Bilaspur High Court: हाई कोर्ट पहुंचा पेंशन का मामला: जानिये… कोर्ट ने किसे नहीं माना पेंशन का हकदार….

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में पेंशन के प्रावधान और अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि अधिवक्ता परिषद के सदस्यों में से नियुक्त राज्य सूचना आयुक्त अधिवार्षिकी पेंशन पाने का हकदार नहीं है। दरअसल पूर्व सूचना आयुक्त अनिल जोशी ने पेंशन की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल ने याचिका को खारिज कर दिया है।
जस्टिस संजय के अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा है कि यह माना जाता है कि राज्य सूचना आयुक्त (बार का सदस्य), अपने कार्यकाल के दौरान मुख्य सचिव के बराबर वेतन और भत्ते प्राप्त करने के बावजूद, राज्य के मुख्य सचिव के समान सेवानिवृत्ति पेंशन/लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है। राज्य सूचना आयुक्त की भूमिका, हालांकि महत्वपूर्ण है, लेकिन सेवानिवृत्ति पेंशन पात्रता के लिए पारंपरिक मानदंडों के अनुरूप नहीं है। कार्यकाल आमतौर पर छोटा होता है। क्योंकि यह आवधिक होता है। संबंधित व्यक्ति ने अपना पूरा पेशेवर जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित नहीं है। इसलिए, यह मानना कि याचिकाकर्ता अपनी आवधिक नियुक्ति के पूरा होने पर सेवानिवृत्ति लाभों का हकदार है,यह उचित नहीं है।
याचिकाकर्ता बार का सदस्य होने के नाते राज्य सरकार द्वारा आरटीआई अधिनियम की धारा 15(3) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए 6-9-2009 की अधिसूचना के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 22-9-2008 को पांच साल की अवधि के लिए एसआईसी के रूप में शपथ ली और 22-9-2013 को राज्य सूचना आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया और पद से इस्तीफा दे दिया। उन्हें उक्त अवधि के लिए वेतन और भत्ते का भुगतान राज्य शासन द्वारा किया गया।
राज्य शासन ने अपने जवाब में कहा है कि याचिकाकर्ता को आरटीआई अधिनियम की धारा 15 (3) के तहत राज्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था और आरटीआई अधिनियम (असंशोधित) की धारा 16(5) के आधार पर, वह वेतन और भत्ते के हकदार थे जो उन्हें पांच साल के कार्यकाल के दौरान भुगतान किए गए थे।
एजी ने कहा याचिकाकर्ता नहीं है पेंशन का हकदार
राज्य की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता प्रफुल एन. भरत ने कहा कि आरटीआई अधिनियम में राज्य सूचना आयुक्त को पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है। उनकी नियुक्ति आवधिक नियुक्ति थी और याचिकाकर्ता को पेंशन का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता बार का सदस्य होने के नाते एसआईसी के रूप में अपनी नियुक्ति की तिथि पर पेंशन योग्य पद पर नहीं था, क्योंकि वह बार का सदस्य था। उन्होंने आगे कहा कि आरटीआई अधिनियम (असंशोधित) की धारा 16 की उपधारा (5) के प्रावधान में पिछली पेंशन योग्य सेवा की अनुपस्थिति में पेंशन प्रदान करना शामिल नहीं है।
पेंशन के लिए हमेशा कुछ न्यूनतम सेवा निर्धारित होती है और याचिकाकर्ता के पास पेंशन के उद्देश्य के लिए अर्हक सेवा नहीं है
ये होते हैं पेंशन के हकदार
पेंशन के लिए पात्रता आमतौर पर 10 साल की न्यूनतम योग्यता अवधि पूरी करने पर निर्भर करती है। यह मानदंड इस धारणा को रेखांकित करता है कि पेंशन किसी संक्षिप्त या अस्थायी सेवा के लिए पात्रता नहीं है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र में निरंतर और महत्वपूर्ण योगदान के लिए एक पुरस्कार है। सेवा की अवधि जितनी लंबी होगी, पेंशन लाभ उतना ही अधिक होगा, जो सेवा की अवधि और सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सहायता के बीच आनुपातिकता को दर्शाता है।
ऐसे होता है पेंशन का निर्धारण
पेंशन पिछली सेवा के लिए एक पुरस्कार है, यह सेवा की अवधि और अंतिम वेतन के आधार पर निर्धारित की जाती है, और सेवा की अवधि पेंशन की पात्रता और मात्रा का निर्धारण करती है। पेंशन का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और यह स्थापित किया जाना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति किसी विशेष नियम या योजना के तहत पेंशन का हकदार है।