Anurag Bajpai High Profile Scandal: MIT से अरबों की कंपनी बनाने वाले अनुराग बाजपेयी सेक्स रैकेट में फंसे, हर घंटे खर्च करते थे 50 हजार रूपये, जानिए पूरा मामला

Anurag Bajpai High Profile Scandal: MIT से अरबों की कंपनी बनाने वाले अनुराग बाजपेयी सेक्स रैकेट में फंसे, हर घंटे खर्च करते थे 50 हजार रूपये, जानिए पूरा मामला

Anurag Bajpai High Profile Scandal: अनुराग बाजपेयी, भारतीय मूल के मशहूर उद्यमी और क्लीन वॉटर स्टार्टअप ग्रेडिएंट के सह-संस्थापक व सीईओ, बोस्टन के एक हाई-प्रोफाइल लक्जरी वेश्यालय कांड में फंस गए हैं। इस सनसनीखेज घटना ने न सिर्फ कॉरपोरेट जगत, बल्कि सोशल मीडिया को भी हिलाकर रख दिया है। न्यूयॉर्क पोस्ट और वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाजपेयी उन 30 से ज्यादा प्रभावशाली लोगों में शामिल हैं, जिनके नाम बोस्टन के कोर्ट दस्तावेजों में सामने आए हैं। इन पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पास लक्जरी अपार्टमेंट्स में चल रहे वेश्यालय में सेक्स सर्विसेज के लिए प्रति घंटे 600 डॉलर (लगभग 50,000 रुपये) देने का आरोप है। तो आइए जानते हैं इस पूरे मामले की कहानी और अनुराग बाजपेयी का पक्ष।

कैसे हुआ खुलासा?

यह मामला पहली बार नवंबर 2023 में सामने आया, जब अमेरिकी अधिकारियों ने बोस्टन और आसपास के इलाकों में एक गुप्त सेक्स नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। ये नेटवर्क कैम्ब्रिज, वाटरटाउन, डेडहम, और पूर्वी वर्जीनिया के हाई-एंड अपार्टमेंट्स से संचालित हो रहा था। पूर्व अमेरिकी अटॉर्नी जोशुआ लेवी ने कहा, “ये सेक्स नेटवर्क गोपनीयता और विशिष्टता पर आधारित था, जो अमीर और रसूखदार लोगों को सेवाएं देता था।

जांच में पता चला कि ग्राहकों को इस नेटवर्क में शामिल होने के लिए सरकारी ID, कंपनी बैज, और पर्सनल रेफरेंस देने पड़ते थे। अनुराग बाजपेयी पर आरोप है कि उन्होंने इस वेश्यालय में कई बार सेवाएं लीं और प्रति घंटे 600 डॉलर तक का भुगतान किया। कोर्ट दस्तावेजों के अनुसार, ग्राहकों में डॉक्टर, वकील, कॉरपोरेट लीडर्स, सरकारी ठेकेदार, और पब्लिक ऑफिशियल्स शामिल थे। जांच में ये भी सामने आया कि इस गिरोह में ज्यादातर एशियाई महिलाएं थीं, जिनमें से कई सेक्स ट्रैफिकिंग की शिकार थीं।

अनुराग बाजपेयी का प्रोफाइल

अनुराग बाजपेयी एक जाने-माने इंजीनियर और उद्यमी हैं। उनकी पढ़ाई लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से शुरू हुई। इसके बाद, उन्होंने 2006 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी-कोलंबिया से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की। फिर, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से 2008 में मास्टर डिग्री और 2012 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की। उनकी डॉक्टरेट रिसर्च वाटर ट्रीटमेंट और डिसैलिनेशन पर थी, जिसे साइंटिफिक अमेरिकन ने अपनी “टॉप 10 वर्ल्ड-चेंजिंग आइडियाज” लिस्ट में शामिल किया।

2013 में बाजपेयी ने MIT स्पिनआउट के तौर पर ग्रेडिएंट की स्थापना की। आज ये कंपनी 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की वैल्यू रखती है और 25 से ज्यादा देशों में सेमीकंडक्टर, फार्मास्यूटिकल्स, खनन, और खाद्य-पेय उद्योगों के लिए वाटर ट्रीटमेंट सॉल्यूशंस देती है। बाजपेयी के नाम कई पेटेंट्स भी हैं।

ग्रेडिएंट का रुख

इस कांड के बाद ग्रेडिएंट में कुछ कर्मचारियों ने बाजपेयी के इस्तीफे की मांग की। लेकिन कंपनी ने अपने सीईओ का बचाव करते हुए बयान जारी किया। फेलिक्स वांग, कंपनी के प्रवक्ता, ने कहा, “हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और हमें यकीन है कि ये मामला जल्द ही सुलझ जाएगा। इस मामले से अलग, ग्रेडिएंट तकनीकी नवाचार (Technological innovation) और स्वच्छ पानी के अपने मिशन को जारी रखेगा।”

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