छत्तीसगढ़ में गजब घोटालाः हाई कोर्ट के आदेश के बाद घोटालेबाज लेक्चरर, टीचर और बाबू को पुलिस का अभयदान…

छत्तीसगढ़ में गजब घोटालाः हाई कोर्ट के आदेश के बाद घोटालेबाज लेक्चरर, टीचर और बाबू को पुलिस का अभयदान…

बिलासपुर। 6 सितंबर 2022 को NPG ने 78 लाख के इस घोटाले से पर्दा उठाया था। एनपीजी में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग के आला अफसर भी तब हैरान रह गए थे कि स्कूल में कार्यरत शिक्षक और क्लर्क इतना बड़ा घोटाले को कैसे अंजाम दे सकते हैं। रिपोर्ट के बाद डीपीआई ने इसे संज्ञान मे लिया और मामले की जांच कराई। जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद शिक्षा विभाग ने रतनपुर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराते हुए तीनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की।

घोटाले के सरगना लेक्चरर पुन्नी लाल कुर्रे ने हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में याचिका दायर की। सिंगल बेंच से याचिका खारिज होने के बाद डिवीजन बेंच इसे चुनौती दी और एफआईआर को खारिज करने की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद 17 फरवरी 2025 को डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने और घोटाले की पुष्टि के बाद भी पुलिस आखिर कर क्या रही है।

सरकारी खजाने से 78 लाख रुपये निकालने के बाद व्याख्याता पुन्नी लाल कुर्रे के बैंक खाते में जमा करा दिया गया। बैंक खाते से कुर्रे राशि भी आहरण करते रहे। ट्रेजरी के अफसरों को भनक तक नहीं लग पाया। अचरज की बात ये कि दो साल तक मामला दबा रहा। 2018-19 के इस मामले में खुलासा 2022 में हुआ। एनपीजी में खबर प्रकाशित होने के बाद डीईओ डीके कौशिक ने पूरे मामले की जांच कराई। जांच रिपोर्ट में पुष्टि होने के बाद क्लर्क कैलाशचंद्र सूर्यवंशी को निलंबित करते हुए व्याख्याता पुन्नी लाल कुर्रे पर कार्रवाई के लिए राज्य कार्यालय को पत्र लिखा।

0 पांच सदस्यीय टीम ने की जांच

रायपुर से कोष एवं पेंशन की तरफ इस पूरे मामले की जांच के लिए टीम भेजी गई थी। तब संयुक्त संचालक के डी झारिया के नेतृत्व में 5 सदस्य टीम ने पूरे मामले की जांच की थी। जांच के बाद आला अधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दी थी। जांच में इस बात की भी जानकारी मिली कि व्याख्याता कुर्रे के बैंक खाते में 78 लाख रुपये जमा कराने के बाद इसकी जानकारी आईटी को भेजी जानी थी। आईटी से भी घोटालेबाजों ने जानकारी छिपाकर रखी।

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