Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: डीएलएड की खाली सीटों के लिए जारी करनी होगी वेटिंग लिस्ट
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Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद डीएलएड में प्रवेश को लेकर छत्तीसगढ़ में उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। राज्य शासन द्वारा डीएलएड में प्रवेश को लेकर की जा रही लेटलतीफी और वेटिंग लिस्ट जारी ना करने की शिकायत करते हुए अभ्यर्थियों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य शासन से दोटूक कहा कि पूर्व में अगर गड़बड़ी की शिकायत मिली थी तो उसे सुधारा जाना चाहिए था, ना कि वेटिंग लिस्ट पर रोक लगानी थी। अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा पास कर रहे हैं और सीटें खाली है तो वेटिंग लिस्ट ना निकालना और अभ्यर्थियों को प्रवेश से रोकना अनुचित है। राज्य शासन को पखवाड़ेभर के भीतर वेटिंग लिस्ट जारी करने और प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया है।
संस्कार जायसवाल, दीपाली सिंह, मोना जायसवाल, रुपाली डिक्सेना, आदर्श देवांगन समेत अन्य ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि डीएलएड प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद पहले व दूसरे दौर की काउंसिलिंग में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के कालेजों में डीएलएड की सीटें खाली होने के बाद वेटिंग लिस्ट जारी नहीं किया जा रहा है। इसके चलते उनको प्रवेश नहीं मिल रहा है। प्रवेश ना मिलने के कारण उनका साल खराब हो रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं से भी वंचित हो जा रहे हैं। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने संचालक राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने डायरेक्टर को यह भी जवाब पेश करने कहा था कि 2024-25 सत्र में वेटिंग लिस्ट क्यों जारी नहींकी गई, जबकि 2022-23 और 2023-24 में वेटिंग लिस्ट जारी की गई थी। कोर्ट ने डायरेक्टर को यह भी जवाब पेश करने कहा था कि आखिरी बार काउंसिलिंग कब की गई थी। डायरेक्टर ने अपने जवाब में बताया था कि बीते वर्ष वेटिंग लिस्ट जारी करने के बाद शिकायतें मिली थी। कालेज स्तर पर गड़बड़ी की जानकारी भी मिली थी। लिहाजा इस बार वेटिंग लिस्ट जारी नहीं की गई है।
यह प्रक्रिया तो अनुचित है
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीडी गुरु ने कहा कि प्रदेश के कालेजों में सीटें रिक्त है। अभ्यर्थी प्रवेश को लेकर शासन स्तर पर जारी होने वाले आदेश का इंतजार कर रहे हैं। बीते वर्ष अगर गड़बड़ी की शिकायतें मिली थी तो उसे सुधारने के प्रयास किए जाने थे। सुधार करने के बजाय वेटिंग लिस्ट पर रोक लगा देना,यह सरासर गलत व अनुचित तरीका है। कड़ी टिप्पणी के साथ कोर्ट ने राज्य शासन को वेटिंग लिस्ट जारी करने व काउंसिलिंग कराने का निर्देश दिया है।