Bilaspur High Court: 27 साल पहले शिक्षाकर्मी भर्ती में घुसखोरी करने वाले एसी ट्राईबल पर चलेगा मुकदमा, हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया

Bilaspur High Court:  27 साल पहले शिक्षाकर्मी भर्ती में घुसखोरी करने वाले एसी ट्राईबल पर चलेगा मुकदमा, हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया

Bilaspur High Court: बिलासपुर। आज से 27 साल पहले जब सीएल जायसवाल जनपद पंचायत वाड्रफनगर के सीईओ के पद पर काबिज थे उसी दौरान वर्ष 1998 में राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मी वर्ग तीन की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की थी। तब जनपद पंचायत के सीईओ को राज्य सरकार ने चयन समिति का पदेन अध्यक्ष बना दिया था। सीईओ की अध्यक्षता में ही शिक्षाकर्मी वर्ग तीन की भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई।

तत्कालीन सीईओ जायसवाल पर शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया गया था। ईओडब्ल्यू जांच में इसकी पुष्टि के बाद स्पेशल कोर्ट ने जायसवाल को भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने और घुसखोरी का आरोप तय करते हुए मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इसे चुनौती देते वर्तमान में एसी ट्राइबल जायसवाल ने हाई कोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जायसवाल की याचिका खारिज कर दी है।

बिलासपुर हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब यह तय हो गया है कि शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और घुसखोरी के आरोप में जायसवाल पर स्पेशल कोर्ट में मुकदमा चलेगा। स्पेशल जज (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) बलरामपुर ने 27 जून 2018 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) और आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आरोप तय कर दिया था। आपराधिक पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पूर्व में दी गई अंतरिम राहत को भी हटा दिया है।

0 जायसवाल पर ये है आरोप

तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत वाड्रफनगर और वर्तमान में एसी ट्राइबल जायसवाल पर आरोप है कि शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती के दौरान रिश्तेदारों और चहेतों को बैकडोर इंट्री दे दी। जिनको नौकरी दी गई उनके पास ना तो योग्यता थी और ना ही अर्हता। जायसवाल ने गैरकानूनी तरीके से शिक्षा कर्मी वर्ग तीन के पद पर चयन किया। रिश्तेदारों का चयन भी पूरी तरह नियमों के विपरीत करने की शिकायत की गई थी। शिकायत मिलने पर सरगुजा कलेक्टर ने चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर जांच का निर्देश दिया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में शिकायत को सही पाते हुए भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ACB व EOW में प्रकरण दर्ज कर जांच प्रारंभ की।

0 चयन समिति और आरोपी ने नियमों की उड़ाई धज्जियां

ACB व EOW की जांच में यह बात सामने आई कि शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती के लिए 9 सदस्यीय चयन समिति का गठन किया गया था। सीईओ को पदेन अध्यक्ष बनाया गया था। अध्यक्ष सहित समिति के सदस्यों ने जमकर फर्जीवाड़ा किया। नियमों काे ताक पर रखकर भर्ती की। योग्य उम्मीदवार को बाहर का रास्ता दिखाते हुए अयोग्य की भर्ती कर ली गई। ओबीसी ओर अजा वर्ग की सूची में बडे पैमानी पर गड़बड़ी की गई। जांच के दौरान चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के स्पष्ट प्रमाण मिले। चार्जशीट पेश होने के बाद स्पेशल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) और आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आरोप तय कर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था।

0 याचिका में दिया तर्क, कोर्ट ने किया खारिज

याचिकाकर्ता व आरोपी जायसवाल के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि उसे झूठा फंसाया गया है। चयन प्रक्रिया को रोकने का आदेश जारी कर दिया था। इसी बीच उनका तबादला हो गया। चयन प्रक्रिया में उसकी भूमिका नहीं रही है और ना ही किसी अभ्यर्थी का चयन किया है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने कहा कि आरोपी शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की चयन प्रक्रिया का पदेन अध्यक्ष था। रिश्वत लेकर चयन करने के साथ ही महत्वपूर्ण दस्तावेजों में हेरफेर किया है। वह अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने आरोपी द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण की अपील को खारिज करने के साथ ही स्पेशल कोर्ट के आदेश काे सही ठहराया है।

0 अब क्या होगा

हाई कोर्ट से आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज होने के बाद शिक्षा कर्मी भर्ती में गड़बड़ी और रिश्वत खोरी के आराेप में जायसवाल के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में मुकदमा चलेगा।

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