Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने कहा- गलत सवाल पूछने का खामियाजा कर्मचारी क्यों भुगते: छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी को दिया कुछ ऐसा आदेश

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने कहा- गलत सवाल पूछने का खामियाजा कर्मचारी क्यों भुगते: छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी को दिया कुछ ऐसा आदेश

Bilaspur High Court: – बिलासपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी रायपुर के द्वारा कनिष्ठ अभियंता पद हेतु विभागीय परीक्षा का आयोजन वर्ष 2022 में किया गया था। जिसमें कोरबा संभाग के लाइन परिचारक के पद पर पदस्थ दिनेश कुमार चंद्रा भी परीक्षार्थी के रूप में शामिल हुआ था।

विभागीय पदोन्नति परीक्षा के लिए पावर होल्डिंग कंपनी ने जरुरी शर्त भी तय किया था। इसके तहत माइनस मार्किंग सिस्टम को लागू कर दिया था। मसलन सवाल के गलत उत्तर देने पर नंबर काटे जाने का प्रावधान रखा था। परीक्षा के दौरान जो प्रश्न पत्र होल्डिंग कंपनी ने परीक्षा हाल में बांटे थे उसमें 10 सवाल ऐसे थे जिसका उत्तर देने के लिए दिए गए आप्शन में बड़ी गड़बड़ी कर दी गई थी। वैकल्पिक प्रश्न पूछने के बाद विकल्प के रूप में पांच सवाल दिए गए थे। विकल्प के लिए उत्तर लिखने के लिए पांच की जगह चार विकल्प छोड़ा गया था। दिनेश कुमार चंद्रा को लगा कि विकल्प के लिए जो जगह तय किया गया है वह गलत है। गलत आंसर लिखने पर माइनस मार्किंग का भी डर था। लिहाजा उसने और अन्य अभ्यर्थियों ने भी सवाल को गलत मानते हुए उत्तर नहीं दिया और सभी 10 सवालों को छोड़ दिया। होल्डिंक कंपनी ने जब रिजल्ट जारी किया तब दिेनेश कुमार को 33.50 अंक मिला तथा उसे पदोन्नति के लिएअपात्र घोषित कर दिया।

0 होल्डिंग कंपनी के निर्णय को दी चुनौती

त्रुटि पूर्ण प्रश्नों के लिए बोनस अंक अथवा उक्त प्रश्नों को विलोपित मानते हुए पुनर्गणना की मांग करते हुए उप महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी रायपुर के समक्ष दिनेश ने अभ्यावेदन पेश किया था। उप महाप्रबंधक ने अभ्यावेदन को खारिज कर दिया। उप महाप्रबंधक के निर्णय को चुनौती देते हुए दिनेश कुमार ने धिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। दिनेश कुमार के अलावा अन्य अभ्यर्थियों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर की है। सभी याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने एकसाथ सुनवाई प्रारंभ की और फैसला भी सुनाया है। याचिकाकर्तओं ने अपनी याचिका में बताया है कि विभागीय परीक्षा में कुल100 प्रश्न दिए गए थे जिसको हल करने हेतु 2 घंटे का समय निर्धारित किया गया था। माइनस मार्किंग सिस्टम के तहत गलत उत्तर देने पर 0.25 अंक प्रत्येक उत्तर में काटे जाने का भी प्रावधान था। गलत सवालों का उत्तर इसीलिए नहीं दिया कि,कहीं माइनस मार्किेग के तहत सही सवालों के नंबर ना काल लिए जाएं।

0 अधिवक्ता मतीन ने दिए ये तर्क

मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता दिनेश की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी ने कहा कि प्रश्न क्रमांक 81,83,85,86,87,88, 89,90,98,99 के चयन हेतु पांच विकल्प दिए गए थे, किंतु उत्तर पुस्तिका का अवलोकन करने पर केवल चार विकल्प ए.बी.सी.डी. दिया गया था। ई. का विकल्प दिया ही नहीं गया था, जिसके कारण याचिकाकर्ता को विकल्प चुनने में परेशानी हुई। अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड की ओर से अधिवक्ता के.आर. नायर ने पैरवी की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को बोनस नंबर देने व तीन महीने के भीतर जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्ति आदेश जारी करने का निर्देश छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी को दिया है।

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