CG Good Governance: भ्रष्टाचार पर चाबुकः सरकार ने बस्तर के कलेक्टरों से टेंडर का अधिकार छीना, स्पेशल छूट के नाम पर नक्सल इलाकों में चल रहा था बड़ा खेला…

CG Good Governance: भ्रष्टाचार पर चाबुकः सरकार ने बस्तर के कलेक्टरों से टेंडर का अधिकार छीना, स्पेशल छूट के नाम पर नक्सल इलाकों में चल रहा था बड़ा खेला…

CG Good Governance: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए बस्तर के सातों जिले के कलेक्टरों का वह अधिकार समाप्त कर दिया, जिसके नाम पर वहां बड़ा खेल होता था। नक्सवाद के नाम पर निर्माण कार्यों के लिए राज्य सरकार ने 2013 में जिला निर्माण समिति गठित कर उन्हें बिना टेंडर काम कराने का अधिकार दे दिया था। कलेक्टर इस समिति के चेयरमैन होते थे। और एसपी उसके सदस्य।

अफसरों का कहना है कि उस समय नक्सलियों का तांडव चल रहा था, उस समय के लिए यह व्यवस्था थी। मगर अब नक्सलियों का प्रभाव सिमटते जा रहा है। सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर को छोड़ अब बाकी जिलों में इस सिस्टम को लागू रखने का कोई तुक नहीं। इसलिए बाकी चार जिलों के लिए निर्माण समितियों को समाप्त कर दिया गया है। सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर के लिए भी शर्त यह है कि पहले ऑनलाइन टेंडर किया जाएगा। यदि कोई कंट्रेक्टर नही मिला तो स्पेशल केस में फिर जिला निर्माण समिति फैसला लेगी।

हालांकि, जानकारों का कहना है कि सरकार को शिकायतें मिल रही थी कि इस विशेष अधिकार की आड़ में बस्तर के कलेक्टर, एसपी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार कर रहे थे। निर्माण कार्य के बहाने ठेकेदार अफसरों से मिलकर करोड़ों का खेला किया करते थे।

बस्तर में पत्रकार हत्याकांड के बाद खुलासा हुआ कि वहां के अधिकारियों ने एक ही ठेकेदार को 50-50 दे दिया था। यह बात भी सामने आई है कि राज्य सरकार के खजाने पर जिम्मेदार अफसर चोंट पहुंचा रहे हैं और फाइलों में सड़क सहित अन्य काम बताकर करोड़ों का खेला कर रहे हैं। इसके बाद विष्णुदेव सरकार ने इस जिला निर्माण समिति को समाप्त कर दिया।

तीन जिलों के लिए सशर्त निर्माण समिति

बस्तर, कांकेर, कोंडागांव और दंतेवाड़ा की समिति समाप्त करते हुए सरकार ने बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर के लिए जिला निर्माण समिति गठित की है। जिला निर्माण समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर को बनाया गया है। जिले के पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला पंचायत, डीएफओ, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री, जिला कोषालय अधिकारी एवं संबंधित कार्य के जिला प्रमुख अधिकारी समिति के सदस्य रहेंगे।

जिला निर्माण समिति का कार्य क्षेत्र पूरा जिला होगा। निर्माण कार्यों के लिए आनलाइन टेंडर जारी किया जाएगा। ठेकेदारों को आनलाइन ठेके की प्रक्रिया में शामिल होना होगा। टेंडर की पूरी प्रक्रिया की जाएगी। जिला निर्माण समिति के माध्यम से किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण जिला कलेक्टर द्वारा किया जायेगा।

जिन कार्यों को 3 बार ऑनलाइन निविदा आमंत्रित करने के बाद भी, इच्छुक ठेकेदार उपलब्ध नहीं होने के कारण पूरा कराया जाना संभव न हो, ऐसे जरुरी निर्माण कार्यों को जिला निर्माण समिति के माध्यम से कराया जायेगा।

जिले के जो ब्लॉक नक्सल प्रभावित नहीं है वहां जिला निर्माण समिति के माध्यम से कार्य नहीं कराए जाएंगे। स्थानीय निधि डीएमएफ/सीएसआर इत्यादि मद से कराए जाने वाले कार्यों में निर्माण एजेंसी पीडब्लूडी/ आरईएस/पीएमजीएसवाई आदि को ही क्रियान्वयन एजेंसी बनाया जाएगा। लगातार 3 बार निविदा में कोई भाग नहीं लेता है तब वैसी परिस्थिति में ही कार्य स्थानीय निधि से कराए जाने है,जिसमें जिला निर्माण एजेंसी को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया जा सकता है।

10 करोड़ तक काम करा सकेगी समिति

समिति के माध्यम से 10 करोड़ तक का कार्य कराया जा सकेगा। जरुरी निर्माण कार्यों को जिला निर्माण समिति से कराये जाने के संबंध में ई-टेण्डर द्वारा निविदा बुलाई जाएगी। जिला निर्माण समिति द्वारा एक कार्य को निर्माण की सुविधा की दृष्टि से दो अथवा दो से अधिक भागों में विभाजित किया जा सकेगा। जैसे-पुल-पुलियों के कार्य सहित सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृत हो, तो सड़क कार्य के लिये अलग ठेकेदार तथा पुल-पुलियों के लिये अलग-ठेकेदार नियुक्त करने की छूट होगी।

बड़े काम को अलग-अलग ठेकेदार से कराने की अनिवार्यता

सड़क की लंबाई अधिक होने अथवा पुल-पुलियों की संख्या अधिक होने की स्थिति में सड़क को दो अथवा दो से अधिक भागों में बांटने तथा अलग-अलग पुल-पुलियों के लिये भी अलग-अलग एजेंसी नियुक्त करने की छूट होगी, किन्तु एक कार्य को छोटे-छोटे टुकडों में विभाजित करते समय समिति द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि समग्र रूप से कार्य की गुणवत्ता एक जैसी रहे तथा अलग-अलग टुकड़ों में कराए गए कार्यों के लागत मूल्य में समानता रहे। यदि कार्य को अलग अलग-अलग टुकड़ों में कराया जाता है तो यह ध्यान रखा जाएगा कि बीते तीन वर्षों में जिले में विभिन्न विभागों के द्वारा कराए गए समान प्रवृत्ति के कार्य के दर से अधिक नहीं हो। कार्यों का निरीक्षण, पर्यवेक्षण तथा मूल्यांकन का कार्य लोक निर्माण विभाग या कलेक्टर द्वारा निर्धारित किसी सक्षम तकनीकी अधिकारी के द्वारा किया जाएगा।

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