पायल ने राष्ट्रीय खेलों वॉकिंग रेस में जीता गोल्ड

पायल ने राष्ट्रीय खेलों वॉकिंग रेस में जीता गोल्ड

राष्ट्रीय खेलों में काशीपुर की बेटी पायल ने 35 किलोमीटर पैदल चाल में गोल्ड जीतकर उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। पायल ने इस दूरी को तय करने के लिए तीन घंटे 11 मिनट और 23 सेकेंड का समय लिया। अनु कुमार से भी गोल्ड की उम्मीद थी लेकिन फाइनल में उनके पैरों की नशों में खिंचाव की वजह से उन्हें रेस बीच में ही छोड़नी पड़ी।

अभाव में पली पायल पर पहली नजर राष्ट्रीय चैंपियन और साई कोच चंदन सिंह नेगी की पड़ी। परिवार की गरीबी दूर करने के लिए पायल को एक नौकरी की तलाश थी इसलिए वह फिटनेस के लिए काशीपुर स्टेडियम जाने लगी। वहां चंदन सिंह ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे पैदल चाल इवेंट के लिए तैयार किया। इसका सुखद परिणाम जल्द ही सामने आया और उसने ओपन नेशनल में कांस्य पदक जीता। खेलों इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सिल्वर, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में कांस्य पदक समेत छह पदक जीते।

इसी बीच चंदन सिंह ने ओलंपियन गुरमीत सिंह को पायल के बारे में बताया और साईं की नजर भी उस पर पड़ी तो उसे बंगलूरू से एक्सिलेंस सेंटर से बुलावा आ गया। वहां गुरमीत सिंह उसे प्रशिक्षित कर रहे थे। फोन पर हुई बातचीत में पायल ने बताया कि तैयारी पर यकीन था और पदक की उम्मीद थी। आज पदक लाने की बेहद खुशी है और भविष्य में और बेहतर करने का जज्बा और बढ़ गया है। पायल के प्रदर्शन से उत्तराखंड ओलंपिक संघ भी गदगद है। राज्य ओलंपिक संघ के महासचिव डीके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। अब तक उत्तराखंड की टीम एक स्वर्ण, छह रजत, तीन कांस्य पदक जीत चुकी है। बुधवार को तीरंदाजी में भी स्वर्ण पदक की उम्मीद है।

पायल बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं लेकिन परिवार ने अपना पेट काटकर उन्हें प्रशिक्षण के लिए भेजा। पायल ने बताया कि तैयारियों के लिए कोई खास डाइट प्लान नहीं था, घर में जो सभी खाते थे वही मैं भी खाती थी।

तैयारियों के लिए पटियाला यूनिवर्सिटी में लिया प्रवेश

कोरोना के दौरान उत्तराखंड में खेल गतिविधियां बंद होने की वजह से पायल ने पटियाला यूनिवर्सिटी का रुख किया। बीपीएड में प्रवेश लेने के बाद वहां तैयारियों के लिए भी मौका मिला। पायल भी उत्तराखंड के अन्य एथलीट की तरह बेरोजगार है। देश में उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाले बेरोजगार खिलाड़ी उत्तराखंड सरकार और खेल मंत्री से सिर्फ इतना चाहते हैं कि उन्हें एक नौकरी उपलब्ध करा दी जाए। भविष्य के प्रति बेफिक्र होने के बाद उनके खेलों में और निखार आएगा।

ओलंपिक है लक्ष्य

पायल ने बताया कि अब उसका लक्ष्य 2024 में होने वाले ओलंपिक में पदक लाना है। पायल ने अपनी सफलता का श्रेय ओलंपिक संघ और राज्य ओलंपिक संघ के डीके सिंह,  केजेएस कलसी, कोच गुरमीत सिंह, चंदन सिंह नेगी और माता-पिता को देती हैं।

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