Akanksha Bhardwaj: CG बर्खास्तगी के बाद महिला जज बनीं वकील,अपनी लड़ाई खुद लड़ी और दोबारा हासिल कर ली कुर्सी

Akanksha Bhardwaj: CG बर्खास्तगी के बाद महिला जज बनीं वकील,अपनी लड़ाई खुद लड़ी और दोबारा हासिल कर ली कुर्सी

Akanksha Bhardwaj: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी एक महिला जज ने नारी सशक्तीकरण का बेहतरीन उदाहरण पेश की है। बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देते हुए सात साल अदालती लड़ाई लड़ी। सिंगल बेंच से मामला जीतने के बाद विधि विधायी विभाग ने इसे चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील पेश की। बर्खास्त महिला जज ने हार नहीं मानी। लड़ाई लड़ीं और जीत भी हासिल कर लीं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने विधि विधायी विभाग की अपील को खारिज करते हुए महिला जज की बहाली के साथ ही सिविल जज महासमुंद के पद पर पदस्थापना आदेश जारी कर दिया है।

बिलासपुर के सरकंडा में रहने वाली आकांक्षा भारद्वाज का चयन वर्ष 2012- 13 में हुई परीक्षा के जरिए सिविल जज थी। महिला सिविल जज ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई थी। हाई कोर्ट ने अपील मंजूर कर ली है। स्थायी समिति की सिफारिश पर आकांक्षा भारद्वाज को सात साल पहले बर्खास्त कर दिया था। स्थायी समिति की फैसले के खिलाफ महिला जज ने इसे चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। खास बात ये कि अपने मामले की पैरवी उन्होंने खुद की थी। सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता महिला जज के पक्ष में फैसला सुनाया था। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए विधि विधायी विभाग ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी। डिवीजन बेंच ने विधि विधायी विभाग की अपील को खारिज करते हुए सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराया है।

 महासमुंद सिविल जज के पद पर जारी हुआ पदस्थापना आदेश

डिवीजन बेंच के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने आंकाक्षा भारद्वाज को सिविल जज महासमुंद के पद पर पदस्थापना आदेश जाारी किया है। आकांक्षा भारद्वाज का चयन वर्ष 2012- 13 में हुई परीक्षा के जरिए सिविल जज के पद पर चयन हुआ था।

12 दिसंबर 2013 को जारी आदेश के अनुसार उन्हें दो वर्ष की परिवीक्षा पर नियुक्त किया गया। उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को जॉइन किया। इस दौरान एक सीनियर मजिस्ट्रेट ने उसने अनुचित व्यवहार किया, लेकिन उन्होंने नई ज्वॉइनिंग होने के कारण शिकायत नहीं की। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद उन्हें अगस्त 2014 में अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। इस बीच अधिकांश सीनियर मजिस्ट्रेट का तबादला हो गया। अंबिकापुर में सिर्फ चार सिविल जज बचे। सभी एक सीनियर मजिस्ट्रेट के अधीन कार्यरत थे। आरोप है कि जब भी वे सीनियर मजिस्ट्रेट के पास न्यायिक मामलों में मार्गदर्शन के लिए जाती थीं, तो उनसे अनुचित व्यवहार किया जाता था। स्थायी समिति की अनुशंसा पर उसे बर्खास्त कर दिया गया था।

 सिंगल बेंच व डिवीजन बेंच दोनों ने सुनाया पक्ष में फैसला

सिंगल बेंच ने मई 2024 में उनके पक्ष में फैसला देते हुए 31 जनवरी 2017 को कमेटी की अनुशंसा और 9 फरवरी 2017 को जारी बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया था। याचिकाकर्ता को बैंक वेजेस के बगैर सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने के आदेश दिए थे। सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच ने बहाल कर दिया है।

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share