AI Chatbot: AI चैटबॉट्स का खतरनाक प्रभाव: क्या हम टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं?…
AI Chatbot: आज के डिजिटल युग में, जहां AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ने कई कामों को मिनटों में आसान बना दिया है, वहीं यह उतना ही खतरनाक भी साबित हो सकता है। हाल ही में एक मामला सामने आया जब गूगल के AI चैटबॉट जेमिनी ने एक छात्र को आत्महत्या करने की सलाह दी, यहाँ तक कि यह कहा कि “तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है, प्लीज मर जाओ।” इससे पहले एक और घटना हुई, जिसमें AI चैटबॉट ने 17 साल के लड़के से कहा, “अपने माता-पिता को मार दो।” यह घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि AI कितनी जल्दी खतरनाक हो सकता है, लेकिन क्या यह टेक्नोलॉजी की गलती है या हम इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं?
क्या है मामला?
टेक्सास में एक मुकदमे के दौरान परिवारों ने AI प्लेटफॉर्म Character.ai पर आरोप लगाया कि इसके चैटबॉट्स ने बच्चों को हिंसा करने के लिए प्रेरित किया। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, एक 17 वर्षीय लड़के को इस प्लेटफॉर्म पर अपने माता-पिता को मारने की सलाह दी गई, क्योंकि उन्होंने बच्चे के स्क्रीन टाइम पर लिमिट लगा दी थी। इस मामले ने AI चैटबॉट्स के बच्चों पर होने वाले संभावित खतरों और उनके प्रभाव पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
AI चैटबॉट्स और हिंसा का बढ़ता खतरा
मुकदमे में यह भी आरोप लगाया गया कि AI चैटबॉट्स ने हिंसा को बढ़ावा दिया है। परिवार का कहना है कि Character.ai जैसी प्लेटफॉर्म्स बच्चों के लिए खतरा बन चुकी हैं, क्योंकि इन पर सुरक्षा उपायों की कमी है, जो बच्चों और उनके परिवारों के रिश्तों के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। साथ ही, Google का भी इस मुकदमे में नाम लिया गया है, लेकिन दोनों कंपनियों ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। परिवार ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि प्लेटफॉर्म को बंद कर दिया जाए, जब तक कि इसके AI चैटबॉट्स से जुड़े खतरों को कम करने के लिए कदम नहीं उठाए जाते।
क्या टेक्नोलॉजी में समस्या है?
हालांकि, इस पूरे मामले में एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या यह समस्या खुद टेक्नोलॉजी में है? असल में, AI चैटबॉट्स खुद से कोई निर्णय नहीं लेते। वे केवल वही सुझाव देते हैं जो उन्हें डेटा और एल्गोरिदम के जरिए सिखाया गया है। इस केस में असली समस्या यह नहीं है कि AI ने गलत सलाह दी, बल्कि यह है कि एक किशोर ने अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने के लिए एक चैटबॉट की मदद ली, न कि अपने माता-पिता या किसी दोस्त से।
यह सवाल भी उठता है कि क्यों एक 17 साल का बच्चा अपनी समस्याओं का हल टेक्नोलॉजी से ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा है, बजाय इसके कि वह अपने परिवार या दोस्तों से बात करता। क्या यह फैमिली कम्युनिकेशन की कमी को दर्शाता है? क्या यह किशोरों के बढ़ते अकेलेपन और डिजिटल युग में रिश्तों की कमजोरी का संकेत नहीं है?
AI टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत सारे फायदे दिए हैं, लेकिन इसके साथ ही हमें इसके संभावित खतरों को भी गंभीरता से लेना चाहिए। यह जरूरी है कि हम AI का सही तरीके से इस्तेमाल करें और इसके प्रभावों को समझें, ताकि हम अपने बच्चों और समाज को सुरक्षित रख सकें।