खाली प्लॉट व खंडहरों में चल रहे नशे के अड्डे, लत पूरी करने के लिए बन रहे अपराधी
देहरादून। वक्त के साथ चीजें बदलती हैं, ऐसा अकसर सुनने को मिलता है, पर अपराध की दुनिया में ऐसा हो, तो सोचना लाजिमी है। खास बात यह है कि इस नए ट्रेंड का सबसे ज्यादा रंग युवा पीढ़ी पर ही चढ़ा। ये रंग कुछ और नहीं बल्कि नशाखोरी का है।
दून एजुकेशन हब के नाम से मशहूर है तो जाहिर है कि यहां बाहरी छात्रों की बड़ी तादाद है। नशे के तस्करों का मुख्य टारगेट यही छात्र हैं। हुक्का बार, बीयर बार समेत रेव पार्टीज, कॉकटेल पार्टीज, हेरोइन, चरस और स्मैक आदि का चलन तेजी से बढ़ा है लेकिन शहर के खाली प्लॉट व खंडहरों में नशे के मुख्य अड्डे चलाए जा रहे हैं। इस बात की तस्दीक पुलिस भी कर रही। इतना ही नहीं गुजरे दस वर्ष में हत्या के लगभग तीन दर्जन मामले ऐसे हैं जो नशे के चलते प्लॉट या खंडहर में हुईं। 20 अप्रैल 2014 को दून का चर्चित कुणाल गुप्ता हत्याकांड और 12 अगस्त को वैभव सैनी हत्याकांड ऐसे ही मामलों से जुड़े हैं। बावजूद इसके शहर में दो हजार से ज्यादा खाली प्लॉट और लगभग 60 खंडहर आज भी नशेड़ियों का अड्डा बने हुए हैं।
राजधानी देहरादून इन दिनों नशे का बड़ा अड्डा बन चुकी है। पुलिस के आंकड़े ये तस्दीक कर रहे हैं कि युवा नशे के धंधे में किस कदर घुस चुके हैं। नशे की लत पूरी करने के लिए दून में युवा अपराध की ओर कदम बढ़ाने से नहीं चूके। साल में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए, जिसमें स्कूल या कालेज के छात्र चोरी, चेन स्नेचिंग, वाहन चोरी व लूट में गिरफ्तार हुए। सबकी जांच में एक ही बात सामने आई नशा, अय्याशी और गर्लफ्रेंड की ख्वाहिशें। आंकड़े गवाह हैं कि पिछले सवा साल में पुलिस ने नशे के कारोबार में 484 आरोपियों को गिरफ्त में लिया। हैरत वाली बात ये है कि इनमें 73 छात्र-छात्राएं हैं।
पूछताछ में यह भी सामने आया कि शुरुआत में ज्यादातर आरोपियों ने नशे का सेवन खाली प्लॉट या खंडहर में दोस्तों के साथ किया। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार शहर में लगभग पांच हजार खाली प्लाट हैं और इनमें दो हजार ऐसे हैं जिनमें संदिग्ध गतिविधियों की बात सामने आती रही है। इसी तरह शहर में 60 से ज्यादा खंडहर हैं। माना जा रहा कि यह दो हजार प्लाट व 60 खंडहर नशेडिय़ों का मुख्य अड्डा बने हुए हैं। हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने कभी ऐसे स्थानों पर जांच के लिए कदम नहीं उठाए।
इन इलाकों में खाली प्लाट व खंडहर हैं नशे के मुख्य अड्डे
प्रेमनगर, क्लेमनटाउन, पटेलनगर, रायपुर, ईसी रोड, सुभाष रोड, जाखन, सहस्रधारा रोड, धर्मपुर, हरिद्वार बाइपास, लक्खीबाग, भंडारीबाग, देहराखास, इंदिरानगर, राजपुर रोड, रेसकोर्स, जोहड़ी, विजय नगर, कैंट, बिदौली, रायपुर रिंग रोड, हाथीबड़कला आदि।
परेड ग्राउंड व गांधी पार्क भी अड्डे
नशेड़ियों के लिए शहर के बीचोंबीच परेड ग्राउंड, गांधी पार्क और रेंजर्स मैदान भी नशेडिय़ों के मुख्य अड्डे बने हुए हैं। गांधी पार्क में चार माह पूर्व पुलिस ने जब छापा मारा तो वहां स्कूल और कालेज के छात्र-छात्राएं नशा करते पकड़े गए थे। इन में से कुछ ट्यूशन के बहाने घर से निकले हुए थे तो कुछ कोचिंग जाने के बहाने से। फ्लूड, थिनर और स्मैक का नशा कर रहे इन छात्रों को चेतावनी देकर छोड़ा गया।
स्कूलों के बाहर खोखों में ‘जहर’
शहर में शायद ही ऐसा कोई स्कूल या कालेज हो, जिसके आसपास या बाहर दुकानों या पान के खोखों पर सिगरेट या गुटखा न बिक रहा हो। हालांकि, नियम ये है कि स्कूल-कालेजों से सौ मीटर की दूरी में नशे का कोई सामान नहीं बिकेगा, मगर यहां न तो कोई नियम मानता, न नियमों के रखवाले इसका अनुपालन करा पाते। अब पुलिस जरूर यह दावा कर रही है कि शहर में शिक्षण संस्थानों के सौ मीटर के दायरे में कोई नशीली सामग्री नहीं बिकने देगी। …लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा।
एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि बीट पुलिस लगातार खाली प्लाट और खंडहर आदि की चेकिंग करती रहती है। जहां कहीं भी नशेड़ियों के जमा होने की सूचना मिलती है, पुलिस तत्काल कार्रवाई करती है।