CG History in Hindi: छत्तीसगढ़ का इतिहास, छत्तीसगढ़ के ये हिडन तथ्य आपको हैरान कर देंगे! यहां जानिए सबकुछ!

CG History in Hindi: छत्तीसगढ़, जिसे ‘महतारी’ (माँ) का दर्जा प्राप्त है, भारत का 26वां राज्य है, जिसका गठन 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से विभाजित होकर हुआ. यह राज्य प्राचीन काल से विभिन्न संस्कृतियों का केंद्र रहा है, और इसका नाम ‘छत्तीसगढ़’ पहले यहां के 36 किलों के कारण पड़ा था. वैदिक और पौराणिक काल से इस क्षेत्र में वैष्णव, शैव, शाक्त, और बौद्ध संस्कृतियों का प्रभाव रहा है. आज यह राज्य देश के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक स्रोत बन चुका है, जहां इस्पात और बिजली उत्पादन में प्रमुख स्थान है, स्टील उत्पादन में कुल 15 प्रतिशत योगदान छत्तीसगढ़ का है. छत्तीसगढ़, जो ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, भारत में सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में एक है, और इसका विकास कृषि, उद्योग, ऊर्जा और पर्यटन क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से देखा जा रहा है.आइये जानते है छत्तीसगढ़ के बारे में विस्तृत जानकारी
छत्तीसगढ़ का इतिहास
छत्तीसगढ़ का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है, जो प्राचीन ‘दक्षिण कौशल’ क्षेत्र का हिस्सा था. इसे रामायणकाल में ‘कोशल’ प्रदेश के रूप में जाना जाता था. महानदी, जिसका प्राचीन नाम ‘चित्रोत्पला’ था, इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण जलस्त्रोत था, और इसका उल्लेख महाभारत, ब्रह्म पुराण तथा मत्स्य पुराण में भी मिलता है. वाल्मीकि रामायण में भी छत्तीसगढ़ के घने वनों और महानदी का विस्तार से वर्णन किया गया है, और माना जाता है कि श्री राम वनवास के दौरान इस क्षेत्र से गुज़रे थे. इसके अलावा, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिहावा पर्वत पर स्थित आश्रम में श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया, जिसके परिणामस्वरूप भगवान राम का अवतार हुआ.
प्राचीन काल में इस क्षेत्र पर मौर्य, सातवाहन, वकाटक, गुप्त, और कलचुरी वंशों का शासन था. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 639 ईस्वी में अपने यात्रा विवरण में छत्तीसगढ़ की राजधानी ‘सिरपुर’ का उल्लेख किया, जहां बोधिसत्व नागार्जुन का आश्रम स्थित था. इस समय छत्तीसगढ़ पर सातवाहन वंश का शासन था. महाकवि कालिदास का जन्म भी इसी क्षेत्र में हुआ था.
इस क्षेत्र में कई स्थानीय राजवंशों का शासन भी रहा, जैसे बस्तर के नल और नाग वंश, कांकेर के सोमवंशी, और कवर्धा के फणि-नाग वंश. कवर्धा के चौरा मंदिर में 1349 ई. का शिलालेख पाया गया, जो नाग वंश के राजाओं की वंशावली को दर्शाता है. नाग वंश के राजा रामचंद्र ने इस शिलालेख को खुदवाया था, और उनका शासन 14वीं सदी तक भोरमदेव के क्षेत्र में कायम रहा। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर समृद्ध और विविधतापूर्ण रही है, जो आज भी क्षेत्रीय पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है.
छत्तीसगढ़ नाम के पीछे की कहानी
छत्तीसगढ़ का नाम कैसे पड़ा, इसे लेकर कई किंवदंतियाँ और मत प्रचलित हैं. हिंदी शब्द “छत्तीस” का अर्थ है “36”, और “गढ़” का अर्थ है “किला” या “फोर्ट”. यही कारण है कि इस राज्य का नाम “छत्तीसगढ़” पड़ा. प्राचीनकाल में इस क्षेत्र को “दक्षिण कौसल” कहा जाता था, लेकिन मराठा काल में इसका नाम छत्तीसगढ़ में परिवर्तित हुआ. सबसे पहले, अंग्रेजों ने 1795 में अपने एक आधिकारिक दस्तावेज में “छत्तीसगढ़” शब्द का इस्तेमाल किया. कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ का नाम देवी मंदिर के 36 स्तंभों से पड़ा है, जिससे यह क्षेत्र 36 किलों या गढ़ों का प्रतीक बन गया.
