसे गांव भी फिर से आबाद होने लगे हैं।

दो दशक बाद फिर से इन गांवों में रौनक लौट रही है। सिलगेर और इसके आसपास के 50 से अधिक परिवार जो वर्ष 2005-2006 में सलवा जुडूम के समय अपने गांवों को छोड़कर चेरला, आंध्रप्रदेश के भद्राणी जिला और दूसरे जिले में

जाकर बस गए थे, ऐसे 50 परिवार अब वापस गांव में आ गए हैं और अपना घर फिर से तैयार कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया सबसे ज्यादा चेरला में जाकर बसे थे। अब सिलगेर गांव में ग्रामीण फिर लौटकर बसने लगे हैं। सिलगेर के रामदास ने बताया 50 से अधिक परिवार अब लौट चुके हैं। रामदास ने बताया सड़क बन बन गई है गांव में दूसरे काम भी हो रहे हैं. अभी शांति है इसलिए गांव छोड़कर गए लोग लौट रहे हैं।

जगरगुंडा से बासागुड़ा-बीजापुर सड़क तैयार

जगरगुंडा से बासागुड़ा-बीजापुर सड़क तैयार भी बनकर तैयार हो गई है, सड़क पर अब सन्नाटा नहीं है। स्कूल और अस्पताल शुरू हो गए हैं । आश्रम भी बन रहा है।

सिलगेर गांव पूरी तरह से उजड़ गया था। गांव में गिने-चुने परिवार ही बचे थे। जगरगुंडा के बाद सिलगेर गांव में भी फिर से स्कूल शुरू हो गया है। आश्रम भवन बनाया जा रहा है, अस्पताल शुरू हो गया है।

बीजापुर, दोरनापाल, दंतेवाड़ा तीनों तरफ बस सेवा भी शुरू हो गई है।

बस्तर के विकास में मुख्यमंत्री विष्णुदेव की विशेष पहल, सौंपा बस्तर के विकास का रोडमैप

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 18 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर राज्य के विकास संबंधी विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने बस्तर विकास के मास्टर प्लान का खाका प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया। इस बैठक में मुख्यमंत्री साय ने बस्तर विकास का मास्टर प्लान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को बुनियादी सुविधाओं, उद्योगों और पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित करने की रूपरेखा शामिल थी। प्रधानमंत्री ने इस योजना पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार को हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया।

मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री को बताया कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। सुरक्षा बलों की संगठित रणनीति एवं जनभागीदारी के चलते नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से बदलाव आ रहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस और केंद्रीय बलों के संयुक्त प्रयासों से कई नक्सल गढ़ों में विकास की किरण पहुंची है, जिससे जनता का विश्वास सरकार की योजनाओं में और मजबूत हुआ है। सरकार का अब पूरा ध्यान बस्तर को नए औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित करने पर है, जिससे युवाओं को रोजगार और आदिवासी समुदायों को बेहतर जीवन स्तर मिल सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री साय ने राज्य की नई औद्योगिक नीति और निवेशकों की बढ़ती रुचि पर भी विस्तृत चर्चा की।

मुख्यमंत्री ने बताया कि निवेश को आसान बनाने के लिए सरकार ने सिंगल विंडो क्लीयरेंस, टैक्स छूट और अनुकूल नीतियों को लागू किया है, जिससे बड़ी कंपनियां छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आकर्षित हो रही हैं।

मुख्यमंत्री साय ने इस मुलाकात में महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूत किया जा रहा है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

मुख्यमंत्री ने बैठक में बस्तर की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी प्रधानमंत्री को दी। उन्होंने बताया कि बस्तर के महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हजारों महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

लघु वनोपज, जैविक कृषि, हथकरघा, बांस उद्योग और हस्तशिल्प को प्रोत्साहित कर महिलाओं को न केवल आजीविका के साधन मिल रहे हैं, बल्कि वे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही हैं। इसके अलावा, स्टार्टअप्स और छोटे उद्योगों के माध्यम से बस्तर की महिलाओं को उत्पादन और विपणन से जोड़ने की पहल की जा रही है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनकर राज्य की आर्थिक प्रगति में योगदान दे सकें।

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