Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट ने चेक बाउंस मामले में सुनाया महत्वपूर्ण फैसल, निचली अदालत के फैसले को किया खारिज

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट ने चेक बाउंस मामले में सुनाया महत्वपूर्ण फैसल, निचली अदालत के फैसले को किया खारिज

बिलासपुर। चेक बाउंस से जुड़े मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस व्यास ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत चेक रिटर्न मेमो में बैंक की सील मुहर व संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर ना होने को कारण बताते हुए मामला रद्द नहीं किया जा सकता। तुलसी स्टील ट्रेडर्स ने पूर्वा कंस्ट्रक्शन के खिलाफ बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

चेक बाउंस के मामले में आरोपी बनाए गए मित्रभान साहू को ट्रायल कोर्ट ने रिटर्न मेमो में बैंक की मुहर और संबंधित अधिकारी का हस्ताक्षर ना होने के कारण बरी कर दिया था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इसे ट्रायल कोर्ट की प्रक्रियात्मक त्रुटि करार देते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है। तुलसी स्टील ट्रेडर्स के संचालक पुष्पेंद्र केशरवानी ने बताया है कि उन्होंने पूर्वा कंस्ट्रक्शन को सीमेंट और लोहे की छड़ों की सप्लाई की थी। बिल भुगतान के लिए मित्रभान साहू ने उसे दो चेक जारी कियाी। एक चेक 67,640 रुपये और दूसरा 1,70,600 रुपये का था। चेक को जब उनसे विड्राल कराने बैंक में जमा किया तब अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस ना होने के कारण दोनों ही चेक बाउंस हो गया।

चेक बाउंस होने की जानकारी देने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं किया गया तब अपने अधिवक्ता के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा। इसके बाद भी जब राशि का भुगतान नहीं हुआ तब एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत मामला दर्ज किया। धारा 145 के तहत हलफनामा और अन्य जरूरी दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। जस्टिस व्यास ने कहा, “धारा 139 के तहत यह मान्यता है कि चेक किसी देनदारी के विरुद्ध जारी हुआ था। रिटर्न मेमो में सिर्फ बैंक की मुहर न होने से इस कानूनी धारणा को नकारा नहीं जा सकता। धारा 146 कोई निश्चित प्रारूप नहीं बताती है और न ही यह मेमो बैंकर्स बुक एविडेंस एक्ट के तहत आता है।

0 ट्रायल कोर्ट को वापस भेजा मामला

हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया है कि मामले को वास ट्रायल कोर्ट को भेज दिया जाए। कोर्ट ने कहा है कि संबंधित बैंक के जिम्मेदार अधिकारी से चेक के संबंध में सत्यापन कराने और चेक बाउंस के कारणों की जानकारी लेने कहा है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को मई 2025 में ट्रायल कोर्ट में उपस्थिति दर्ज कराने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 9 महीने के भीतर पूरा कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया है।

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