यह भी कहा जाता है कि राज्य के 36 गढ़ थे, जो शिवनाथ नदी के उत्तर और दक्षिण में स्थित थे. इन गढ़ों पर कलचुरी राजाओं का शासन था। इन गढ़ों के कारण प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. हालांकि, यह मत भी प्रचलित है कि विशेषज्ञ इस संख्या से पूरी तरह सहमत नहीं हैं, क्योंकि आज तक इस क्षेत्र में 36 किलों की पुरातात्विक पहचान नहीं की जा सकी है.
पुराने छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 36 सामंती क्षेत्र या गढ़ थे, जिनमें रतनपुर, विजयपुर, खड़ौद, मारो, कौतगढ़, सोंधी, नवागढ़, औखर, पदारभट्टा, चांपा, लफा, सेमरीया, कैंडा, माटिन, अपरोरा, कुरकुती, पाटन, पेंड्रा, सिमागा, लवन, ओमेरा, सिंगारपुर, दुर्ग, सारदा, मेंहदी, खल्लारी, सिरपुर, सिरसा, फतेश्वर, सिंघनगढ़, सुवर्मार, तेंगरा, राजिम और अकलतरा जैसे प्रमुख गढ़ शामिल थे.
इसके बाद, 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ और इसे मध्य प्रदेश से अलग कर दिया गया. इसे भारत देश के 26वें राज्य बनने का गौरव प्राप्त हुआ. इस प्रकार, छत्तीसगढ़ का नाम और इसका ऐतिहासिक महत्व राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन गए हैं, जो आज भी इस क्षेत्र की पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा
छत्तीसगढ़ राज्य का गठन एक लंबी और संघर्षपूर्ण प्रक्रिया का परिणाम था, जो कई दशकों तक जारी रही. 1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग करके भारतीय संघ का 26वां राज्य बनाया गया। इसका गठन रायपुर, बिलासपुर और बस्तर के तीन प्रमुख संभागों से हुआ, जिसमें 16 जिले, 96 तहसीलें और 146 विकासखंड शामिल थे. इस राज्य की स्थापना के लिए कई वर्षों तक जनआंदोलन और राजनीतिक संघर्ष चलते रहे. पंडित सुंदरलाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, शंकर गुहा नियोगी जैसे महान नेताओं ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग उठाई थी, और 1998 में मध्यप्रदेश विधानसभा में शासकीय संकल्प पारित होने के बाद, 2000 में यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पारित हुआ.
छत्तीसगढ़ के राज्य बनने के बाद रायपुर को इसकी राजधानी बनाया गया और बिलासपुर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई. 25 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति के द्वारा इस विधेयक को मंजूरी देने के बाद, 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ को एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला. इस राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नेताओं और जन आंदोलनों ने इस प्रदेश के लोगों के लिए एक नई दिशा और पहचान दी. 14 दिसंबर 2000 को रायपुर में राज्य विधानसभा की पहली बैठक रायपुर के राजकुमार कॉलेज के जशपुर हाल में आयोजित की गई, और छत्तीसगढ़ ने एक नए चरण में प्रवेश किया. राज्य के गठन ने इस क्षेत्र के विकास और समृद्धि के नए अवसर खोले और अब यह भारत के प्रमुख राज्यों में से एक के रूप में उभरा है.
