CG Aushman Yojana: आयुष्मान योजना के पैकेज दरों का पुन: निर्धारण हो, कुल कवर बढ़ाना सिर्फ आँख मिचोली…

CG Aushman Yojana: आयुष्मान योजना के पैकेज दरों का पुन: निर्धारण हो, कुल कवर बढ़ाना सिर्फ आँख मिचोली…

CG Aushman Yojana: रायपुर। आयुष्मान भारत योजना के तहत मिल रहे 5 लाख के कवर को दुगुना कर 10 लाख किये जाने की प्रस्तावित योजना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एसोसिएशन ऑफ़ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) छत्तीसगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि कुल कवर को दुगुना करने से न ही मरीजों को और न ही अस्पतालों को इस योजना का कोई अतिरिक्त लाभ मिलेगा। आयुष्मान कार्ड में प्रत्येक बीमारी के संपूर्ण उपचार के कुल पैकेज दर पहले से तय हैं। वर्तमान में अधिकतर पैकेज दर आयुष्मान योजना लागू होने के समय 2017-18 के निर्धारित किये हुए हैं जबकि इन 7 वर्षों में अस्पतालों के संचालन व्यय, डॉक्टरों स्टाफ की सैलरी ,बिजली का खर्च मरीज को दी जाने वाली दवाएं और रखरखाव में लगभग 50% से 70%की वृद्धि हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में अभी आयुष्मान योजना का केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 2022 की दरों का लागू होना प्रतीक्षारत है।

इसलिए यदि आयुष्मान योजना का गुणवत्ता पूर्वक इलाज का लाभ वास्तविक रूप से मरीजों को देना है तो पैकेज दरों का तत्काल पुनः निर्धारण करते हुए प्रति वर्ष चिकित्सकीय मुद्रास्फृर्ति के अनुसार पैकेज दरों को भी बढ़ाया जाए। ज्ञात हो चिकित्सा की मुद्रा स्थिति की दर प्रतिवर्ष 12 से 15% होती है।

आयुष्मान योजना के अस्पतालों के साथ अनुबंध में 45 दिनों से ज्यादा के विलम्बित भुगतान पर 1% प्रति माह की दर से ब्याज के भुगतान का प्रावधान है। इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि एक वर्ष से ऊपर का भुगतान अस्पतालों को लंबित है। ब्याज भुगतान का प्रावधान केवल कागजों में सीमित है। साथ थी यदि किसी मरीज के आयुष्मान योजना से इलाज की प्रारंभिक स्वीकृति मिल जाने के उपरांत मरीज के डिस्चार्ज के बाद उसका क्लेम अस्वीकार किया जाता है तो इसकी सम्पूर्ण जवाबदारी स्टेट नोडल एजेंसी की होनी चाहिए। 

वर्तमान में चिकित्सा बीमा के प्रीमियम का लगभग 15% से 40% बढ़ना अपने आप में यह संकेत है कि स्वास्थ्य प्रदाता संस्थाओं का व्यय बढ़ रहा है। बिना पैकेज दरों को बढ़ाये कुल कवर को बढ़ाना ठीक वैसा ही है जैसा किसी प्रतियोगी परीक्षा में छात्र ने कुल अंक तो बहुत अच्छे ले आये हैं लेकिन किसी एक विषय का सेक्शनल कट ऑफ वह पार नहीं कर पाया है जिसकी वजह से वह परीक्षा में प्रावीण्य सूची में आने के बजाय अनुतीर्ण हो गया है।

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