Bilaspur High Court: शिफ्टिंग के नाम पर रेलवे ने काट डाले सैकड़ों हरे-भरे पेड़, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा…

Bilaspur High Court: शिफ्टिंग के नाम पर रेलवे ने काट डाले सैकड़ों हरे-भरे  पेड़, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा…

Bilaspur High Court: बिलासपुर। निर्माण कार्य से पहले रेलवे ने वन विभाग और शहरवासियों को सब्जबाग दिखाया। पेड़ाें की कटाई के बजाय हरे-भरे पेड़ों की शिफ्टिंग का खेल खेला,दो दिनों तक शिफ्टिंग का काम भी किया।

जब वन विभाग के अफसरों और शहरवासियों को भरोसा हो गया तब दिन और रात पेड़ों पर बेतरतीब ढंग से कुल्हाड़ी चलाई और देखते ही देखते 267 से ज्यादा पेड़ों को काट डाला। मीडिया में इस संबंध में खबरें प्रकाशित की गई। शिफ्टिंग के नाम पर रेलवे अफसरों के इशारे पर काटे गए पेड़ों को लेकर मीडिया रिपोर्ट को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने गंभीरता से लिया है। रेलवे अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। बता दें कि चीफ जस्टिस ने इसे संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रुप में स्वीकार कर लिया है।

वंदेभारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डीपो का निर्माण किया जा रहा है। रेलवे ने जहां डीपो बनाने का निर्णय लिया है वहां पूरी तरह हरियाली बिछी हुई है। पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग की अनुमति जरुरी है। लिहाजा रेलवे अफसरों ने मई में 242 पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग को पत्र लिखा था। वन विभाग के अफसरों ने अब तक इस संबंध में अनुमति नहीं दी है। वन विभाग की अनुमति के बगैर रेलवे के अफसरों ने दो दिनों तक पेड़ों की शिफ्टिंग का खेल भी खेला। इसके बाद सीधे पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। रेलवे के अफसरों के इशारे पर 267 पेड़ों को काट दिया गया है। हरियाली को बचाने के बजाय रेलवे ने हरियाली पर कुल्हाड़ी चला दी है।

वन विभाग के कार्यालय नहीं पहुंचे अफसर

पेड़ों की कटाई को लेकर जब वन विभाग के अफसरों ने रेलवे के अफसरों को नोटिस जारी कर जानकारी मांगी तब अफसर वन विभाग नहीं पहुंचे। वाट्सएप के जरिए मई महीने में 242 पेड़ाें की कटाई के संबंध में मांगी अनुमति पत्र को भेज दिया। हालांकि इसमें वन विभाग ने रेलवे को अनुमति ही नहीं दी थी।

जितनी मांगी थी अनुमति उससे ज्यादा काटे पेड़

रेलवे के अफसरों ने मई महीने में वन विभाग ने डीपो निर्माण के लिए 242 पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी। अनुमति ना मिलने के बाद भी रेलवे ने अपनी चलाते हुए पेड़ों की कटाई करा दी है। अचरज की बात ये कि जितने पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी उससे कहीं ज्यादा पेड़ों की बलि ले ली है।

चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया था। शुक्रवार को जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए राज्य शासन व रेलवे के अफसरों से पूछा कि बगैर अनुमति इस तरह का काम क्यों किया गया। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप लोगों की कोई चिंता है भी या नहीं। बड़ी संख्या में हरे भरे पेड़ों की कटाई कर दी गई है। नाराज चीफ जस्टिस ने इस संबंध में रेलवे के अफसरों व राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

महाधिवक्ता ने दिया कुछ इस तरह जवाब

महाधिवक्ता ने कहा कि कानून में प्राविधान है कि , शासकीय विभाग को अर्ध शासकीय या किसी सरकारी प्रोजेक्ट के लिये अलग से अनुमति की आवश्यकता नहीं हैं , संबंधित विभाग को सूचित करना पड़ता है. पेड़ों को काटने के लिये रेलवे ने राज्य शासन के वन विभाग सेअनुमति मांगी थी. इसके बाद ही पेड़ों की कटाई शुरू की गई. चीफ जस्टिस ने इस मामले में वन संरक्षक को शपथपत्र पेश करने का निर्देश है. अगली सुनवाई दीपावली अवकाश के बाद. सात नवंबर को तय की गई है.

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share