छत्तीसगढ़ विविधता और प्राकृतिक संपदाओं का अद्वितीय संगम
छत्तीसगढ़ भारत के मध्य हिस्से में स्थित एक प्रमुख राज्य है, जिसकी सीमा उत्तर में उत्तर प्रदेश, उत्तर-पश्चिम में मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग, उत्तर-पूर्व में उड़ीसा और झारखंड, दक्षिण में तेलंगाना और आंध्रप्रदेश, और पश्चिम में महाराष्ट्र से जुड़ी हुई है. यह राज्य एक अत्यधिक विविध भूगोल वाला क्षेत्र है, जिसमें ऊँची-नीची पर्वत श्रेणियाँ, घने वन, और उपजाऊ मैदान शामिल हैं. छत्तीसगढ़ के जंगलों में साल, सागौन, साजा, बीजा, और बाँस के वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, साथ ही यहाँ सागौन की कुछ विशेष उन्नत किस्में भी पाई जाती हैं. इसके वन न केवल राज्य की जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये विभिन्न प्रकार की लकड़ी के उत्पादन का भी प्रमुख स्रोत हैं. छत्तीसगढ़ का भूगोल अपने आप में कई प्राकृतिक खंडों में विभाजित है, जिसमें उत्तर में सतपुड़ा की पर्वत श्रेणी, मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित उपजाऊ मैदान, और दक्षिण में बस्तर का पठार शामिल हैं.
महानदी और उसकी सहायक नदियाँ छत्तीसगढ़ में एक विशाल उपजाऊ मैदान का निर्माण करती हैं, जो लगभग 80 किमी चौड़ा और 322 किमी लंबा है. इस मैदान के पश्चिम में महानदी और शिवनाथ का दोआब स्थित है, जहां दुर्ग और बिलासपुर जैसे प्रमुख जिले स्थित हैं. इस क्षेत्र की उपजाऊ मिट्टी और धान की भरपूर पैदावार के कारण इसे “धान का कटोरा” भी कहा जाता है. इस राज्य के प्रमुख जल स्रोतों में महानदी, शिवनाथ, खारुन, सोंढूर, अरपा, पैरी, और इंद्रावती नदियाँ शामिल हैं, जो यहाँ की कृषि और जलवायु के लिए महत्वपूर्ण हैं. छत्तीसगढ़ की धरती में छिपी ये प्राकृतिक संपदाएँ न केवल राज्य की विकासात्मक दिशा को प्रभावित करती हैं, बल्कि इसके पारिस्थितिकी तंत्र की समृद्धि का भी परिचायक हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य का क्षेत्रफल और जनसंख्या
छत्तीसगढ़ राज्य का कुल क्षेत्रफल 135,194 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत के बड़े राज्यों में से एक बनाता है. जनगणना 2011 के अनुसार, इस राज्य की जनसंख्या लगभग 2.55 करोड़ है, जो विभिन्न जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई समूहों से मिलकर बनी है. यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, विविधता और संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है और इसका विकास लगातार गति पकड़ रहा है.
छत्तीसगढ़ में कितने जिले हैं?
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय केवल 16 जिले थे, लेकिन समय के साथ जिलों की संख्या में वृद्धि हुई. 2007 में राज्य सरकार ने बस्तर संभाग के दो नए जिलों, नारायणपुर और बीजापुर, की घोषणा की. इसके बाद, 2012 के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह (भा.ज.पा.) ने 9 नए जिलों का निर्माण किया, जिससे राज्य में प्रशासनिक दायित्वों का बेहतर वितरण संभव हुआ. इसके बाद, 15 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (कांग्रेस) ने बिलासपुर जिले से एक नया जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही की घोषणा की. इसके अतिरिक्त, भूपेश बघेल बघेल ने 4 नए जिलों का निर्माण भी किया गया. इस प्रकार, छत्तीसगढ़ में कुल 32 जिले हो गए हैं. इसके बाद 03 सितम्बर 2022 को तात्कालिन राजनांदगांव जिले से पृथक होकर एक और जिला खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई 33 वें जिले के रूप में अस्तित्व में आया.
