Bilaspur High Court: अजीबो-गरीब मामला हाई कोर्ट में आया, ज्योतिष की भविष्यवाणी पर सरनेम बदलने की चढ़ी सनक…

Bilaspur High Court: बिलासपुर। भिलाई निवासी एक व्यक्ति ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरनेम बदलने की मांग की। यहां तक बात सही है। इसके लिए उसने जो कारण बताए हैं उसे सुनकर आप भी चौंके बिना नहीं रहेंगे। कारण में सिर्फ एक ही बात का हवाला दिया है। ज्योतिष की भविष्यवाणी और सलाह। ज्योतिष ने भविष्यवाणी के साथ सलाह दिया है कि इसके बाद सब-कुछ अच्छा हो जाएगा। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कुछ इसी अंदाज में अपना फैसला सुनाया है।
भिलाई निवासी एक व्यक्ति ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर सिदार के बजाय नायक सरनेम रखने की मांग करते हुए 10 वीं व 12 वीं के मार्कशीट में इसे बदलने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने अमित ने अपनी याचिका में बताया कि एमजीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल भिलाई से सीबीएससी सिलेबस से 24 मई 2005 को 10 वीं और 23 मई 2007 12वीं पास आउट है। मार्कशीर्ट में उस समय सरनेम सिदार लिखा हुआ है। याचिका के अनुसार वर्ष 2016 में उसने और उसके पिता ने सरनेम बदलने के लिए झारसुगुड़ा के कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया था। ।
4 नवंबर 2017 को स्कूल के प्रिंसिपल को 10वीं और 12वीं की मार्कशीट में सरनेम बदलने के लिए आवेदन दिया। तब से लेकर 2018 तक आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने CBSE के सामने अभ्यावेदन पेश करने का निर्देश दिया था। हाई काेर्ट के निर्देश पर उसने CBSE के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया था। अभ्यावेदन की सुनवाई के बाद सीबीएसई बोर्ड ने इसे खारिज कर दिया। सीबीएसई के निर्णय को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि आधार कार्ड और पैन कार्ड में उसने अपना सरनेम सिदार के बजाय नायक लिखा है।
लिहाजा मार्कशीट में भी इसे नायक किया जाए। सरनेम बदलने के पीछे याचिकाकर्ता ने ज्योतिष की भविष्यवाणी व सलाह को कारण बताया है। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीएसई की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि ज्योतिष की सलाह और भविष्यवाणी के आधार पर सरनेम को बदलने का कोई ठोस आधार नहीं है। ना तो यह टाइपिंग मिस्टेक है और ना ही लिपिकीय। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा सरनेम बदलने के पीछे कानूनी आधार नहीं बताया गया है, ज्योतिष की सलाह और भविष्यवाणी के आधार पर सरनेम बदलने की छूट नहीं दी जा सकती। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।