Bilaspur High Court: कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला; पढ़िये कोर्ट ने अपने फैसले में क्या लिखा है…

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में नगर निगम कर्मचारी की याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य शासन द्वारा काइट हाई स्थानांतरण पर रोक लगा दी है. बस्तर जिले के नगर पालिका निगम जगदलपुर में पंप ऑपरेटर के पद पर पदस्थ राकेश झलके का स्थानांतरण 27 अगस्त 2024 को नगर पालिका निगम जगदलपुर से नगर पालिका निगम रायगढ़ कर दिया गया था. आदेश के बाद अगस्त 2024 को भारमुक्त कर दिया गया.
अवर सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने राकेश झलके के अभ्यावेदन को तर्कसंगत नहीं होने के कारण अमान्य कर दिया था. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए तीनों आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने राकेश झलके को 15 दिन के भीतर सक्षम अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने कहा है. अभ्यावेदन पर 30 दिन के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया था.
याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन का परीक्षण अवर सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने यह कहते हुए अमान्य कर दिया कि पति पत्नी को एक ही स्थान पर पदस्थ करने के आधार पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जा सकता है. परंतु व्ह बाध्यकारी नहीं है. विभाग ने व्ही भी सलाह दे दी कि माता-पिता की देखभाल एवं इलाज पदस्थापना स्थल में भी किया जा सकता है.
अभ्यावेदन अमान्य किए जाने को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और घनश्याम कश्यप के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले कि सुनवाई न्यायमूर्ति ए.के.प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई.
छत्तीसगढ़ सरकार ने नियमों का किया उल्लंघन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 58 के तहत नगर निगम के कर्मचारियों को दूसरे नगर निगम में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. केवल प्रतिनियुक्ति पर ही भेजा जा सकता है. याचिकाकर्ता की पत्नी शिक्षिका के पद पर जिला बस्तर जगदलपुर में पदस्थ है. पुत्र कक्षा 11 में अध्ययनरत है एवं माता एवं पिता वृद्ध है.
अधिवक्ता सिद्दीकी ने नियमों का दिया हवाला
स्थानांतरण नीति 2022 की कंडिका 2.6 में कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्र से गैर अनुसूचित क्षेत्र में शासकीय सेवक के स्थानांतरण के मामले में स्थानांतरित व्यक्ति के स्थान पर रिलीवर की पदस्थापना किया जाना चाहिए, अन्यथा स्थानांतरण को शून्य माना जाएगा. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश व भारमुक्त आदेश के अलावा अवर सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अभ्यावेदन को निरस्त कर दिया है.