वर्तमान में छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में कवर्धा, कांकेर, कोरबा, कोरिया, जशपुर, जांजगीर-चाँपा, दंतेवाड़ा, दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर, बस्तर, महासमुंद, राजनांदगाँव, रायगढ़, रायपुर, सरगुजा, नारायणपुर, बीजापुर, बेमेतरा, बालोद, बलौदा बाजार, बलरामपुर, गरियाबंद, सूरजपुर, कोंडागाँव, मुंगेली, सुकमा, गौरेला-पेंड्रा-मारवाही, मनेंद्रगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मोहला-मानपुर, सक्ती, और खैरागढ़ जिले शामिल हैं. इन जिलों का प्रशासनिक विभाजन छत्तीसगढ़ में विकास को गति देने और सरकारी योजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
छत्तीसगढ़ में कितने संभाग हैं?
छत्तीसगढ़ में कुल 5 संभाग हैं, बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग.
बस्तर संभाग: बस्तर संभाग के अंदर आने वाले जिले बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, कांकेर है.
सरगुजा संभाग: सरगुजा संभाग के अंदर आने वाले जिले बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ़, सूरजपुर, सरगुजा है.
बिलासपुर संभाग: बिलासपुर संभाग के अंदर आने वाले जिले बिलासपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जांजगीर-चांपा, कोरबा, मुंगेली, रायगढ़, सक्ती, सारंगढ़-बिलाईगढ़ है.
दुर्ग संभाग: दुर्ग संभाग के अंदर आने वाले जिले बालोद, बेमेतरा, दुर्ग, कबीरधाम, खैरागढ़, मोहला-मानपुर, राजनांदगांव है.
रायपुर संभाग: रायपुर संभाग के अंदर आने वाले जिले बालोद रायपुर, बलौदाबाजार, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद है.
छत्तीसगढ़ में कितने विधानसभा क्षेत्र है?
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा क्षेत्र है, वर्तमान में यह एक भाजपा शासित राज्य है. यहाँ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय हैं. आइये जानते है 90 विधानसभा क्षेत्र और वहां के विधायक कौन हैं-
1. भरतपुर-सोनहट – रेणुका सिंह सरुता
2. मनेन्द्रगढ श्याम बिहारी जायसवाल
3. बैकुंठपुर – भईया लाल राजवाड़े
4. प्रेमनगर – भूलन सिंह मराबी
5. भटगांव – लक्ष्मी राजवाड़े
6. प्रतापपुर – शकुंतला सिंह पोर्ते
7. रामानुजगंज – राम विचार नेताम
8. सामरी – उद्धेश्वरी पैकरा
9. लुण्ड्रा – प्रबोध मिंज
10. अम्बिकापुर – राजेश अग्रवाल
11. सीतापुर – पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो
12. जशपुर – रायमुनी भगत
13. कुनकुरी – विष्णु देव साय
14. पत्थलगाँव – गोमती साय
15. रायगढ़ – ओमप्रकाश चौधरी (ओ.पी. चौधरी)
16. कोरबा – लखनलाल देवांगन
17. कटघोरा – प्रेमचन्द पटेल
18. मरवाही – प्रणव कुमार मरपची
19. लोरमी – अरुण साव
20. मुंगेली – पुन्नूलाल मोहले
21. तखतपुर – धर्मजीत सिंह
22. बिल्हा – धरम लाल कौशिक
23. बिलासपुर – अमर अग्रवाल
24. बेलतरा – सुशांत शुक्ला
25. बसना – सम्पत अग्रवाल
26. महासमुन्द – योगेश्वर राजू सिन्हा
27. बलौदाबाजार – टंक राम वर्मा
28. धरसीवा – अनुज शर्मा
29. रायपुर शहर ग्रामीण – मोतीलाल साहू
30. रायपुर नगर पश्चिम – राजेश मूणत
31. रायपुर नगर उत्तर – पुरन्दर मिश्रा
32. रायपुर नगर दक्षिण – सुनील सोनी
33. आरंग – गुरु खुशवंत साहेब
34. अभनपुर – इन्द्र कुमार साहू
35. राजिम – रोहित साहू
36. कुरुद – अजय चन्द्राकर
37. दुर्ग ग्रामीण – ललित चंद्राकर
