CG Land compensation Scam: एसडीएम का ऐसा खेलाः 48 गुना अधिक रेट से मुआवजा, कागजों में नहर का एलाइनमेंट बदला, जमीन किसी और की, 3.5 करोड़ पेमेंट किसी और को…

CG Land compensation Scam: बिलासपुर। कोविड काल का फायदा उठाते हुए अरपा भैंसाझार नहर निर्माण में कोटा एसडीएम और राजस्व विभाग के दीगर मुलाजिमों ने करोड़ों का खेला कर दिया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी और तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू की रही। भूअर्जन अधिकारी होने के नाते एसडीएम की निगरानी में ही मुआवजे का पत्रक तैयार होने के साथ ही उसका वितरण किया जाता है।
एसडीएम और पटवारी ने राजस्व दस्तावेजों में ना केवल कूटरचना की वरन नहर का अलाइमेंट भी बदल दिया। जहां से नहर लाइन बिछना ही नहीं है राजस्व दस्तावेजों में वहां नहर लाइन बिछा दी और जमीनों का अधिग्रहण कर कागजों में भुगतान भी कर दिया। जिन किसानों की जमीन नहर लाइन में जाना था, वह आज भी मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।
राजस्व विभाग के मुलाजिमों ने जहां से नहर लाइन बिछी है वहां से तकरीबन 200 मीटर की जमीन को नहर लाइन की जद में आना बताते हुए तीन डिसमिल जमीन का अधिग्रहण और भूअर्जन करना बताया है। यह कैसे संभव है कि नहर लाइन के बाइपास वह भी 200 मीटर दूर की जमीन नहर लाइन की जद में आएगी। पटवारी ने नहर का अलाइमेंट ही बदल दिया। एक और फर्जीवाड़ा ये कि जिस तीन डिसमिल जमीन को नहर लाइन में आना बताया है वहां झोपड़ी बनी है, उसे महल बता दिया। झोपड़ी के आसपास की जमीन को दोफसली बताकर मुआवजा राशि तय कर दी।
मुआवजा की रकम सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। प्रति एकड़ साढ़े 12 करोड़ की दर से झोपड़ी और आसपास की बंजर जमीन को दस्तावेजों में दोफसली बताकर खसरा नंबर 1/4 अर्जित रकबा 0.03 एकड़ बताकर 37,37,871/ लाख रुपये का भुगतान कर दिया है। जबकि, इस समय वहां जमीन का बाजार रेट 25 लाख रुपए एकड़ है। कोविड के समय और कम रहा हो। फिर सरकारी रेट से मुआवजा मिलता है, वो तो चौथाई रहा होगा। फिर भी बाजार रेट 25 लाख एकड़ से भी कैलकुलेशन करें तो 48 गुना अधिक मुआवजा दिया गया।
जमीन किसी की, मुआवजा किसी और को
एक और बड़ा फर्जीवाड़ा यह कि खसरा नंबर 1/6 अर्जित रकबा 0.26 एकड़ जमीन राजस्व दस्तावेजों में बिलासपुर के पवन अग्रवाल के नाम दर्ज है, मुआवजा दूसरे पवन अग्रवाल को दे दिया गया। यह सब अनजाने में नहीं जानबुझकर किया गया फर्जीवाड़ा है। खसरा नंबर 1/6 अर्जित रकबा 0.26 एकड़ जमीन मनोज अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। मुआवजा देते वक्त किसी दूसरे व्यक्ति को 3,04,80,049/का भुगतान कर दिया है। यह भी जानबुझकर और सोची समझी साजिश के तहत की गई है। वास्तविक भूमि स्वामी पवन अग्रवाल को कानो-कान भनक नहीं लग पाई थी। जब उसकी जमीन पर एक्सीवेटर पहुंचा तब उसे फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। राजस्व रिकार्ड कलेक्टर के पास पेश करने और जांच रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद एसडीएम और पटवारी की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। राजस्व दस्तावेजों में किए गए कांट-छांट और कूटरचना के चलते सरकारी खजाने को 3,42,17,920/-का नुकसान तत्कालीन एसडीएम तिवारी और पटवारी, आरआई ने पहुंचाया।
जांच रिपोर्ट में खुलासा
राजस्व विभाग ने बिलासपुर के हल्का नंबर 45 सकरी, तहसील सकरी में पदस्थापना के दौरान भू-अर्जन प्रकरण ग्रा./85/1-82/2017-18 में इनके द्वारा उक्त प्रकरण में 04 बार प्रतिवेदन प्रस्तुत्त किया गया, जो परस्पर विरोधाभासी है एवं रकबों में भी मिन्नता है। जिसके कारण भू-अर्जन में की जाने वाली भूमि का मुआवजा बनाने एवं उसके वितरण में विसंगति उत्पन्न हुई।






