Black Tiger: दुर्लभ ब्लैक टाईगर का शिकार…सरकार बेपरवाह, भारत में मेलेनिस्टिक टाईगर सिर्फ सिमिलिपाल में, मगर संरक्षण के अभाव में अस्तित्व पर संकट…

Black Tiger: दुर्लभ ब्लैक टाईगर का शिकार…सरकार बेपरवाह, भारत में मेलेनिस्टिक टाईगर सिर्फ सिमिलिपाल में, मगर संरक्षण के अभाव में अस्तित्व पर संकट…

Black Tiger: मयूरगंज। भारत में मेलेनिस्टिक टाईगर सिर्फ ओड़िसा के मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल टाईगर रिजर्व में पाए जाते हैं। मेलेनिस्टिक टाईगर को रॉयल बंगाल टाईगर के नाम से भी जाना जाता है। वनजीव विशेषज्ञों का कहना है, जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से टाईगर का कलर मेलेनेस्टिक याने ब्लैक कलर के धाड़ीदार बाल बन जाते हैं।

यूनिक कलर की वजह से मेलेनेस्टिक टाईकर पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र होता है। भारत में सिर्फ ओड़िसा के सिमिलिपाल टाईगर रिजर्व में यह पाया जाता है। ओड़िसा सरकार इसके लिए मेलेनेस्टिक टाईगर सफारी प्रारंभ करने जा रही है।

मगर उसके संरक्षण को लेकर ओड़िसा के वन अधिकारी बेपरवाह दिखाई पड़ रहे हैं। प्रश्न उठता है, इतने दुर्लभ होने के बाद मेलेनेस्टिक टाईगर का लगातार शिकार क्यों किया जा रहा है?

बताते हैं, पिछले एक साल में सिमिलिपाल टाईगर रिजर्व में तीन ब्लैक टाईगरों को शिकारियों ने मार डाला। दरअसल, ब्लैक टाईगर के खाल सामान्य टाईगरों के खाल से काफी महंगा बिकता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्लैक टाईगर के खालों की काफी डिमांड है।

हाल ही में सिमिलिपाल जंगल में मेलेनेस्टिक टाइगर की खाल और नाखून जब्त किया गया। इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अफसरों ने बताया कि ओडिशा के सिमिलिपाल वन में चार लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से एक किशोर मेलेनिस्टिक टाइगर की खाल और नाखून जब्त किए।

सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय निदेशक प्रकाश चंद गोगिनेनी ने मीडिया को बताया कि यह गिरफ्तारी और जब्ती रविवार को सिमिलिपाल दक्षिण वन्यजीव प्रभाग की विशेष शाखा द्वारा बारीपदा वन प्रभाग के उदाला पुलिस थाने इलाके से की गई।

मेलेनेस्टिक टाईगर की खाल जब्त होने के बाद अफसरों ने इस आशंका से इंकार नहीं किया है कि टाईगर की हत्या सिमिलिपाल के जंगल में की गई है। वो इसलिए, क्योंकि यह भारत का एकमात्र टाईगर रिजर्व है जहां मेलेनिस्टिक बाघ पाए जाते हैं।

वन जीव प्रेमी एवं हाई कोर्ट अधिवक्ता ब्यास मुनी द्विवेदी ने बताया कि आनुवंशिक स्थिति के कारण रॉयल बंगाल टाईगर के बाल काले हो जाते हैं। काले धाड़ीदार बाल इनका विशेष आकर्षण होता है।

ब्लैक टाईगर सफारी

हालांकि, ओड़िसा सरकार मयूरभंज जिले के मुख्यालय बारीपदा के पास विकसित करने की योजना है।

इस पहल के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग -18 से सटे 200 हेक्टेयर स्थल को चिह्नित किया गया है।

यह मयूरभंज में सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के पास स्थित है।

यह सफारी दुनिया में कहीं भी अपनी तरह की पहली सफारी होगी, जिसमें “केवल ओडिशा में पाई जाने वाली दुर्लभ और राजसी“ मेलेनिस्टिक बाघ प्रजाति “को देखने का मौका देगी।“

सफारी में नंदनकानन चिड़ियाघर से अधिशेष बाघों और बचाए गए या अनाथ बाघों को रखा जाएगा जो जंगल के लिए अयोग्य हैं लेकिन प्रदर्शन के लिए उपयुक्त हैं। खुले बाड़े इन बाघों के लिए आवास प्रदान करेंगे।

सफारी का उद्देश्य, दुर्लभ प्रजाति के मेलानिस्टिक बाघों के बारे में बताना, ताकि लोग उनकी संरक्षण आवश्यकताओं के बारे में जागरूक हो सकें।

ब्लैक टाइगर्स या मेलानिस्टिक टाइगर्स के बारे में

काले बाघ (जिन्हें मेलानिस्टिक रॉयल बंगाल टाइगर के नाम से भी जाना जाता है) बंगाल टाइगर का एक दुर्लभ रंग हैं। इनकी कोई विशिष्ट प्रजाति या भौगोलिक उपप्रजाति नहीं हैं।

मेलानिज़्म एक आनुवांशिक स्थिति है जिसमें मेलेनिन का उत्पादन बढ़ जाता है, त्वचा में एक पदार्थ जो बाल, आँख और त्वचा के रंग का उत्पादन करता है, जिसके परिणामस्वरूप किसी जानवर की त्वचा, पंख या बाल काले (या लगभग काले) हो जाते हैं।

इन्हें केवल ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में ही दर्ज किया गया है।

बाघ गणना रिपोर्ट 2022 में सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के कुल 16 बाघों में से 10 मेलेनिस्टिक बाघों की जानकारी दी गई थी।

सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व

सिमिलिपाल ओडिशा के मयूरभंज जिले में 2,750 किमी 2 (1,060 वर्ग मील) में फैला एक टाईगर रिजर्व है। यह झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगा हुआ है। चूकि ग्रामीणों में जागरुकता की कमी है, और फॉरेस्ट अफसरों की लापरवाही, इसलिए दुर्लभ ब्लैक टाईगर शिकारियों द्वारा बेमौत मारे जा रहे हैं। ब्यास मुनि द्विवदी ने ओड़िसा सरकार से मांग की है कि देश के इन दुर्लभ टाईगरों का संरक्षण किया जाए।

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