38. दुर्ग शहर – गजेन्द्र यादव
39. वैशाली नगर – रिकेश सेन
40. अहिवारा – डोमनलाल कोर्सेवाड़ा
41. साजा – ईश्वर साहू
42. बेमेतरा – दीपेश साहू
43. नवागढ़ – दयालदास बघेल
44. पंडरिया – भावना बोहरा
45. कवर्धा – विजय शर्मा
46. राजनांदगांव – डॉ. रमन सिंह
47. अंतागढ़ – विक्रम उसेण्डी
48. कॉकेर – आशा राम नेताम
49. केशकाल – नीलकंठ टेकाम
50. कोण्डागांव – लता उसेण्डी
51. नारायणपुर – केदार कश्यप
52. जगदलपुर – किरण देव
53. चित्रकोट – विनायक गोयल
54. दन्तेवाड़ा – चैतराम अटामी
55. लैलूंगा – विद्यावती सिदार
56. सारंगढ़ – खरसिया
57. धर्मजयगढ़ – उत्तरी गनपत जांगड़े
58. उमेश पटेल- लालजीत सिंह राठिया
59. रामपुर – फूलसिंह राठिया
60. कोटा – अटल श्रीवास्तव
61. मस्तूरी – दिलीप लहरिया
62. अकलतरा – राघवेन्द्र कुमार सिंह
63. जांजगीर-चांपा – ब्यास कश्यप
64. सक्ती -चरण दास महंत
65. जैजैपुर- बालेश्वर साहू
66. पामगढ़- रामकुमार यादव
67. बालेश्वर साहू- शेषराज हरवंश
68. सराईपाली – चातुरी नंद
69. खल्लारी – द्वारिकाधीश यादव
70. बिलाईगढ़ – कविता प्राण लहरे
71. कसडोल – संदीप साहू
72. भाटापारा – इंद्र साव
73. बिन्द्रानवागढ़ – जनक ध्रुव
74. सिहावा – अंबिका मरकाम
75. धमतरी – ओंकार साहू
76. संजारी बालोद – संगीता सिन्हा
77. डौण्डी लोहारा – अनिला भेडिया
78. गुन्डरदेही – कुंवर सिंह निषाद
79. पाटन – भूपेश बघेल
80. भिलाई नगर – देवेन्द्र यादव
81. खेटागढ़ – यशोदा निलाम्बर वर्मा
82. डोंगरगढ़ – हर्षिता स्वामी बघेल
83. डोंगरगांव – दलेश्वर साहू
84. खुज्जी – भोलाराम साहू
85. मोहला-मानपुर – इन्द्रशाह मंडावी
86. भानुप्रतापपुर – सावित्री मनोज मण्डावी
87. बस्तर – बघेल लखेश्वर
88. बीजापुर – विक्रम मण्डावी
89. कोन्टा – कवासी लखमा
90. पाली-तानाखार- तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम
छत्तीसगढ़ में कितने लोकसभा क्षेत्र हैं?
छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 11 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व एक सांसद द्वारा किया जाता है. यहां 2024 के लोकसभा चुनावों में निर्वाचित सांसदों की सूची दी गई है:
1. कांकेर- भोजराज नाग
2. रायपुर – बृजमोहन अग्रवाल
3. सरगुजा- चिंतामणि महाराज
4. बस्तर- महेश कश्यप
5. कोरबा- ज्योत्साना महंत
6. रायगढ़- राधेश्याम राठिया
7. राजनंदगांव- संतोष पांडे
8. जांजगीर-चांपा- कमलेश जांगड़े
9. महासमुंद- रूप कुमारी चौधरी
10. बिलासपुर- तोखन साहू
11. दुर्ग- विजय बघेल
छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य
छत्तीसगढ़ की संस्कृति में लोकगीतों और लोकनृत्य का विशेष स्थान है. यहाँ के गीत आमतौर पर छोटे और गेय होते हैं, जिनमें भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति होती है. छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकगीतों में भोजली, पंडवानी, जस गीत, भरथरी लोकगाथा, बाँस गीत, गऊरा गऊरी गीत, सुआ गीत, देवार गीत, करमा, ददरिया, डंडा, फाग, चनौनी, राउत गीत और पंथी गीत शामिल हैं. इनमें से कुछ गीत, जैसे सुआ, करमा, डंडा और पंथी, नृत्य के साथ गाए जाते हैं, जो लोकजीवन की संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखते हैं. इन गीतों और नृत्य रूपों में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की समृद्धि और विविधता का दर्शन होता है.
छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक
छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीकों में राज्य की प्राकृतिक धरोहर और सांस्कृतिक महत्व की गहरी छाप है. राज्य का राजकीय पशु वन भैंसा है, जिसे जंगली भैंसा भी कहा जाता है. यह राज्य के घने जंगलों में पाया जाता है और छत्तीसगढ़ की वन्यजीव संपदा का प्रतीक है. वन भैंसा अपनी शक्ति और साहस के लिए प्रसिद्ध है. राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना है, जिसे अपनी खूबसूरत रंगत और आवाज के कारण पहचाना जाता है. यह पक्षी छत्तीसगढ़ की पर्यावरणीय विविधता का प्रतीक है और राज्य के समृद्ध पक्षी जीवन को दर्शाता है.
राज्य का राजकीय पुष्प गेंदा (मैरीगोल्ड) है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक आयोजनों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह पुष्प छत्तीसगढ़ की कृषि समृद्धि और लोक सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक है. वहीं, राज्य का राजकीय वृक्ष साल है, जो राज्य के वनों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और अपने मजबूत लकड़ी के लिए जाना जाता है.
पर्यटन और ऐतिहासिक धरोहर
छत्तीसगढ़, भारत के दसवें सबसे बड़े राज्य के रूप में, अपनी विविध सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है. यहां के प्राचीन स्मारक, बौद्ध स्थल, नक्काशीदार मंदिर, झरने और शैलचित्र पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. राज्य के 41.37% क्षेत्र में वन हैं और यह जैव-विविधता से भरपूर है, जो इसे प्राकृतिक प्रेमियों और साहसिक यात्रा के शौकिनों के लिए आदर्श स्थल बनाता है. छत्तीसगढ़ का चित्रकोट जलप्रपात, जिसे “भारत का नियाग्रा जलप्रपात” भी कहा जाता है, यहां का सबसे चौड़ा जलप्रपात है और बस्तर के घने जंगलों और शांति प्रदान करने वाले वातावरण का हिस्सा है.
धार्मिक स्थल और मंदिर
राज्य में कई ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर हैं, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं. इनमें से कुछ प्रमुख स्थल हैं – गरियाबंद जिले का राजीवलोचन मंदिर, बिलासपुर का महामाया मंदिर, और दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर. इसके अलावा, बस्तर जिले का देवकिरि और बारसूर का मामा-भांजा मंदिर भी प्रमुख धार्मिक स्थल माने जाते हैं. गिरौधपुरी और सिरपुर के मंदिरों को विशेष रूप से धार्मिक पर्यटन के लिए जाना जाता है. ये स्थल न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करते हैं, बल्कि भारतीय वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं.
वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान
छत्तीसगढ़ में कई वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो यहां के जैविक विविधता को संरक्षित करते हैं. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान जैसे स्थल वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. राज्य के कई अभयारण्य, जैसे अचानकमार और सेमरसोत वन्यजीव अभयारण्य, पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं. यहां पर्यटक विभिन्न वन्य जीवों और प्रजातियों को देख सकते हैं, और साथ ही साथ हरे-भरे जंगलों और झरनों के बीच शांति का अनुभव कर सकते हैं.
गुफाएं और प्राचीन स्थल
छत्तीसगढ़ में कई प्राचीन गुफाएं और पुरातात्विक स्थल हैं, जो प्राचीन इतिहास और चित्रकला को प्रदर्शित करते हैं. इनमें बस्तर जिले का कोटमसर गुफा, रायगढ़ जिले की सिंघनपुर गुफा और सरगुजा जिले की सीता बेंगरा गुफा शामिल हैं. इन गुफाओं में प्रागैतिहासिक चित्रकारी की अद्भुत मिसाल मिलती है. साथ ही, बारसूर और सिरपुर जैसे पुरातात्विक स्थल छत्तीसगढ़ के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को दर्शाते हैं. यहां पर मिलने वाली प्राचीन कलाकृतियां और शिलालेख राज्य के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हैं.